विस्थापितों कश्मीरी समुदाय को अतीत में ले गया मंचन

जागरण संवाददाता, जम्मू : विस्थापन के संघर्षपूर्ण 26 वर्ष के सफर के बीच कश्मीरी संस्कृति से दूर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 03:56 AM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 03:56 AM (IST)
विस्थापितों कश्मीरी समुदाय को अतीत में ले गया मंचन
विस्थापितों कश्मीरी समुदाय को अतीत में ले गया मंचन

जागरण संवाददाता, जम्मू : विस्थापन के संघर्षपूर्ण 26 वर्ष के सफर के बीच कश्मीरी संस्कृति से दूर होते युवाओं को अपनी पीढ़ी से जोड़ता नाटक 'गाड़ बत्त' का मंचन विस्थापित समुदाय को अपने अतीत में ले गया। नाटक के माध्यम से निर्देशक रोहित भट्ट यह दर्शाने में सफल रहा कि संतों और देवताओं में विश्वास करने वाला कश्मीरी पंडित समुदाय आज भी जड़ों से जुड़ा रहना चाहता है। आज भी वह सभी पर्व, त्योहार मनाना चाहते हैं, जो उनसे छूट चुके हैं। इसी तरह का एक त्योहार गाड़ बत्त है, जो वही कश्मीरी मना सकता है, जिसका अपना घर हो। ऐसे में एक परिवार अपना घर बनाते ही यह पर्व मनाने जा रहा है, उस पर्व को लेकर दूसरे लोगों का उत्साह विस्थापन के दर्द को उकेरता है।

समुदाय के लोग याद करते हैं कि आज जिस पर्व के लिए उन्हें इतना इंतजार करना पड़ा है, जितना संघर्ष करना पड़ा है, वह पर्व कश्मीर में रहते हुए हर घर में मनाया जाता था। नाटक के माध्यम से निर्देशक कश्मीर की समृद्ध विरासत का अहसास करवाता दिखा तो यह संदेश भी देने में सफल रहा कि अब भी अगर वह अपनी सांस्कृतिक विरासत को लेकर सचेत न हुए तो बहुत देर हो जाएगी। नाटक से सांस्कृतिक, अध्यात्मिक मान्यताओं को भी दर्शाया गया।

जम्मू-कश्मीर कला सस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से अभिनव थियेटर में मंचित यह नाटक राकेश रोशन ने लिखा है। नाटक में भाग लेने वाले सभी कलाकारों ने अपनी भूमिका से न्याय किया। पूरा नाटक कश्मीरी पंडितों के इर्द गिर्द घूमता है। नाटक में भाग लेने वाले कलाकारों में विनय पंडिता, ज¨तदर जोत्शी, डेजी बजाज, पुनीत बाली, राहुल पंडिता, भारती कौल, कुमार सी भारती, कोसर चंदपुरी, ईशु भारती शामिल थे। वाइस ओवर विजय वाली ने दिया। संगीत राजेश खरे ने दिया। सेट वीरजी वीरेंद्र सुंबली ने डिजाइन किया।

कॉस्टयूम भारती कौल ने डिजाइन किया। मेकअप मनोज धमीर ने किया। सनी मुजू ने कोरियोग्राफी की। लाइट डिजाइ¨नग सूरज गंजू ने की। ध्वनि नियंत्रण लोकेश ने किया।

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