Jammu Kashmir: सरकार नए कानून लाकर कर्मचारियों को प्रताड़ित करने के हथकंडे न अपनाए : फोरम

जम्मू कश्मीर इंप्लाइज ज्वाइंट एक्शन फोरम ने एसआरओ 26 में संशोधन किए जाने का विरोध करते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार नए-नए कानून बनाकर कर्मचारियों काे प्रताड़ित कर रही है। फोरम ने कहा है कि सरकार ऐसे हथकंडे अपनाना छोड़ दे।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 05:23 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 05:23 PM (IST)
Jammu Kashmir: सरकार नए कानून लाकर कर्मचारियों को प्रताड़ित करने के हथकंडे न अपनाए : फोरम
सुशील सुदन ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में पहले से ही पर्याप्त कानून है।

जम्मू, जागरण संवाददाता । जम्मू कश्मीर इंप्लाइज ज्वाइंट एक्शन फोरम ने एसआरओ 26 में संशोधन किए जाने का विरोध करते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार नए-नए कानून बनाकर कर्मचारियों काे प्रताड़ित कर रही है। फोरम ने कहा है कि सरकार ऐसे हथकंडे अपनाना छोड़ दे, अन्यथा कर्मचारियों को सरकार के ऐसे रवैये के विरोध में कामछोड़ सड़कों पर उतरना पड़ेगा। फोरम ने कहा है कि भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जम्मू-कश्मीर में पहले से पर्याप्त कानून है, ऐसे में कर्मचारियों को 48 साल आयु या 22 साल की नौकरी होने पर जबरन सेवानिवृत्त करने के लिए किए गए संशोधन तानाशाही रवैया है।

फोरम के नेता सुशील सूदन ने बुधवार को प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ पूरे जम्मू-कश्मीर के कर्मचारी संगठन इस फोरम के बैनर तले आए है और अपनी आवाज बुलंद करने का फैसला लिया है। सुशील सुदन ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में पहले से ही पर्याप्त कानून है। पूर्व में स्टेट विजिलेंस आर्गेनाइजेशन व मौजूदा समय में एंटी करप्शन ब्यूरो के पास पर्याप्त अधिकार है। पहले भी अगर किसी कर्मचारी पर भ्रष्टाचार के मामले होते थे तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होती थी।

सूदन ने कहा कि फोेरम भ्रष्ट कर्मचारियों का समर्थन नहीं करता लेकिन कानून की अाड़ में कर्मचारियों का शोषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एसआरओ में संशोधन करके अधिकारियों को अतिरिक्त अधिकार दिए जा रहे हैं जिससे वे कर्मचारियों का शोषण करेंगे और कर्मचारियों काे प्रताड़ित होना पड़ेगा। इसका सबसे अधिक असर छोटे कर्मचारियों पर होगा। उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से कर्मचारी विरोधी कानून वापस लेने की मांग भी की।

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