Jammu Kashmir: इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की बैठक में बोले डॉ. जितेंद्र- जम्मू कश्मीर में सुशासन प्रथाओं को बनाएं और बेहतर
इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के नेशनल चेयरमैन होने के नाते बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में सुशासन से बेहतर बदलाव लाने की दिशा में वे कार्य हुए जो पहले दशकों में नहीं हो पाए थे।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डा जितेंद्र सिंह ने सुशासन की प्रथाओं को और बेहतर बनाकर कार्य संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। डॉ. जितेन्द्र सिंह रविवार को जम्मू में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की 48वीं वार्षिक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के नेशनल चेयरमैन होने के नाते बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में सुशासन से बेहतर बदलाव लाने की दिशा में वे कार्य हुए जो पहले दशकों में नहीं हो पाए थे। जम्मू कश्मीर में भी बेहतरी के लिए नियमों में बदलाव लाए गए।
प्रशासनिक सेवा में आ रहे बदलावों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अब केंद्रीय सेवाएं पहले जैसी नहीं रही है। भारतीय प्रशासनिक सेवा की प्राथमिकताओं में बदलाव लाए गए हैं। अब मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी में ट्रेनिंग में भी बदलाव ला रहा है। अब एक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी से उम्मीदें हैं व वह लोगों के लिए हाजिर होने के साथ पारदर्शी व जवाबदेह भी हो। डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि पिछले सात साल में देश सुशासन के लिए कई बेहतर बदलाव आए हैं। अब उम्मीदवारों को अपने सर्टिफिकेट किसी राजपत्रित अधिकारी से अटेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। वे इन्हें सेल्फ अटेस्ट कर सकते हैं। यह फैसला मोदी सरकार ने आते ही वर्ष 2014 में लिया था। इसके बाद कई सरकारी पदों के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया भी खत्म कर दी गई। इसके साथ यह भी अनिवाय कर दिया गया कि अब किसी आइएएस अधिकारी के अपने राज्य या यूनियन टेरिटरी में जाने से पहले तीन माह तक केंद्र सरकार में सेवाएं देनी होंगी। केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में भी बदलाव लाकर सुनिश्चित किया गया कि रिश्वत देने वालों वाला भी बराबर का दोषी है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले दो महीनों में दो ऐतिहासिक फैसले किए गए। इनमें से एक मिशन कर्मयोगी है। इसके माध्यम से अधिकारी को डिजिटल मोड में लाने के लिए उसकी क्षमता विकास को अहमियत दी जा रही है। दूसरा अहम फैसला नेशनल रिक्रूटिंग एजेंसी का गठन था। इस एजेंसी के माध्यम से कामन एलिजिबिलिटी टेस्ट से रोजगार हासिल करने वालों को एक समान मौका दिया जाता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर दिया कि जम्मू कश्मीर में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन क्षमता विकास की दिशा में अपनी गतिविधियों को और बेहतर बनाने के लिए युवा अधिकारियों को साथ जोड़े।