कभी पाकिस्तानी गोलियों से छलने होते थे घर, इस बार कुदरत का टूटा कहर

सांबा जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों में कभी पाकिस्तानी गोलियां कहर ढाती थीं। अब वे खामोश हैं तो कुदरत ने सीमावर्ती किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों को संभलने का मौका दिए बगैर अचानक बदले मौसम ने न सिर्फ सांबा जिले वरन जम्मू कश्मीर के अन्य जिलों में ऐसा कहर ढाया है कि इसका दर्द किसान जल्दी नहीं भूल पाएंगे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 07:32 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 07:32 AM (IST)
कभी पाकिस्तानी गोलियों से छलने होते थे घर, इस बार कुदरत का टूटा कहर
कभी पाकिस्तानी गोलियों से छलने होते थे घर, इस बार कुदरत का टूटा कहर

संवाद सहयोगी, सांबा: जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों में कभी पाकिस्तानी गोलियां कहर ढाती थीं। अब वे खामोश हैं तो कुदरत ने सीमावर्ती किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों को संभलने का मौका दिए बगैर अचानक बदले मौसम ने न सिर्फ सांबा जिले, वरन जम्मू कश्मीर के अन्य जिलों में ऐसा कहर ढाया है कि इसका दर्द किसान जल्दी नहीं भूल पाएंगे। कई ऐसे इलाके हैं, जहां किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई है। ऐसे में अब इन इलाकों में किसान मुआवजा पाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बना रहे हैं, क्योंकि उनको लगता है कि कहीं वर्ष 2019 की तरह इस बार भी उन्हें सरकार मुआवजा ही नहीं दे या बहुत कम ही राशि जारी करे।

सांबा जिले के सीमावर्ती जेरडा गांव के निवासी एवं पूर्व सरपंच मोहन सिंह भट्टी ने बताया कि उनके गांव सीमा से बिल्कुल सटा है। ऐसे में पाकिस्तान की तरफ से जब भारी गोलीबारी होती थी तो उनके घर छलनी हो जाते थे। लोगों की जानें गई और कई घायल भी हुए। अब जब बार्डर पर अमन है तो किसान खेतीबाड़ी में पूरा जोर लगा रहे हैं। इस बार धान की फसल बहुत अच्छी हुई थी, लेकिन घर जाने से पहले ही वह ओलावृष्टि और बारिश की भेंट चढ़ गई।

सीमावर्ती गांव मंगू चक के निवासी बिशनदास ने कहा मेरी चार एकड़ के करीब धान की तैयार फसल बर्बाद हो गई है। इसी से मैं अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। गांव में पहले अक्सर पाकिस्तान गोलाबारी करता था। आजकल पाकिस्तान खामोश है, ऐसे में अच्छे से खेती की। फसल भी अच्छी हुई, लेकिन बारिश ने हमारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। अब सारी आस सरकार से है कि वह हम किसानों को जल्द उचित मुआवजा जारी करे।

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