Jammu Kashmir: अनुपालन रिपोर्ट पेश न होने की सूरत में हाईकोर्ट ने वन विभाग के आयुक्त सचिव को पेश होने के दिए निर्देश

केस के मुताबिक वर्ष 2012 में हाईकोर्ट ने याची को उसके पद पर स्थायी करने का निर्देश दिया था। याची के जूनियर कर्मचारियों को चार साल पहले स्थायी किया गया था और हाईकोर्ट ने कहा था कि याची को भी उसी दिन से स्थायी करते हुए सभी लाभ दिए जाए।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 09:53 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 09:53 PM (IST)
Jammu Kashmir: अनुपालन रिपोर्ट पेश न होने की सूरत में हाईकोर्ट ने वन विभाग के आयुक्त सचिव को पेश होने के दिए निर्देश
आयुक्त सचिव अगली सुनवाई पर स्वयं पेश होकर स्थिति स्पष्ट करें।

जम्मू, जेएनएफ । हाईकोर्ट के आदेश का पालन न किए जाने पर मोहन लाल की ओर से दायर अवमानना याचिका पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने वन विभाग के आयुक्त सचिव को चार सप्ताह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुपालन रिपोर्ट पेश न किए जाने की सूरत में आयुक्त सचिव अगली सुनवाई पर स्वयं पेश होकर स्थिति स्पष्ट करें।

केस के मुताबिक वर्ष 2012 में हाईकोर्ट ने याची को उसके पद पर स्थायी करने का निर्देश दिया था। याची के जूनियर कर्मचारियों को चार साल पहले स्थायी किया गया था और हाईकोर्ट ने कहा था कि याची को भी उसी दिन से स्थायी करते हुए सभी लाभ दिए जाए। याची मोहन लाल ने अवमानना याचिका दायर करते हुए कहा कि स्पष्ट निर्देश के बावजूद उसकी सेवाओं को स्थायी नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने पाया कि इस मामले में पहले भी विभाग को अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है लेकिन विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। लिहाजा चार सप्ताह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट पेश की जाए या फिर वन विभाग के आयुक्त सचिव स्वयं पेश होकर स्थिति स्पष्ट करें।

फर्जी गन लाइसेंस में कार्रवाई रोकने की मांग खारिज

हाईकोर्ट ने फर्जी गन लाइसेंस के बहुचर्चित मामले में कार्रवाई रोकने की दलीप सिंह की मांग को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने पाया कि याची के पास ऐसा कोई तथ्य या आधार नहीं, जिसके आधार पर इस मामले में जांच या कार्रवाई पर राेक लगाई जाए। केस के मुताबिक वर्ष 1998 में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोगों को जम्मू जिले से गन लाइसेंस जारी किए जाने की सूचना दी थी। सूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच जम्मू ने प्रारंभिक जांच के बाद 1999 में एफआईआर दर्ज की।

जांच में पता चला कि 1994 से 1998 के बीच काफी ऐसे लोगों को जम्मू के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय की ओर से गन लाइसेंस जारी किए गए, जो लोग जम्मू के रहने वाले नहीं थे। क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच कर रही थी लेकिन इस बीच वर्ष 2001 में केंद्र सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। इस मामले में सीबीआई ने कई चालान पेश किए। हाईकोर्ट ने पाया कि याची के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने 2013 में आरोप तय करते हुए आपराधिक कार्रवाई का निर्देश दिया था। याची के पास ऐसा कोई तर्क नहीं जिसके आधार पर इस कार्रवाई पर रोक लगाई जा सके। 

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