बर्फबारी-बारिश और ओलावृष्टि से बासमती धान को भारी नुकसान, जम्मू-श्रीनगर हाइवे, मुगल रोड यातायात के लिए अवरूद्ध
जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में 0830 घंटे तक 31.6 मिमी बारिश हुई।इस बीच मौजूदा मौसम की स्थिति ने भी अधिकारियों को एहतियात के तौर पर जम्मू-कश्मीरमें महत्वपूर्ण सड़कों को बंद करने का फैसला लिया है। जम्मू कश्मीर में तापमान में भारी गिरावट देखने को मिली।
जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू कश्मीर के उंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम की पहली बर्फबारी और मैदानी इलाकों में तेज हवाओं के बीच हुई बारिश और ओलावृष्टि से जनजीवन प्रभावित होकर रह गया।जिससे जम्मू कश्मीर में तापमान में भारी गिरावट देखने को मिली।
बारिश के कारण रामबन के निकट भूस्खलन के कारण 279 किलोमीटर लंबा जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग, मुगल रोड और सोनमर्ग जोजिला मार्ग यातायात के लिए ठप होकर रह गया।विश्व प्रसिद्ध स्की-रिसॉर्ट, गुलमर्ग, विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम, शोपियां, गुरेज, जोजिला और अन्य सहित कश्मीर के कई हिस्सों में शुक्रवार की मध्यरात्रि में ताजा बर्फबारी से तापमान में गिरावट देखने को मिली।जम्मू-कश्मीर के मैदानी इलाकों में शनिवार तड़के से रूक रूक कर बारिश जारी है।बारिश और ओलावृष्टि से खरीफ की बासमति धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है।तेज हवाओं के कारण धान की पक कर खड़ी फसल तबाह हो चुकी है।कुछेक किसान जिन्होंने बासमति फसल की कटाई शुरू कर दी थी, उनके फसल पानी में डूब जाने से किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है।जिन इलाकों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है उनमें जम्मू के सीमावर्ती इलाके आरएसपुरा का सुचेतगढ़,देवीगढ़,चकरोई,घराना, घरानी, बडियाल,कपूरपुर,अब्दाल, पूवबाना, खानेचक्क आदि में खरीफ की 370 बासमति धान खेतों में हवाओं के बीच बारिश और ओलावृष्टि में तबाह हो चुकी है।बिश्नाह तहसील के जिन गांवों में धान को नुकसान पहुंचा उनमें बिश्नाह,चक्कबाना,सरोर,शाहपुर रिहाल,मझुआ, मंगाल, अरनिया, चानना त्रेवा, चंदिया, पिंडी, चाढका, जब्बोवाल, अरनिया, कूल सहित दर्जनों गांव शामिल हैं।तहसील रामगढ के जिन गांवों में धान की फसल को नुकसान हुआ उनमें मालशाह, स्वांखा, करालियां, दग, चक्क शटाका,दबलेड़, सेई खुर्द, सेईकलां, बालाचक्क, व्यासपुर, परलाह,जबकि और घग्वाल में राजपुरा, चिलियारी, चचवाल मंगूचक्क, केसो पखड़ी, बैनगलाड़ और हीरानगर के राजपुरा,चक्कफकीरां, कंगवाला में भी भारी नुक्सान से किसान आहत है।
मौसम विभाग के अनुसार जम्मू-कश्मीर के मैदानी इलाकों में भी बीते शनिवार रात से बारिश हो रही है। विभाग का कहना है कि रविवार दोपहर तक बारिश और हिमपात की संभावना है।पूर्वानुमान के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ ने जम्मू-कश्मीर को प्रभावित किया है।अधिकारी ने कहा, "रविवार दोपहर से मौसम की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होना शुरू हो जाएगा और शुष्क मौसम 02 नवंबर, 2021 तक जारी रहने की उम्मीद है"बना रहेगा।
जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में 0830 घंटे तक 31.6 मिमी बारिश हुई।इस बीच, मौजूदा मौसम की स्थिति ने भी अधिकारियों को एहतियात के तौर पर जम्मू-कश्मीरमें महत्वपूर्ण सड़कों को बंद करने का फैसला लिया है।अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि रामबन के पास कैफेटेरिया मोड़ में भारी बारिश के कारण जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग को बंद कर दिया गया है, जबकि पीरपंजाल पर्वत श्रृंखला के ऊंचे इलाकों में भारी बर्फबारी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप मुगल रोड को बंद कर दिया गया है।
सुबह से भारी बारिश को देखते हुए लोगों को सलाह दी जाती है कि वे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-44) और रामबन में अन्य सभी महत्वपूर्ण अंतर-जिला सड़कों पर किसी भी तरह की अनावश्यक यात्रा से बचें।पीर की गली के पास ताजा बर्फबारी के कारण शोपियां और पुंछ जिलों को जोड़ने वाली मुगल रोडको भी बंद कर दिया गया है, जबकि सड़क को साफ करने के लिए लोगों और मशीनरी को लगाया गया है।उपाधीक्षक यातायात आफताब शाह ने कहा कि पीर की गली में बर्फबारी और खराब मौसम के कारण मुगल रोड को वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है।
उन्होंने लोगों से अपनी यात्रा की योजना उसी के अनुसार बनाने की भी अपील की।इसके अलावा, मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में जोजिला के ऊपरी इलाकों में मध्यम हिमपात होने के बाद सोनमर्ग-जोजिला मार्ग को भी बंद कर दिया गया था।गांदरबल जिले के द्रास और सोनमर्ग इलाकों में बर्फबारी के कारण सोनमर्ग-द्रास मार्ग बंद हो गया है.फिसलन की स्थिति और ताजा बर्फबारी को देखते हुए एहतियात के तौर पर सोनमर्ग-जोजिला मार्ग को बंद कर दिया गया है.जिला प्रशासन गांदरबल ने भी एक एडवाइजरी जारी कर लोगों से भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में बाहर निकलने से बचने को कहा है। मौसम विभाग द्वारा जारी मौसम की सलाह के मद्देनजर, कंगन सब-डिवीजन की आम जनता और जिले के ऊंचे इलाकों में रहने वालों को सतर्क रहने और ढलान, पहाड़ी क्षेत्रों या बाढ़/भूस्खलन की संभावना से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी है।