Jammu Kashmir: हीमोफीलिया के इलाज में आ रही है कई आधुनिक तकनीक: डाॅ कौल

हीमोफीलिया विशेषज्ञ डाॅ. वरूण कौल ने एक वेबिनार में कहा कि हीमोफीलिया खून से जुड़ी हुई एक बीमारी है। यह सिर्फ पुरुषों में होती है। महिलाएं इसमें सिर्फ कैरियर का काम करती हैं। इसमें नाड़ियां पंक्चर हो जाने के कारण अचानक ब्लीडिंग शुरू हो जाती है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sat, 13 Feb 2021 07:20 PM (IST) Updated:Sat, 13 Feb 2021 07:20 PM (IST)
Jammu Kashmir: हीमोफीलिया के इलाज में आ रही है कई आधुनिक तकनीक: डाॅ कौल
हीमोफीलिया विशेषज्ञ डाॅ. वरूण कौल ने एक वेबिनार में कहा हीमोफीलिया के मरीजों के इलाज में काफी सुधार हुआ है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो । समय के साथ हीमोफीलिया के मरीजों के इलाज में काफी सुधार हुआ है। लेकिन अभी भी बहुत सी चुनौतियां हैं। सबसे जरूरी यह है कि मरीज मानसिक रूप से स्वस्थ हों और एकजुट होकर यह संदेश दें कि समय पर अस्पताल पहुंच कर मरीज की जिंदगी को बचाया जा सकता है और उसका इलाज संभव है। मरीजों में इलाज के प्रति जागरूकता की बहुत जरूरत है।

यह बात हीमोफीलिया विशेषज्ञ डाॅ वरूण कौल ने एक वेबिनार में कही। हीमोफीलिया सोसायटी जम्मू की ओर से आयोजित इस वेबिनार में डाॅ. कौल ने कहा कि हीमोफीलिया खून से जुड़ी हुई एक बीमारी है। यह सिर्फ पुरुषों में होती है। महिलाएं इसमें सिर्फ कैरियर का काम करती हैं। इसमें नाड़ियां पंक्चर हो जाने के कारण शरीर के किसी भी भाग से अचानक ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। शरीर में ब्लड क्लाटिंग के लिए जिम्मेदार फैक्टर न होने के कारण जब भी किसी जगह में अगर कोई चोट आती है तो इसमें शरीर के किसी भी भाग से ब्लीडिंग शुरू हो जाती है।

उन्होंने कहा कि 12 हजार लोगों में से किसी एक में यह बीमारी होने की आशंका रहती है। बहुत से मरीज ऐसे हैं जिनमें बीमारी का पता ही नहीं चल पाता है। गंभीर रूप से बीमार मरीजों का ही इसमें जल्दी पता चल पाता है। डा. कौल ने कहा कि हीमोफीलिया मं 53 फीसद मरीज ही गंभीर है। उन्होंने कहा कि जब भी किसी बच्चे में बीमारी का पता चलता है, उसके अभिभावकों में मानसिक तनाव उत्पन्न हो जाता है। बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंतित हो जाते हैं। लेकिन अगर बच्चे का सही इलाज हो तो वह अन्य बच्चों की तरह ही सामान्य जीवन जी सकते हैं।

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित बनाया जाए कि मरीजों को अस्पतालों में चौबीस घंटे दवाई उपलब्ध हो। इसके लिए केंद्र सरकार और नेशनल हेल्थ मिशन की सहायता भी ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जीन थेरेपी भी शुरू होगी। इससे भी मरीजों को बहुत लाभ होगा। इस मौके पर मरीजों और उनके अभिभावकों ने भी उनसे कई प्रश्न पूछे।इससे पूर्व हीेमाेफीलिया सोसायटी जम्मू के संस्थापक जगदीश शर्मा ने जम्मू-कश्मीर में पेश आ रही चुनौतियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हीमोफीलिया के 80 फीसद मरीज फैक्टर आठ के हैं। इसके बाद 10 फीसद मरीज फैक्टर नौ के हैं। 10 फीसद मरीजों में वान विल्लीब्रांड, फैक्टर पांच व अन्य फैक्टर हैं। उन्होंने विश्वास दिलाया कि आने वाले दिनों में मरीजों को और सुविधाएं उपलब्ध करवाने का प्रयास होगा। कार्यक्रम में रूपेश चोपड़ा भी मौजूद थे।

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