GMC Jammu: वेंटीलेटर आडिट रिपोर्ट; जीएमसी में खराब पड़े रहे वेंटीलेटर, प्रशासन कहता रहा-सब ठीक हैं

आडिट टीम ने यह भी पाया कि 28 अन्य वेंटीलेटर ऐसे हैं जो लगाए तो गए लेकिन मरम्मत की जरूरत है। जिस कंपनी ने वेंटीलेटर लगाए हैं उसने सर्विस मुहैया नहीं करवाई। इन वेंटीलेटर में आक्सीजन सेंसर काम नहीं कर रहा है। इन्हें बदलने की जरूरत है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 08:55 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 08:55 AM (IST)
GMC Jammu: वेंटीलेटर आडिट रिपोर्ट;  जीएमसी में खराब पड़े रहे वेंटीलेटर, प्रशासन कहता रहा-सब ठीक हैं
जीएमसी प्रशासन वेंटीलेटर काम करने का झूठा दावा लगातार करता रहा था।

जम्मू, रोहित जंडियाल: जम्मू के राजकीय मेडिकल कालेज (जीएमसी) में पीएम केयर्स फंड के तहत 133 वेंटीलेटर आए थे। इनमें से 56 वेंटीलेटर बंद कमरे में धूल फांकते रहे, क्योंकि 28 में यूपीएस नहीं था तो बाकी ने काम नहीं किया, जिनमें मरम्मत की जरूरत थी। इन्हें लगाने वाले कंपनी सर्विस करने तक नहीं आई। हद तो यह भी रही कि जीएमसी प्रशासन ने कंपनी से संपर्क जरूर किया, लेकिन अधिकारिक तौर पर कोई शिकायत ही नहीं की गई।

वहीं, 34 वेंटीलेटर गांधीनगर के उस जच्चा-बच्चा अस्पताल में भेज दिए, जहां पर इन्हें चलाने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ का ही संकट था। यह बात पीएम केयर्स फंड के तहत आए वेंटीलेटर का आडिट करने वाली टीम की रिपोर्ट में कही गई है। टीम ने अपनी रिपोर्ट में कई सवाल उठाए हैं। दैनिक जागरण ने भी जीएमसी में कई वेंटीलेटर के काम नहीं करने की बात कही थी। आडिट टीम की रिपोर्ट से इस पर 'मुहर' लग गई है। हैरानगी की बात यह है कि जीएमसी प्रशासन वेंटीलेटर काम करने का झूठा दावा लगातार करता रहा था।

आडिट करने वाली पांच सदस्यीय टीम में जीएमसी के मेडिकल सुपङ्क्षरटेंडेंट डा. एसडीएस मन्हास, असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर भारती बाचलू, एजीवीए हेल्थ केयर से राहुल कुमार, डीजीएचएस से अमित कुमार और मनीष राय शामिल थे। चार पेज की आडिट रिपोर्ट में टीम ने लिखा है कि राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में पीएम केयर्स फंड के तहत कुल 133 वेंटीलेटर आए हैं। इनमें 99 वेंटीलेटर भारती इलेक्ट्रानिक और 34 वेंटीलेटर एजीवीए हेल्थ केयर ने सप्लाई किए। रिपोर्ट के अनुसार उक्त 99 में से 28 वेंटीलेटर काम नहीं कर रहे हैं।

इसका कारण इन वेंटीलेटरों के साथ यूपीएस का नहीं होना बताया गया। जीएमसी प्रशासन ने टीम को बताया कि यूपीएस ही देरी से सप्लाई किए गए। इस कारण वेंटीलेटर नहीं चल पाए। हालांकि, जीएमसी प्रशासन ने यह स्वीकार किया है कि जब कंपनी के कर्मचारी वेंटीलेटर लगाने आए तो प्रमाणपत्र जारी किए गए थे।

आडिट टीम ने यह भी पाया कि 28 अन्य वेंटीलेटर ऐसे हैं जो लगाए तो गए, लेकिन मरम्मत की जरूरत है। जिस कंपनी ने वेंटीलेटर लगाए हैं, उसने सर्विस मुहैया नहीं करवाई। इन वेंटीलेटर में आक्सीजन सेंसर काम नहीं कर रहा है। इन्हें बदलने की जरूरत है। टीम ने जब जीएमसी प्रशासन से यह पूछा कि आपने खराब हुए वेंटीलेटर को बदलने के लिए क्या किया तो बताया गया कि कंपनी को इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए कहा गया था, मगर कोई शिकायत नहीं की थी। टीम ने कहा है कि प्रशासन को इस मामले में कंपनी के टोल फ्री नंबर या फिर उनकी मेल आइडी पर शिकायत दर्ज करवानी चाहिए थी, मगर ऐसा नहीं हुआ।

स्टाफ प्रशिक्षित नहीं था: एजीवीए हेल्थकेयर द्वारा सप्लाई किए गए 34 वेंटीलेटर उन्होंने गांधीनगर के जच्चा-बच्चा अस्पताल में भेजने की बात कही। यह पूछे जाने पर कि क्या इन वेंटीलेटरों को चलाने के बारे में अस्पताल के स्टाफ सदस्यों को जानकारी थी। इस पर आडिट टीम ने कहा है कि जिस फर्म ने वेंटीलेटर सप्लाई किए, उसे ही स्टाफ को प्रशिक्षित करने के लिए कहा गया। अस्पताल में प्रशिक्षित स्टाफ ही नहीं था।

मेडिकल आक्सीजन का नहीं हुआ इस्तेमाल: आडिट टीम ने जीएमसी प्रशासन से यह पूछा कि क्या आपके पास पर्याप्त आधारभूत ढांचा था। मेडिकल आक्सीजन पाइपलाइन थी। आक्सीजन प्रेशर था। इस पर जीएमसी प्रशासन की ओर से पर्याप्त मेडिकल आक्सीजन और जरूरी प्रेशर दोनों होने की बात कही गई। मगर टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जीएमसी अस्पातल में मेडिकल आक्सीजन नहीं, बल्कि कंप्रेस्ड आक्सीजन अर्थात औद्योगिक आक्सीजन का इस्तेमाल हो रहा था।  

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