Jammu: सादे तरीके से मनाई गई गोगा नवमीं, घरों-देवस्थलों पर कोरोना नियमों का पालन करते हुई पूजा-अर्चना

देवस्थल के सेवक पंडित विजय शर्मा ने बताया कि इस बार कोरोना महामारी के मद्देनजर देवस्थल गोगा नवमीं नहीं मना पाया। अलबत्ता धार्मिक रीत को तोड़ नहीं सकते थे।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 08:57 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 08:57 PM (IST)
Jammu: सादे तरीके से मनाई गई गोगा नवमीं, घरों-देवस्थलों पर कोरोना नियमों का पालन करते हुई पूजा-अर्चना
Jammu: सादे तरीके से मनाई गई गोगा नवमीं, घरों-देवस्थलों पर कोरोना नियमों का पालन करते हुई पूजा-अर्चना

जम्मू, जागरण संवाददाता : कोरोना काल के चलते जम्मू में गोगा नवमीं का पर्व सादे तरीके से मनाया गया। अधिकतर लोगों ने घरों में ही कुलदेवता राजा मंडलीक, कालीवीर की पूजा-अर्चना की। अलबत्ता देवस्थलों को भी पूजा-अर्चना के लिए खोला गया था। कुछेक लोग धार्मिक अनुष्ठान के लिए देवस्थलों पर भी पहुंचे और शारीरिक दूरी का पालन करते हुए कुलदेवता का आशीर्वाद ग्रहण किया।

ऐसे ही जम्मू में नरवाल चौक के नजदीक राजा मंडलीक के ऐतिहासिक देवस्थल में भी सुबह शारीरिक दूरी के साथ कुलदेवता की पूजा-अर्चना की गई। हर साल की तरह होने वाले विशाल भंडारे का आयोजन काेरोना महामारी के मद्देनजर इस बार आयोजित नहीं किया गया। देवस्थल का मुख्य गेट भी बंद रहा। छोटे गेट से परिवार व कुल के सदस्यों ने बारी-बारी आकर देवस्थल में माथा टेका। वर्षाें से इस देवस्थल में पहुंचने वाले श्रद्धालु भी मास्क पहन कर एक-एक करके यहां नत्मस्तक हुए। यहां सैनिटाइजेशन करने के साथ हाथों को साफ करने के पर्याप्त प्रबंध किए गए थे।

देवस्थल के सेवक पंडित विजय शर्मा ने बताया कि इस बार कोरोना महामारी के मद्देनजर देवस्थल गोगा नवमीं नहीं मना पाया। अलबत्ता धार्मिक रीत को तोड़ नहीं सकते थे। लिहाजा सुबह कंजक पूजन के साथ जरूरी अनुष्ठान पूरे किए गए। बिना भीड़ लगाए परिवार के सदस्यों और बहुत कम संख्या में लोगों ने देवस्थल में पहुंच कर माथा टेका और कुलदेवता का आशीर्वाद ग्रहण किया। उन्होंने कहा कि 16 अगस्त से धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति है। नियमों का पालन करते हुए देवस्थल को भी आम लोगों के लिए खोलने के प्रबंध किए जाएंगे। उसके बाद ही भंडारा आयोजित करने बारे भी निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल सादगी के साथ गोगा नवमीं मनाई गई है।

वहीं बहुत से लोगों ने घरों में ही देवता का भोग लगाने के साथ पूजन किया। भीड़ नहीं जुटाने के मद्देनजर घरों में भी परिवार के सदस्यों ने बारी-बारी ही पूजा-अर्चना की। ऐसे ही राजा मंडलीक जिन्हें गोगा पीर, जाहरवीर भी कहा जाता है, का यह पर्व विभिन्न देवस्थलों में आयोजित हुआ। सुंजवां में कालीवीर देवस्थल पर भी ऐसे ही पूजा-अर्चना की गई।  

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