रोशनी भूमि घोटाला : प्रशासन और जांच एजेंसियों को भी हाई कोर्ट ने लगाई थी फटकार
हाईकोर्ट ने नेताओं व नौकरशाहों के लालच को रोशनी घोटाले के लिए सीधा जिम्मेदार ठहराया साथ ही जांच एजेंसियों को भी सही न कार्य करने का जिम्मेदार माना। आदेश में कोर्ट ने साफ लिखा था कि रोशनी एक्ट की बुनियाद रसूखदारों की स्वार्थ पूर्ति के लिए ही रखी गई थी।
जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू कश्मीर में जमीन की खुली लूट के तौर पर जाना जाने वाले रोशनी भूमि घोटाले की जांच अक्टूबर माह में सीबीआइ को सौंपते हुए जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने राज्य प्रशासन और अफसरशाही पर भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उन्होंने पूर्व की जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए थे।
हाईकोर्ट ने नेताओं व नौकरशाहों के लालच को घोटाले के लिए सीधा जिम्मेदार ठहराया ही, साथ ही अफसरशाही और जांच एजेंसियों पर भी सही न कार्य करने का जिम्मेदार माना। अक्टूबर माह में आए आदेश में कोर्ट ने साफ लिखा कि रोशनी एक्ट की बुनियाद स्वार्थ पूर्ति के लिए ही रखी थी। नेताओं और नौकरशाहों की नीयत में खोट था और उन्होंने सरकारी और वन विभाग की जमीनों को हथिया लिया।
खंडपीठ ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को भी कठघरे में खड़ा किया और जांच के नाम पर की गई कसरत को दिखावा बताया। संगठन ने उन लोगों को बचाया जो गोरखधंधे में शामिल रहे हैं। इसका अंदाजा इससे लग सकता है कि 2019 में एंटी करप्शन ब्यूरो ने क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी। प्रशासनिक अफसरों में हिम्मत नहीं थी कि वह उनके खिलाफ कार्रवाई करते जिन्होंने रोशनी एक्ट की आड़ में लूट-खसोट की।
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं की न्याय की दलीलों को इन नेताओं के कानों पर कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने लूटखसोट करने वालों को प्रोत्साहित ही किया।
राजस्व विभाग को नाम सार्वजनिक करने के दिए थे आदेश
हाई कोर्ट ने राजस्व विभाग को भी आदेश दिया था कि लाभ पाने वाले रसूखदारों के नाम सार्वजनिक करे।विभाग को इन रसूखदारों के नाम पर अपनी वेबसाइट पर भी पोस्ट करने होंगे। सीबीआइ जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, इन लोगों के नाम सामने आने आरंभ हो चुके हैं।