Jammu : कभी पाकिस्तानी गोलों का कहर तो कभी कुदरत की मार, ज़्यादातर किसानो की फसल तबाह
हम परिवार के सभी लोग अपना गुज़र बसर अच्छे से कर सके। इस बार हुई बारिश ने तो हम लोगों की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है और अब सारी आस सरकार पर ही है कि वह हम किसानो को कितना मुआवजा देती है।
सांबा, संवाद सहयोगी : कभी पाकिस्तानी गोलियों की मार तो कभी कुदरत का कहर उक्त बातें उन किसानों के लिए ठीक बैठती है जो भारत पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ खेती करते है ।
कल हुई बारिश ने खेतो में कड़ी फसलों को पूरी तरह से बर्बाद करके रख दिया है इनमे वो खेत भी शामिल है जो कभी पाकिस्तानी गोलियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठते थे हालांकि पिछले कुछ महीनो से युद्धविराम के बाद से सीमा पर शांति चल रही है। इस बार हुई बारिश से ज़्यादातर मार सीमावर्ती गांव के किसानो को ही लगी है क्यूंकि धान की फसल भी इन्ही इलाको में लगाई जाती है।
सीमावर्ती गांव जेरडा के निवासी एवं पूर्व सरपंच मोहन सिंह भट्टी ने बताया कि हमारा सारा गांव भरता पाक सीमा के साथ लगता है और कई बार गोलीबारी की वजह से हमने अपनी बोई हुई फसल काटी नहीं है जिससे किसानो का कई ज़्यादा नुक्सान हुआ था परन्तु युद्धविराम के बाद सीमा पर शांति तो हुई पर कुदरत ने सारा खेल बिगाड़ दिया और त्यार हुई फसल को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
सीमावर्ती गांव मंगू चक के निवासी बिशन दास ने बताया कि मेरी खुद की चार एकड़ के करीब धान की त्यार फसल तबाह हो गई है और इसी से मेरा और मेरे परिवार का गुजर बसर होता था उन्होंने बताया कि युद्धविराम से पहले कई बार सीमा पर गोलाबारी के कारण हमारी फसल खेतो में ही खड़ी रहती थी और वहीँ पर ही नष्ट हो जाती थी। सरकार द्धारा दिया हुआ मुआवजा भी उचित नहीं होता था कि हम परिवार के सभी लोग अपना गुज़र बसर अच्छे से कर सके। इस बार हुई बारिश ने तो हम लोगों की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है और अब सारी आस सरकार पर ही है कि वह हम किसानो को कितना मुआवजा देती है।
आपको बता दें कि बारिश व ओलावृष्टि के बाद किसानों की फसलों को पहुंचे नुकसान का जायजा लेने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी जुटे हुए हैं। नुकसान आंकलन कर जल्द ही वे अपना रिपोर्ट प्रशासन को सौंपेंगे।