Jammu Kashmir : वेटलैंड के लिए दुनिया में मशहूर घराना गांव के पंचायत घर में चल रहा अस्पताल

घराना गांव का वेटलैंड पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां आने वाले साइबेरिया के प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में सैलानी आते हैं लेकिन यहां रहने वाले ग्रामीणों के लिए सरकार आज तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मुहैया करवा पाई है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 08:43 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 08:43 PM (IST)
Jammu Kashmir : वेटलैंड के लिए दुनिया में मशहूर घराना गांव के पंचायत घर में चल रहा अस्पताल
प्राइमरी हेल्थ सेंटर (पीएचसी) का काम ठप पड़ा है। अब तो यह इमारत खंडहर बनने लगी है।

आरएसपुरा, संवाद सहयोगी : सरकार राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत के सामने वे हवा हो जाते हैं। जम्मू संभाग में स्वास्थ्य सुविधाओं का सबसे बुरा हाल ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलता है। आरएसपुरा का घराना गांव इसका प्रतिनिध उदाहरण है। यहां वर्षों पहले शुरू हुआ प्राइमरी हेल्थ सेंटर (पीएचसी) का काम ठप पड़ा है। अब तो यह इमारत खंडहर बनने लगी है। पीएचसी के परिसर में झाड़ियों का जंगल उग आया है। ऐसे में इस पीएचसी को स्थानीय पंचायत घर में चलाना पड़ रहा है।

घराना गांव का वेटलैंड पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां आने वाले साइबेरिया के प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में सैलानी आते हैं, लेकिन यहां रहने वाले ग्रामीणों के लिए सरकार आज तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मुहैया करवा पाई है। जानकारी के मुताबिक, भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे घराना गांव में वर्ष 2015 में पीएचसी का निर्माण शुरू हुआ था। करीब एक साल तक इसका काम चला, उसके बाद ठप हो गया। अब तक इस पर करीब 38 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन इमारत पूरी नहीं बन पाई है। हालत यह है कि अब यह नई इमारत खंडहर बनने लगी है। ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों में इसको लेकर रोष व्याप्त है। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि ठेकेदार को बकाया का भुगतान नहीं होने से उसने काम छोड़ दिया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब अस्पताल का काम शुरू हुआ था, उसी समय यदि यह बन गया होता तो लागत कम आती। काम रुकने के बाद दोबारा शुरू होने पर ठेकेदार को ज्यादा राशि देनी पड़ेगी। अब छह साल से इसका काम बंद पड़ा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हर बार नया टेंडर जारी करने की ही बात करते हैं। इस संबंध में डा. सतीश कुमार, ब्लाक मेडिकल अधिकारी ने बताया कि विभाग की ओर से भी इस बारे में उच्च अधिकारियों को लिखा गया है। लोगों को परेशानी नहीं आए, इसके लिए प्राइमरी हेल्थ सेंटर को पंचायत घर में चलाया जा रहा है।

अब काम शुरू नहीं किया तो करेंगे आंदोलन : घराना के राजकुमार ने कहा कि सरकार की लापरवाही से ही हमारे गांव का पीएचसी पंचायत घर के एक कमरे में चल रहा है। यदि सरकार को ग्रामीणों के दवा-इलाज की चिंता होती तो छह साल तक अस्पताल का काम नहीं रुकता। यदि जल्द इसका काम नहीं शुरू किया गया तो ग्रामीण आंदोलन शुरू करेंगे। वहीं रोहित चौधरी ने बताया कि सरकार जनता का पैसा बर्बाद कर रही है। हमारे टैक्स से ही सरकार विकास करवाती है। इसलिए काम को शुरू करवाकर रोक देना जनता के साथ अन्याय है। अब जब नए सिरे से टेंडर होगा तो ज्यादा पैसे देने होंगे। उसे भी सरकार हमारी जेब से ही निकालेगी। इस सोच में बदलाव होना चाहिए। एक अन्य ग्रामीण मित्तल चौधरी ने बताया कि

एईई ने ठेकेदार पर फोड़ा ठीकरा : पीडब्लूडी के एईई भूपिंदर कुमार ने बताया कि विभाग ने इसको लेकर टेंडर किया था, पर ठेकेदार ने काम शुरू नहीं किया। अब विभाग ने उस ठेकेदार का टेंडर रद कर नए सिरे से टेंडर किया है। टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नए ठेकेदार से काम करवाया जाएगा। उम्मीद है कि जल्द ही हेल्थ सेंटर का बाकी काम पूरा कर लिया जाएगा।

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