Jammu: पद्मश्री प्रो. रामनाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार के लिए किताबें मांगी, 22 नवंबर को होगा सम्मान समारोह

पद्मश्री प्रो. राम नाथ शास्त्री को डोगरी का जनक कहा जाता है। उन्हें उनके कहानी संग्रह बदनामी दी छां के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।प्रोफेसर शास्त्री ने अपने साहित्यिक करियर की शुरुआत हिंदी लघु कथाओं और निबंधों के लेखन से की थी।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 11 Nov 2020 01:47 PM (IST) Updated:Wed, 11 Nov 2020 01:55 PM (IST)
Jammu: पद्मश्री प्रो. रामनाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार के लिए किताबें मांगी, 22 नवंबर को होगा सम्मान समारोह
पद्मश्री प्रो. रामनाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार उनके परिवार और डोगरी संस्था के सहयोग से दिया जाता है।

जम्मू, जागरण संवाददाता: पद्मश्री प्रो. राम नाथ शास्त्री स्मृति सम्मान के लिए डोगरी लेखकों से 18 नवंबर तक किताबें मांगी गई हैं। वहीं लेखक पुस्तक जमा करवा सकते हैं, जिनकी पहली पुस्तक 2015 से 2019 के बीच प्रकाशित हुई हो। सभी को अपनी किताब 18 नवंबर तक डोगरी संस्था कार्यालय में जमा करवानी होगी।

इस पुरस्कार को लेकर डोगरी संस्था के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें ज्ञानेश्वर शर्मा, प्रो. वीणा गुप्ता, सुशील बेगाना एवं अजित खजूरिया ने भाग लिया। कोरोना के चलते इस वर्ष का पुरस्कार वितरण समारोह तय समय पर नहीं हो सका। अब कमेटी के सभी सदस्यों की सहमति के बाद निर्णय लिया गया है कि इस वर्ष का सम्मान समारोह 22 नवबंर को होगा। इसकी प्रकि्रया आज से शुरू कर दी गई है।

पद्मश्री प्रो. राम नाथ शास्त्री को डोगरी का जनक कहा जाता है। उन्हें उनके कहानी संग्रह बदनामी दी छां के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।प्रोफेसर शास्त्री ने अपने साहित्यिक करियर की शुरुआत हिंदी लघु कथाओं और निबंधों के लेखन से की थी।बाद में उन्होंने डोगरी साक्षरता अभियान चलाया और डोगरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने में उनका विशेष योगदान रहा। अगर यह कहा जाए कि डोगरी साहित्य का सफर उनके बिना अधूरा है तो गलत न होगा।

वर्ष 1943 में उन्होंने अपने साथी लेखकों के साथ, अपनी मातृभाषा डोगरी में लिखने के लिए प्रेरित करना शुरू किया और स्वयं भी डोगरी में लिखने लगे।डोगरी कला, संस्कृति, साहित्य के प्रोत्साहन से लिए जीवन भर जुटे रहे।डोगरी संस्था केसंस्थापक सदस्यों में से एक शास्त्री डोगरी को बढ़ावा देने के लिए हमेशा अग्रसर रहे।वर्ष 1981 में उन्हें जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी ने डुग्गर दे लोक नायक के लिए सम्मानित किया।वर्ष 2003 में डोगरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल के केंद्र सरकार के फैसले को उन्होंने अपने जीवन सबसे सुखद क्षण बताया। उन्हें कई साहित्ययिक एवं सांस्कृतिक संगठनों ने सम्मानित किया। पद्मश्री प्रो. रामनाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार उनके परिवार और डोगरी संस्था के सहयोग से दिया जाता है। 

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