Jammu Kashmir: राजनीतिक बंदियों को रिहा करने पर विचार कर रही सरकार

सर्वदलीय बैठक के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है। केंद्र के निर्देश पर जम्मू कश्मीर सरकार विभिन्न राजनीतिक बंदियों के मामलों की समीक्षा व उनकी रिहाई पर विचार कर रही है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sun, 27 Jun 2021 07:25 AM (IST) Updated:Sun, 27 Jun 2021 07:25 AM (IST)
Jammu Kashmir: राजनीतिक बंदियों को रिहा करने पर विचार कर रही सरकार
एनआइए, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा दर्ज मामलों में पकड़े गए लोगों को राहत नहीं मिलेगी।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : सर्वदलीय बैठक के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है। केंद्र के निर्देश पर जम्मू कश्मीर सरकार विभिन्न राजनीतिक बंदियों के मामलों की समीक्षा व उनकी रिहाई पर विचार कर रही है।

इनमें जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंदी बनाए गए लोग भी शामिल हैं। इनकी रिहाई से पहले एक समीति इनके मामलों की समीक्षा करेगी। इसमें राष्ट्रविरोधी गतिविधियोंं और गंभीर अपराधों में लिप्त लोगों या राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा दर्ज मामलों में पकड़े गए लोगों को राहत नहीं मिलेगी। उन्हेंं कानूनी कार्रवाई का सामाना करना पड़ेगा।

केंद्र ने जम्मू कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की शुरू की कवायद

केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में माहौल को पूरी तरह साजगार बनाने और राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए गत वीरवार को नई दिल्ली में प्रदेश के आठ दलों के 14 नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया था। बैठक में नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कांफ्रेंस, माकपा और अपनी पार्टी के नेताओं ने कथित तौर पर पीएसए के तहत बंदी बनाए गए विभिन्न राजनीतिक नेताओं व अन्य लोगों की रिहाई पर जोर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में हालांकि केंद्र सरकार ने पीएसए के तहत बंदी बनाए गए या फिर अन्य राजनीतिक बंदियों की रिहाई पर कोई आश्वासन देने बजाय कहा था कि जिन लोगों के खिलाफ गंभीर मामले हैं या जिनके खिलाफ एनआइए या ईडी की जांच जारी है, उनके मामले में सरकार का कोई दखल नहीं है और न होगा। उनके खिलाफ संबंधित कानून के तहत कार्रवाई होगी और वे न्यायिक प्रक्रिया से गुजरेंगे।

जेलों में पीएसए के तहत बंद लोगों का मांगा ब्योरा :

सूत्रों ने बताया कि बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कथित तौर पर जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार से विभिन्न जेलों में पीएसए के तहत बंद लोगों का पूरा ब्योरा मांगा है। सूत्रों ने बताया कि इन सभी के मामलों की समीक्षा के लिए एक समिति भी गठित की जाएगी। समिति में मुख्य सचिव, गृहसचिव, पुलिस विभाग में महानिदेशक या एडीजीपी रैंक का अधिकारी और एक या दो वरिष्ठ कानूनविद्ध या हाईकोर्ट के न्यायाधीश भी शामिल किए जा सकते हैं।

तीन दर्जन हो सकती है हिरासत है संख्या :

सूत्रों ने पीएसए के तहत बंदी बनाए गए लोगों की संख्या की पुष्टि से इनकार करते हुए कहा कि करीब तीन दर्जन ऐसे लोग हैं, जो विभिन्न राजनीतिक दलों से संबंध रखते हैं, जिन्हें एहतियातन हिरासत में लिया गया है या फिर विभिन्न कारणों से पीएसए के तहत बंदी बनाया गया है। इनके अलावा उन लोगों को भी इस प्रक्रिया में सहृदयता के नाम पर रिहाई मिल सकती है जो किसी गंभीर मामले में लिप्त नहीं हैं और सिर्फ हिंसक प्रदर्शनोंं या राष्ट्रविरोधी नारेबाजी के सिलसिले में पकड़ेे गए हैं।

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