जम्मू कश्मीर में मजबूरन दूसरे राज्यों का रुख कर रहे इंजीनियरिंग के छात्र, जानें क्या है इसकी वजह

जम्मू कश्मीर के सरकारी व प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले का जिम्मा बोर्ड आफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन के पास है। इस बार जम्मू कश्मीर के प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेजों में एक हजार से अधिक सीटें खाली रह गई हैं। बोर्ड आफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन ने दाखिला प्रक्रिया संपन्न कर दी है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 09:35 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 09:35 AM (IST)
जम्मू कश्मीर में मजबूरन दूसरे राज्यों का रुख कर रहे इंजीनियरिंग के छात्र, जानें क्या है इसकी वजह
जेईई मेन परीक्षा देकर अधिकतर युवा दूसरे राज्यों का रुख कर रहे है, ताकि उन्हें प्लेसमेंट के अवसर मिल सकें।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के युवाओं में इंजीनियरिंग को लेकर खासे रुझान के बाद भी यहां के विद्यार्थी प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेज से मुंह फेरने लगे हैं। यही कारण है कि हर साल इन प्राइवेट कालेजों मेें दाखिला सीट खाली पड़ी रहती हैं। विद्यार्थियों को मजूबरन अन्य राज्यों के कालेजों की तरफ रुख करना पड़ रहा है। दरअसल, प्रदेश के अधिकांश प्राइवेट कालेजों में न तो शिक्षा का स्तर बढिय़ा है और न ही प्लेसमेंट या रोजगार की कोई गारंटी। हर वर्ष होने वाली जेईई (ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम) परीक्षा हो या फिर परिणाम में काफी संख्या में प्रदेश के विद्यार्थी उत्तीर्ण होकर देश के प्रतिष्ठित कालेजों में दाखिला लेते हैं।

जम्मू कश्मीर के सरकारी व प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले का जिम्मा बोर्ड आफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन के पास है। इस बार जम्मू कश्मीर के प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेजों में एक हजार से अधिक सीटें खाली रह गई हैं। बोर्ड आफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन ने दाखिला प्रक्रिया संपन्न कर दी है। कोरोना से उपजे हालात के कारण पिछले साल की तरह इस बार भी एंट्रेंस टेस्ट नहीं लिया। 12वीं कक्षा के अंकों पर मेरिट बनाई गई।

इस बार 2400 सीटों के लिए 2300 युवाओं ने आवेदन किया था। यह तय था कि हर एक को दाखिला मिल जाएगा, लेकिन काउंसलिंग में 1172 सीटें ही भर पाई हैं। 2176 रैैंक वाले को 1172वीं सीट मिली ह । सरकारी कालेजों में तो सीटें भर गई हैं, लेकिन प्राइवेट कालेजों में सीटें खाली रह गई हैं। इनमें एक हजार से अधिक सीटें खाली रह गई हैं। युवाओं का रुझान जम्मू कश्मीर के स्थानीय कालेजों में कम हो रहा है। जेईई मेन परीक्षा देकर अधिकतर युवा दूसरे राज्यों का रुख कर रहे है, ताकि उन्हें प्लेसमेंट के पर्याप्त अवसर मिल सकें।

पीएम स्कालरशिप योजना में काउंसलिंग का इंतजार

प्रधानमंत्री विशेष स्कालरशिप योजना के तहत पांच हजार सीटें हैं, जिनमें अधिकतर युवा भाग्य आजमाते हैं। जिन विद्यार्थियों की मेरिट 90 फीसद से अधिक है, वह प्रधानमंत्री विशेष स्कालरशिप योजना के तहत होने वाली काउंसलिंग का इंतजार कर रहे हैं। बोर्ड ने अधिसूचना जारी कर कहा कि जिन उम्मीदवारों के प्रोविजनल दाखिले हुए हैं, उन्हें पांच अक्टूबर तक असली दस्तावेजों के साथ संबंधित इंजीनियरिंग संस्थानों में पहुंचकर वहां पर डोमिसाइल प्रमाणपत्र, 12वीं कक्षा की मार्कशीट, दसवीं का डिप्लोमा, श्रेणी प्रमाणपत्र, पहचान पत्र दिखाना होगा। संस्थानों के अध्यक्षों को दाखिले का रिकार्ड रखना होगा और अगर कोई उम्मीदवार दाखिला नहीं लेता है तो उसकी जानकारी बोर्ड को देनी होगी।

चार साल पहले होती थी मारामारी :

चार साल पहले बोर्ड की तरफ से लिए जाने वाले एंट्रेंस टेस्ट के लिए 12 से पंद्रह हजार आवेदन जमा होते थे और सीटों के लिए मारामारी होती थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। अधिकतर विद्यार्थियों की कोशिश होती है कि वह जेईई मेन परीक्षा पास कर देश के प्रतिष्ठित कालेजों में दाखिला हासिल करें ताकि भविष्य में रोजगार के साधन बेहतर हों।

इंजीनियरिंग में अधिकतर विद्यार्थियों का रुख पांच-छह साल से दूसरे राज्यों की तरफ हुआ है। जेईई मुख्य परीक्षा देकर विद्यार्थी दूसरे राज्यों का रुख कर रहे है साथ में ही प्रधानमंत्री विशेष स्कालरशिप में दाखिला लेते हैं। जम्मू कश्मीर के प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेजों में प्लेसमेंट पर अधिक जोर दिए जाने की जरूरत है। - प्रो. देश बंधु, शिक्षा बोर्ड के पूर्व पूर्व चेयरमैन

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