Ladakh: बर्फीले तूफान भी नहीं रोक पाए राह और रच दिया इतिहास, जनवरी में ही खुल गया कारगिल-जंस्कार हाईवे

बर्फीले तूफान और शून्य से -30 डिग्री तापमान के बीच लद्दाख में इतिहास रच दिया गया है। पहली बार कारगिल से जंस्कार मार्ग को जनवरी माह में ही खोल दिया गया है। कई-कई फीट बर्फ जमी रहने के कारण जंस्कार घाटी महीनों दुनिया से कटी रहती थी।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 07:33 AM (IST)
Ladakh: बर्फीले तूफान भी नहीं रोक पाए राह और रच दिया इतिहास, जनवरी में ही खुल गया कारगिल-जंस्कार हाईवे
जंस्‍कार नदी सर्दी में जम जाती है और पर्यटक नदी पर जमी बर्फ को ट्रैक की तरह इस्‍तेमाल करते हैं।

लेह, संवाद सहयोगी : बर्फीले तूफान और शून्य से -30 डिग्री तापमान के बीच बर्फ के योद्धाओं ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है। यह पहली बार है कि कारगिल से जंस्कार मार्ग को जनवरी माह में ही खोल दिया गया है। पूर्व में कई-कई फीट बर्फ जमी रहने के कारण जंस्कार घाटी महीनों दुनिया से सड़क मार्ग से कटी रहती थी।

लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद इस प्रदेश के जिलों में सड़क कनेक्ट को बेहतर बनाने की मुहिम जारी है और इसका ही नतीजा है कि मध्य जनवरी में अब इस हाईवे पर वाहन गुजारे जा सके। वीरवार शाम को ही बर्फ हटाने का काम पूरा कर लिया गया था। इसके बाद कारगिल से 11 वाहनों को जंस्कार के लिए रवाना किया। ये वाहन समय रहते जंस्कार में प्रवेश भी कर गए। इससे पहले लद्दाख में कभी भी मध्य जनवरी में यह राजमार्ग खोला नहीं जा सका।

करगिल जिला प्रशासन के अनुसार शून्य से 30 डिग्री के कम तापमान पर राष्ट्रीय राजमार्ग को ट्रैफिक के लिए खोलने का कार्य चलाया गया। कारगिल हिल काउंसिल के जंस्कार मामलों के एग्जीक्यूटिव काउंसिलर के अनुसार कारगिल के मैकेनिकल डिविजन के आपरेटरों ने यह कारनामा कर दिखाया। बुलडोजर, लोडरों व उनके 20 आपरेटरों ने चुनौतीपूर्ण हालात में काम करते हुए हाईवे से तीन फुट बर्फ हटाकर यातायात को सुनिश्चित बनाया।

लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद अब करगिल प्रशासन को बर्फ हटाने के लिए नई मशीनें खरीदने के लिए तीन करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए थे। इसका ही असर है लगातार सड़क मार्ग खोलने का कार्य चल रहा है। यहां बता दें कि जंस्कार में पहली बार 18 जनवरी से खेलो इंडिया के तहत खेल महोत्सव आरंभ हो रहा है।

कई बार बर्फ के तूफानों का किया सामना: सड़क खोलने में जुटी रही जुझारू टीम के प्रभारी गयाजुद्दीन ने बताया कि उनकी टीम को सड़क खोलने के दौरान कड़ी ठंड के साथ बर्फीले तूफान का भी सामना करना पड़ा। पर टीम ने कभी हौसला नहीं छोड़ा और हम इतिहास रचने में सफल रहे।

सितंबर के बाद बंद हो जाता था रास्ता: कारगिल से जंस्कार मार्ग सितंबर के बाद बंद हो जाता था और उसके बाद जंस्कार सड़क मार्ग से कट जाता था। उसके बाद जंस्कार घाटी में जाने का रास्ता केवल चद्दर ट्रैक ही बचता था। जंस्कार नदी सर्दियों में जम जाती थी और जमीन नदी के कारण बने रास्ते पर ट्रैकिंग के लिए दुनिया भर के पर्यटक पहुंचते थे। राेमांच के शौकीन पर्यटकों के लिए यह ट्रैक जन्‍नत से कम नहीं है।

जंस्‍कार क्‍यों है खास: जंस्‍कार घाटी अपनी खूबसूरती के लिए खास है। बर्फ से ढकी पहाडि़याें और झरनों के बीच बसी जंस्‍कार वेली में दुनियाभर से पर्यटक पहुंचते हैं। छह माह सड़क मार्ग से कटे रहने के कारण इस मौसम में केवल गिने-चुने पर्यटक पहुंच पाते थे। इस समय नदी और झरने सब जम चुके हैं और यहां का सौंदर्य किसी को भी आकर्षित कर सकता है। इस क्षेत्र का प्रशासनिक हेडक्‍वार्टर पदम कस्‍बे में स्थित है।

जंस्‍कार घाटी का नाम यहां से गुजरने वाली जंस्‍कार नदी पर पड़ा है। सिंधु नदी की सहायक नदी जंस्‍कार सर्दी के मौसम में जम जाती है और लेह के रास्‍ते आने वाले पर्यटक इस नदी पर जमी बर्फ को ट्रैक की तरह इस्‍तेमाल करते हैं। ऐसे में इस दौरान ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने यहां सफेद चादर बिछा दी हो।

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