अमित शाह ने गुरुद्वारा डिग्यािना आश्रम में माथा टेका, देश की खुशहाली के लिए की अरदास

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य और राष्ट्र की खुशहाली व समृद्धि के लिए अरदास की। उन्होंने कहा कि गुरुओं की शिक्षा व आशीर्वाद हमें निरंतर जम्मू-कश्मीर व देश की प्रगति के लिए शक्ति प्रदान करेगा। वाहेगुरु जी दा खालसा वाहेगुरु जी दी फतेह।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 07:52 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 09:13 PM (IST)
अमित शाह ने गुरुद्वारा डिग्यािना आश्रम में माथा टेका, देश की खुशहाली के लिए की अरदास
रैली समाप्त होने के बाद अमित शाह, उपराज्यपाल व अन्य नेता सीधे गुरुद्वारा डिग्यािना आश्रम पहुंचे।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को जम्मू प्रवास के दौरान गुरुद्वारा डिग्यािना आश्रम में जाकर माथा टेक आशीर्वाद लिया। उन्होंने यहां राज्य और राष्ट्र की खुशहाली व समृद्धि के लिए अरदास की। उन्होंने कहा कि गुरुओं की शिक्षा व आशीर्वाद हमें निरंतर जम्मू-कश्मीर व देश की प्रगति के लिए शक्ति प्रदान करेगा। वाहेगुरु जी दा खालसा, वाहेगुरु जी दी फतेह। शाह के साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, पीएमओ में राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह, सांसद जुगल किशोर, भाजपा के प्रदेश प्रधान रविंद्र रैना भी थे।

जम्मू के भगवती नगर में रैली समाप्त होने के बाद अमित शाह, उपराज्यपाल व अन्य नेता सीधे गुरुद्वारा डिग्यािना आश्रम पहुंचे। वहां पर अमित शाह ने डेरा नंगाली साहिब के महंत मंजीत सिंह का हालचाल पूछा। महंत मंजीत सिंह ने अमित शाह, उपराज्यपाल, डा. जितेंद्र सिंह, रविंद्र रैना को सिरोपा भेंट किया। शिरोमणि अकाली दल जम्मू कश्मीर के प्रधान दरबिदर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री को सिख समुदाय की मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में पंजाबी भाषा को अधिकारिक भाषा का दर्जा दिए जाने और हाई कोर्ट में सिख समुदाय के प्रतिनिधि को न्यायाधीश बनाए जाने की मांग रखी गई।

ज्ञापन देकर सिख समुदाय ने उपराज्यपाल का एक सलाहकार सिख समुदाय से लिए जाने के अलावा विधानसभा की चार सीटें सिख समुदाय के लिए आरक्षित किए जाने की मांग भी उठाई। इसके अलावा वहीं एक संसदीय सीट सिख समुदाय के लिए आरक्षित करने, गुलाम कश्मीर के रिफ्यूजियाें के लिए तीस लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने, आंदोलनकारी किसानों से बातचीत कर मसलों का समाधान किए जाने की मांग करने के साथ-साथ नए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की गई।

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