Jammu Kashmir: डीसी राजौरी का आदेश कृषि स्नातकों के लिए आफत, दूसरे विभागों चुतुर्थ श्रेणी के काम सौंपने की योजना विवादों में आई
शनिवार को राजौरी में जिला आयुक्त राजेश कुमार शवन की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में इस विवादित योजना का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया जिसके अनुसार जो काम एग्रीकल्चर टेक्नोक्रेटों से लिए जाएंगे उनमें स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण विभाग आदि के काम शामिल हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता : कृषि विभाग की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले कृषि स्नातकों से अन्य विभागों का काम कराने का ब्लू प्रिंट विवादों में आ गया है। एक्सटेंशन अस्सिटेंट पद पर तैैनात स्नातकों से राजौरी प्रशासन ऐसे काम लेने जा रहा है, जिसका कृषि विभाग से कोई लेना-देना नहीं है। इससे विभाग का काम प्रभावित होना तय है। वहीं कृषि स्नातकों ने विरोध दर्ज करवाया है।
जिला प्रशासन ने कृषि स्नातकों से आशा वर्कर, होम गार्ड, नेहरू युवा केंद्र के स्वयं सेवकों और डाटा एंट्री आपरेटरों के समकक्ष काम लेने की तैयारी पूरी कर ली है। बैचलर आफ साइंस (बीएससी) एग्रीकल्चर, मास्टर आफ साइंस (एमएससी) एग्रीकल्चर और डाक्ट्रेट आफ फिलास्फी (पीएचडी) टेक्नोक्रेटों से चुतुर्थ श्रेणी स्तर का काम लेने से उनके मनोबल पर भी जरूर असर पड़ेगा।गत शनिवार को राजौरी में जिला आयुक्त राजेश कुमार शवन की अध्यक्षता में हुई बैठक में विवादित योजना का ब्लू ङ्क्षप्रट तैयार किया था। इसके अनुसार जो काम कृषि स्नातकों से लिए जाएंगे, उनमें स्वास्थ्य विभाग, ग्रामीण विभाग आदि शामिल हैं। इनमें ज्यादातर काम संबंधित विभागों में चतुर्थ श्रेणी या कांट्रेक्ट आधार पर नियुक्त कर्मचारी करते हैं।
डाटा इंट्री आपरेटर का करेंगे काम : जिले के डेढ़ सौ कृषि स्तनाकों को स्वास्थ्य विभाग का काम सौंप गया है। इसके तहत सेहत प्रोजेक्ट के तहत एक तरह से डाटा इंट्री आपरेटर का काम करना होगा। सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में अन्य विभागों के काम सौंपे जाएंगे। इस बारे में स्नातक खुल कर बोलने को तैयार नहीं है।
ऐसे में प्रधानमंत्री के सपना नहीं होगा पूरा : नाम न छापे जाने की शर्त पर कुछ कृषि स्नातकों ने बताया कि अगर प्रशासन उनसे अन्य विभागों से ऐसे ही काम करवाएगा तो वे अपना काम नहीं कर पाएंगे और जिले में प्रधानमंत्री का किसानों की आय दोगुना करने का सपना नहीं पूरा हो पाएगा। पहले से ही उनके पास किसानों से संबंधित तमाम तरह के काम हैं और वह ओवरलोड हैं। वह काम से भाग नहीं रहे हैं, लेकिन प्रशासन को चाहिए कि वह उनकी शिक्षा और ग्रेड को ध्यान में रख कर काम ले। केवल यही नहीं, जिला प्रशासन और विभाग के कुछ उच्च अधिकारी मिल कर उनके आत्मसम्मान को मिट्टी में मिलाना चाहते हैं, जो सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने अपना विरोध मुख्य कृषि अधिकारी के समक्ष दर्ज करवा दिया है।
कोरोना प्रोटोकाल की उड़ी धज्जियां : डीसी ने जिस सभागार में बैठक की वहां से 200 कर्मचारी और अधिकारी उपस्थित थे। सभागार में न तो सैनिटेशन की व्यवस्था थी और न शारीरिक दूरी का ख्याल रखा गया। गौरतलब है कि जिले में एक कृषि स्नातक की कोरोना से मौत हो चुकी है।
क्या काम है : इस समय राजौरी जिले में 160 कृषि स्नातक सेवाएं दे रहे हैं। उनका काम किसानों को फसल संबंधी हर प्रकार की सलाह देने से लेकर आधुनिक तकनीकों और तरीकों से रूबरू करवाना है।