Article 370: अपनी रिहाई के लिए अदालत जाने को तैयार नहीं है फारूक अब्दुल्ला

नेकां ने संकेत दिया कि डाॅ फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को बंदी बनाए जाने के खिलाफ वह अदालत में जाएंगे। इसके लिए नेकां के लीगल सेल ने भी तैयारी कर ली है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 18 Oct 2019 12:17 PM (IST) Updated:Fri, 18 Oct 2019 12:17 PM (IST)
Article 370: अपनी रिहाई के लिए अदालत जाने को तैयार नहीं है फारूक अब्दुल्ला
Article 370: अपनी रिहाई के लिए अदालत जाने को तैयार नहीं है फारूक अब्दुल्ला

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ फारुक अब्दुल्ला व उनके पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अपनी रिहाई के लिए अदालत में जाने को तैयार नहीं है। अलबत्ता दोनों ने एहतियातन हिरासत में लिए गए अन्य सभी राजनीतिज्ञों की रिहाई की मांग अवश्य की है। हालात में बेहतरी के आधार पर राज्य सरकार ने गत माह ही राजनीतिक बंदियों की रिहाई का सिलसिला शुरु किया था। अब तक करीब दो दर्जन लोगों को सशर्त रिहा किया गया है। इनमें नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के कई पूर्व विधायक भी शामिल हैं। इस दौरान संबधित प्रशासन ने नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष डाॅ फारुक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के अलावा पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती से भी संपर्क किया। इन नेताओं से कथित तौर पर उनकी रिहाई व अन्य संबधित मामलों पर चर्चा हुई, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी।

इस बीच, नेकां ने संकेत दिया कि डाॅ फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को बंदी बनाए जाने के खिलाफ वह अदालत में जाएंगे। इसके लिए नेकां के लीगल सेल ने भी तैयारी कर ली है। लीगल सेल के वरिष्ठ नेता और दक्षिण कश्मीर से नेकां की टिकट पर सांसद बनने वाले जस्टिस (रिटायर्ड) हसनैन मसूदी ने इस मुद्दे पर गत दिनों डाॅ फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला से भी मुलाकात की, लेकिन दोनों नेताओं ने अदालत में जाने से इंकार कर दिया।

जस्टिस (रिटायर्ड) हसनैन मसूदी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मैंने फारुक और उमर साहब दोनों से मुलाकात की। मैने उन्हें उनकी रिहाई के लिए अदालत में याचिका दायर करने के बारे में बताया पर उन्होंने इससे इंकार करते हुए कहा कि वह अदालत में नहीं जाएंगे। दोनों नेताओं ने तय किया है कि वे अकेले अपनी रिहाई के लिए तैयार नहीं। वह सभी राजनीतिक बंदियों की बिना शर्त रिहाई चाहते हैं। दोनों नेताओं ने कहा है कि जब तक कश्मीर में सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा कर उन्हें उनकी राजनीतिक गतिविधियों को बिना रुकावट आगे बढ़ाने की इजाजत नहीं दी जाएगी, वह अपनी हिरासत को अदालत में चुनौती नहीं देंगे।

गौरतलब है कि पांच अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को पारित करने के मद्देनजर राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सभी वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्त्ताओं को एहतियातन हिरासत में लिया था। इनमें राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ फारुक अब्दुल्ला और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला के अलावा पीडीपी की अध्यक्षा व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं। डाॅ फारुक अब्दुल्ला को उनके घर में ही नजरबंद रखा गया जबकि उमर अब्दुल्ला को हरि निवास में और महबूबा मुफ्ती को चश्माशाही स्थित एक हट में रखा गया है। डाॅ फारुक अब्दुल्ला पर राज्य सरकार ने गत 16 सितंबर को पीएसए लगाया है।

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