MakeSmallStrong: बिजनेसमैन ही नहीं जाने-माने समाज सेवक भी हैं इंद्रजीत खजुरिया, जानें उनकी सफलता की कहानी!

इंद्रजीत खजूरिया होटल व्यवसाय में नही थे। वह वन विभाग में कार्यरत थे। 2000 में वह डीएफओ के पद पर से सेवानिवृत हुए और उसके बाद पिता जी पंडित मुंशी राम खजूरिया द्वारा 1980 में बनाए गए इंडिया प्राइड होटल के कामकाज को आगे बढ़ाने में जुट गए।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 05:48 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 05:51 PM (IST)
MakeSmallStrong: बिजनेसमैन ही नहीं जाने-माने समाज सेवक भी हैं इंद्रजीत खजुरिया, जानें उनकी सफलता की कहानी!
इंद्रजीत खजूरिया इस समय जम्मू होटल एंड लॉजज एसोसिएशन के चेयरमैन हैं।

जम्मू, गुलदेव राज। समाज में चंद ही लोग ऐसे होते हैं जो जिंदगी में अपने कामकाज के साथ-साथ समाज को भी साथ लेकर चलते हैं। वह समाज का भला करना भी अपना परम धर्म समझते हैं। कारोबार से तो नाम तो चमकता ही हैं लेकिन इसके साथ-साथ सामाजिक काम से जो संतुष्टि मिलती है, उसका अपना ही आनंद होता है। समाज भी कद्र करता है जाे अहम सेवाओं के लिए पूरा मान सम्मान देता है। ऐसे ही हैं इंद्रजीत खजूरिया जोकि इस समय जम्मू होटल एंड लॉजज एसोसिएशन के चेयरमैन हैं।

होटल इंडस्ट्रीज को आगे बढ़ाने में इनकी अहम भूमिका है। 13 साल तक वह एसोसिएशन के प्रधान भी रहे हैं और जम्मू के होटल व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए काम करते रहे हैं। इंद्रजीत खजूरिया अपना भी होटल का कारोबार देख रहे हैं। परिवार में मिले होटल के कारोबार को उन्होंने अपनी मेहनत से फैलाया। आज उनके इनके तीन होटल हैं जोकि इंडिया प्राइड, न्यू इंडिया प्राइट के नाम से जाने जाते हैं। होटल कारोबार को संभालने के लिए पारिवारिक सदस्यों का पूरा सहयोग मिल रहा है।

वैसे आरंभ से ही इंद्रजीत खजूरिया होटल व्यवसाय में नही थे। वह वन विभाग में कार्यरत थे। 2000 में वह डीएफओ के पद पर से सेवानिवृत हुए और उसके बाद पिता जी पंडित मुंशी राम खजूरिया द्वारा 1980 में बनाए गए इंडिया प्राइड होटल के कामकाज को आगे बढ़ाने में जुट गए। जम्मू में होटल व्यवसाय को बढ़ावा देने की उनकी इच्छा शक्ति ने उनको और यश दिलाया। यही कारण रहा कि 2004-05 में इंद्रजीत खजूरिया जम्मू होटल एंड लॉजज एसोसिएशन के प्रधान बने और एक दशक से भी अधिक समय पर वे इस पद पर बने रहे। उनका कहना है कि जम्मू मेें पर्यटन उद्योग के बढ़ने फूलने की अपार संभावनाएं हैं मगर इसके लिए हम सबको तरतीब से काम करना होगा।

 

होटल कर्मियों को दिया सहारा: कोरोना महामारी के दौर में होटल व्यवसाय प्रभावित हुआ, यह बात जग जाहिर है। मुश्किल के दिन हैं। क्योंकि पर्यटकों का आना जाना थम गया। इससे कारोबार पर असर पड़ा। लेकिन इस दौर में भी अपने होटल में कार्यरत कर्मियों के हितों की रक्षा की गई। इंद्रजीत खजूरिया ने बताया कि 30 के करीब मुलाजिम होटल में कार्यरत हैं और किसी न किसी रूप से उनकी रोजी रोटी कायम रखी गई। व्यापार में उतार चढ़ाव आते ही हैं। आज कुछ संकट भरा समय है लेकिन कल तक सब ठीक हो जाएगा। कोरोना काल में हमने सरकार द्वारा सुझाए गए दिशा निर्देशों की पूरी तरह से पालना की गई। होटल को सैनिटाइज कराने की व्यवस्था के साथ साथ हर कर्मी का मास्क पहननना, शारीरिक दूरी बनाए रखना जैसे नियमों का पालना हुई।

समाज के लिए निकालते हैं समय: होटल कारोबार के साथ साथ इंद्रजीत खजूरिया कई सामाजिक संगठनों से जुड़े हैं और समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर व्यक्ति को सामाजिक जरूर होना चाहिए। सबको साथ लेकर जरूर चलना चाहिए। इसी से ही स्वस्थ्य समाज का निर्माण होता है। इसलिए जहां जहां मेरी जरूरत रहती हैं मैं अपना सहयोग जरूर देता हूं। अभी भी अनेकों सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से वे जुड़े हुए हैं। डोगरा प्रतिनिध ब्राहमण सभा के वे चीफ आर्गनाइजर रहे हैं। इंडियन स्टाइल रेसलिंग एसोसिएशन के वे 15 साल से प्रधान हैं। पीपलेश्वर शिव मंदिर, हनुमान मंदिर मांडा कमेटी के चेयरमैन हैं। ऐसे ही समाज कल्याण केंद्र का नेतृत्व किया। और भी अनेकों संगठनों के साथ इनका जुड़ाव रहा है। इंद्रजीत खजूरिया का कहना है कि वे अपने जीवन में लोगों के लिए काम करते रहेंगे क्योंकि इसी से ही उनको सुख की प्राप्ति होती है।

कोरोना काल में लोगों की मदद की: कोरोना महामारी के दौर में जरूरतमंद लोगों की सेवा करने से भी इंद्रजीत खजूरिया पीछे नही रहे। खुद लोगों के बीच पहुंचे और जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंचाया। यहां तक कि लोगो तक मास्क पहुंचाने का काम किया गया। जगह जगह लंगर का बंदोबस्त करा कर जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई। इंद्रजीत खजूरिया का कहना है कि कोरोना महामारी से देश इस समय कठिन दौर से गुजर रहा है। ऐसे में हम सब लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि हम समाज के सभी लोगों का ख्याल करें और केंद्र सरकार द्वारा दी गई दिशा निर्देशों का पालन करें। हमें याद रखना चाहिए कि सबको साथ लेकर चलना और सबका ख्याल रखना ही मानवता है। 

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