World Tourism Day 2020 : जम्मू संभाग में बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ठिठक रहे पर्यटकों के पांव

जम्मू कश्मीर को प्रकृति ने हसींन वादियां और मनोहारी झरने झील और बर्फ से ढकी पहाड़ दिए है। जिन्हें देख कर हर कोई इस खूबसूरती का दीवाना हो जाए।लेकिन आज यह वादियां पर्यटकों से सूनी है। इन वादियाें में 70 के दशक में बालीवुड की कई फिल्मों की शूटिंग हुई।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 11:22 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 11:22 AM (IST)
World Tourism Day 2020 : जम्मू संभाग में बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ठिठक रहे पर्यटकों के पांव
जम्मू के साथ लगते मानसर झील तक पहुंचने का रास्ते में सैकड़ों गड्ढे हैं

जम्मू, अवधेश चौहान । जम्मू कश्मीर को प्रकृति ने हसींन वादियां और मनोहारी झरने, झील और बर्फ से ढकी पहाड़ दिए है। जिन्हें देख कर हर कोई इस खूबसूरती का दीवाना हो जाए।लेकिन आज यह वादियां पर्यटकों से सूनी है। इन वादियाें में 70 के दशक में बालीवुड की कई फिल्मों की शूटिंग हुई।60 के दश्क की मशहूर हिंदी फिल्म जंगली का का गीत जिसे अभिनेता शम्मी कपूर पर दर्शाया गया, याहू चाहे कोई मुझे जंगली कहे...या फिर गुमरहा फिल्म का गीत यह वादिया ये फिजाए बुला रही है मुझे आज भी हर व्यक्ति इन मशहूर गीतों को गुनगुनाता है।

80 के दशक में नूरी फिल्म का भद्रवाह की हसीन वादियों में पूनम ढिल्लों पर दर्शाया गीत आजा रे आजा रे मेरे दिलबर आ जा, दिल की प्यास बुझा जा रे..हर जवान व्यक्ति के दिल पर राज करता है।आज इन हसीन वादियों को नजर सी लग गई है।3 दशको से भी अधिक समय तक आतंकवाद का दौर ने जम्मू कश्मीर में पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ। पर्यटन पर निर्भर जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया।कश्मीर घाटी में फिर भी पर्यटकों का आने का सिलसिला जारी रहा। देशभर के हरेक कोने से हर साल लाखों सैलानी कश्मीर घाटी की हसीन वादियों का नजार लेने के लिए आते है।लेकिन जम्मू के पर्यटन स्थलों की ओर इन्हें आकृर्षित करने में पूर्ववर्ती सरकारों ने हमेशा से भेदभवा किया।जम्मू संभाग में कई ऐसे पर्यटन स्थल है, जिन्हें टूरिज्म नक्शे में दर्शाया तक नही गया है।

जम्मू संभाग डोडा जिले के भद्रवाह की हसीन वादियां, जिन्हें मिनी कश्मीर कहा जाता है, का प्रचार प्रसार नही किया गया। भद्रवाह से लगता पर्यटन स्थल जेइ, पदरी की खूबसूरती राज्य के स्थानीय लोगों के दिलों में बसती है। वहीं कठुआ जिले का बनी, रंजीत सागर झील, सनासर, नत्था टॉप, सिंथनटाॅप,मानतलाई, नूरी छंब, चिंगस, मानसरसुरिंनसर, आदि कई पर्यटन स्थल है, जिन्हें पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित नही किया गया है। इन पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के लिए ढंग की अप्रोच रोड तक नही है।सैलानी अगर इन पर्यटन स्थलों की ओर चले भी जाए तो वहां ठहरने के लिए कोई व्यवस्था नही है।कोई भी सैलानी अगर किसी टूरिस्ट रिजार्ट पर जाता है तो वे सबसे पहले ठहरने और खाने पीने के इंतजाम को तलाशता है। लेकिन जम्मू संभाग के यह टूरिसट स्थल अतिथि नवाजी में कश्मीर के मुकाबले पिछड़ते नजर आएंगे। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि बीते 70 सालों में जम्मू कश्मीर के हुक्मरानों ने कश्मीर के पर्यटन स्थलों को विकसित करने में ही अपनी रूचि दिखाई। जबकि जम्मू संभाग से हमेशा भेदभाव ही किया।

आज भी जम्मू के साथ लगते मानसर झील तक पहुंचने का रास्ते में सैकड़ों गड्ढे हैं, कोई भी व्यक्ति इस पर्यटन स्थल पर जाने से पहले दो बार सोचता है। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35 ए को समाप्त करने के बाद जम्मू संभाग के लोगों को उम्मीद बंधी है कि जम्मू के पर्यटन स्थलों का भी विकास संभव होगा।जम्मू में तवी नदी पर बन कर तैयार केबल कार परियोजना काे उद्घघाटन के बाद भी लोगों के लिए नही खोला गया है। तवी नदी पर कृत्रिम झील सबारमति की तर्ज पर तवी नदी के तटो को विकसित करने की परियोजनाएं अधर में लटकी हुई है। एतिहासिक विरासत राजा की मुबारक मंडी का जीर्णोधार का लोगों काे इंतजार है।जम्मू में बार्डर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जो योजना बनाई गई थी आज भी पूरी नही हो पाई। बार्डर पर स्थित घराना वेट लैंड जहां साइबेरिया से विभिन्न प्रजाति के पक्षी आते है,की सड़क मार्ग को विकसित नही किया गया है।

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