Jammu Kashmir: हाईकोर्ट की पीडीडी को फटकार, पीड़ित श्रमिक को 20 लाख रुपये मुआवजा देने के निर्देश
केस के मुताबिक याची ने शिकायत दर्ज करवाई जिसमें कहा गया कि याची के पिता को श्रमिक के तौर पर ऊधमपुर के संबल में डिस्ट्रक्ट सायल कंजरवेशन का कार्यालय बनाने के काम में लगाया गया था। कार्यालय के प्रवेश द्वार से 11 केवी की हाईटेंशन डबल सर्किट लाइन गुजरती थी।
जम्मू, जेएनएफ। हाईकोर्ट ने पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (पीडीडी) को एक श्रमिक को 20 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने पाया कि विभाग की लापरवाही के कारण श्रमिक 90 फीसद अपाहिज हो गया और ऐसे में जरूरी है कि विभाग इस नुकसान का उचित मुआवजा दे।
केस के मुताबिक याची ने शिकायत दर्ज करवाई जिसमें कहा गया कि याची के पिता को श्रमिक के तौर पर ऊधमपुर के संबल में डिस्ट्रक्ट सायल कंजरवेशन का कार्यालय बनाने के काम में लगाया गया था। इस कार्यालय के प्रवेश द्वार से 11 केवी की हाई टेंशन डबल सर्किट लाइन गुजरती थी। इससे वहां काम करने वाले श्रमिकों और उनके साथ वहां आने वाले परिवार के सदस्यों को जान का खतरा था और श्रमिकों ने इसे हटाने की मांग भी की थी लेकिन पीडीडी ने इस मांग को दरकिनार किया।
याची के अनुसार पहली अप्रैल 2009 को याची अपने पिता के साथ इस इमारत में गया था और दोपहर करीब 3.45 बजे जब वह तारों के नीचे बैठा था तो अचानक तारों में आगजनी हुई और वह उसकी चपेट में आ गया। करंट लगाने से उसका पूरा शरीर जल गया और एक बाजू भी काटनी पड़ी। याची ने ऊधमपुर के सीएमओ की रिपोर्ट भी पेश की जिसमें याची को 90 फीसद अपाहिज करार दिया गया था। हाईकोर्ट ने पाया कि हादसे के समय याची की उम्र 13 साल थी। ऐसे में प्रति माह छह हजार रुपये आमदनी को भी आधार बनाया जाए तो याची को कम से कम बीस लाख मुआवजा मिलना चाहिए।
जमानत अर्जी खारिज
ग्रिड स्टेशन सिदड़ा में चोरी करने के आरोप में पकड़े गए रोहिंग्या मंसूर कमल व मोहम्मद यासीन की जमानत अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। केस के मुताबिक 10-11 नवंबर की रात को आठ से दस लोग ग्रिड स्टेशन में घुसे और वहां खराब ट्रांसफार्मरों की पड़ी कापर तार व कुछ अन्य सामान चुराकर ले गए। पुलिस ने शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज की और आरोपितों को गिरफ्तार करते हुए 30-40 किलो कापर तार बरामद भी की।