जम्मू-संभाग में 134 बच्चों को स्कालरशिप देने का सरकार का दावा, स्वजनों ने सरकारी दावों पर उठाए सवाल

दैनिक जागरण ने कई पीड़ित परिवारों से बात की उनमें से कुछ एक ही थे जो यह मान रहे थे कि उन्हें समाज कल्याण विभाग या सरकार की ओर से रुपये मिले हैं। हालांकि यह बात सभी परिवारों ने स्वीकार की कि उनके पास अधिकारियों के फोन आए थे।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 08:20 AM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 08:20 AM (IST)
जम्मू-संभाग में 134 बच्चों को स्कालरशिप देने का सरकार का दावा, स्वजनों ने सरकारी दावों पर उठाए सवाल
समाज कल्याण विभाग जम्मू की डायरेक्टर स्मिता सेठी ने दावा किया कि उनके पास 134 बच्चों की जानकारी थी।

जम्मू, रोहित जंडियाल: केस एक: जम्मू के अप्पर कनाल बिश्नाह की रहने वाली रितु शर्मा की कोरोना संक्रमण के कारण मौत हो गई थी। उसके दो बच्चे हैं। पति अरुण शर्मा पीडीडी में काम करते हैं। उनका कहना है कि उन्हें सरकार की ओर से कोई भी सहायता नहीं दी गई।

केस दो: अप्पर कनाल बिश्नाह के ही रहने वाले सुरेंद्र सिंह की बीस अप्रैल को कोरोना से मौत हो गई थी। उनके दो बच्चे हैं और दोनों ही स्कूल में पढ़ते हैं। लेकिन उनके परिजन देवेंद्र गिल का कहना है कि सरकारी विभागों से फोन तो बहुत आए लेकिन सहायता के रूप में एक रुपया नहीं मिला।

केस तीन: डोडा जिले की तहसील काहरा की रहने वाली शमीमा बेगम की इस साल मई महीने में मौत हुई। संक्रमण का पता लगने के तीन दिन बाद ही उसकी मौत हो गई। पति को डिस्क की समस्या है। वह मजदूरी करके अपने चार बच्चों का पालन-पोषण करती थी। अब कमाई का कोई साधन नहीं है। उसके पति मंजूर अहमद का कहना है कि अभी तक सरकार नेे कोई भी सहायता नहीं दी।

केस चार: जम्मू के खौड़ के रहने वाली मंजीत सिंह का इसी साल अप्रैल महीने में कोरोना से निधन हो गया था। वह इलेक्ट्रिशयन का काम करते थे। घर में कमाने वाला कोई नहीं है। एक पांच साल और एक तीन के दो बच्चे हैं। दोनों बच्चे अपनी मां और दादी के साथ रहते हैं। मंजीत की पत्नी जासमीन का कहना है कि उन्हें बैंक में खाता खुलवाने को कहा गया था लेकिन अभी पैसे नहीं आए हैं।

केस पांच: रामबन के परिस्तान के रहने वाले फरीद खान की 21 मई को कोरोना से मौत हो गई थी। उनके पांच बच्चे हैं। घर में कमाई का कोई साधन नहीं है। फरीद मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। अब पूरा बोझ नसीमा अख्तर पर पड़ गया है। उसका कहना है कि बैंक खाते में दस दिन पहले एक हजार रुपये आए थे। अब और भी रुपये आए हैं। कह रहे हैं कि बच्चों की पढ़ाई के लिए भी भेेजे हैं।

केस छह: गोविदपुरा, चट्ठा के रहने वाले गुरविंद्र सिंह की पांच फरवरी को कोरोना से मौत हो गई थी। उनका बेटा 12वीं कक्षा में है। लेकिन परिजनों का कहना है कि उनसे यह कहा गया कि स्कालरशिप के बीस हजार रुपये खाते मेें डाल दिए हें लेकिन उनके पास एक रुपया भी नहीं आया।

जम्मू-कश्मीर में छह तीन नहीं बल्कि कई-कई परिवार हैं जिनके घरों में कमाई करने वाले व्यक्ति की कोरोना के कारण मौत हो गई। कुल 546 बच्चों का पंजीकरण हुआ है जो कि अपनीं मां या पिता या फिर माता-पिता दोनों को खो चुके हैं। सरकार ने इनकी सहायता के लिए सक्षम योजना शुरू की थी। इसके तहत घर से कमाने वाला सदस्य अगर कोरोना के कारण जान गवां चुका है तो उसके घर के बड़े सदस्य और एक बच्चे को एक-एक हजार रुपये प्रति माह पेंशन, स्कूल जाने वाले बच्चे को बीस हजार रुपये स्कालरशिप और कालेज जाने वाले सदस्य को चालीस हजार रुपये स्कालरशिप दी जाएगी। समाज कल्याण विभाग का दावा है कि स्कूल और कालेज पढ़ने वाले कई बच्चों को स्कालरशिप दी गई है। लेकिन अभी बहुत से परिवार हैं जो कि यह कह रहे हैं कि उन्हें विभागीय अधिकारियों की ओर से फोन तो आए लेकिन उनके बैंक खातों में अभी एक भी रुपया नहीं आया।

दैनिक जागरण ने ऐसे कई पीड़ित परिवारों से बात की तो उनमें से कुछ एक ही थे जो यह मान रहे थे कि उन्हें समाज कल्याण विभाग या सरकार की ओर से रुपये मिले हैं। हालांकि यह बात सभी परिवारों ने स्वीकार की कि उनके पास अधिकारियों के फोन आए थे। बच्चों के बारे में जानकारी ली। उनके बैंक खाता नंबर लिए। उनसे यह भी कहा गया कि उन्हें रुपये दिए जा रहे हें लेकिन जब उन्होंने अपने बैंक खाते चैक किए तो रुपये नहीं आए थे।

समाज कल्याण विभाग जम्मू की डायरेक्टर स्मिता सेठी ने दावा किया कि उनके पास 134 बच्चों की जानकारी थी। इनमें से 27 ऐसे थे जो कि कालेजों में पढ़ते थे। उन सभी को चालीस-चालीस हजार रुपये स्कालरशिप दी गई है। वहीं सात बच्चे ऐसे थे जो कि अभी स्कूल नहीं जाते थे। लेकिन उनके नामों को भी स्कालरशिप के लिए मंजूर किया गया है। जब वे स्कूल में पढ़ना शुरू करेंगे तो उन्हें भी स्कालरशिप मिलना शुरू हो जाएगी। वहीं अन्य बच्चों को बीस-बीस हजार रुपये स्कालरशिप दी गई है। उन्होंने कहा कि जिनके अभिभावक सरकारी नौकरी कर रहे हैं, उन्हें स्कालरशिप नहीं दी गई है। यही नहीं 129 लोगों को पेंशन देने को मंजूरी दी जाएगी।

वहीं सरकार द्वारा सक्षम योजना के तहत लाभार्थियों का चयन करने के लिए बनी समिति की चेयरपर्सन शबनम कामिली का कहना है कि कुल 546 बच्चों का पंजीकरण किया गया था। सहायता राशि बांटने का काम जम्मू और कश्मीर दोनों ही संभागों के समाज कल्याण विभाग के निदेशकों को सौंपा गया था।

chat bot
आपका साथी