West Pakistani Refugee: पश्चिमी पाक रिफ्यूजियों में निराशा, मंद गति से हो रहा मुआवजे का वितरण
West Pakistani Refugee 1947 में जब देश का विभाजन हुआ तो पश्चिमी पाकिस्तान से हिंदू सिख लोगों को इस ओर आना पड़ा। बहुत संकट का समय था। जम्मू कश्मीर पहुंचे इन रिफ्यूजी लोगों को यहीं टिके रहने की सलाह तब प्रशासन ने दी थी।
जम्मू, जागरण संवाददाता: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटते ही पश्चिमी पाकिस्तानी रिफ्यूजी लोग यहां के नागरिक बन गए। वहीं सरकार ने इनके पुनर्वास के लिए पैकेज की भी घोषित किया। प्रति परिवार 5.50 लाख रुपये दिए जाने हैं। लेकिन महीनों का समय बीतने के बाद भी महज चंद ही परिवारों के खाते में पैसे आ पाए हैं।
अधिकांश रिफ्यूजी अभी भी फाइलों में ही अटके पड़े हैं। जम्मू संभाग में इन रिफ्यूजियों के 22 हजार परिवार है और सभी अपनी अपनी तहसील में आवेदन की फाइलें जमा करवा रहे हैं या करवा चुके। वेस्ट पाक रिफ्यूजी एक्शन कमेटी के तहसील प्रधान शक्ति कुमार का कहना है कि बहुत ही मंद गति से फाइलें आगे बढ़ पा रही हैं। अभी तक जम्मू संभाग में महज 174 परिवारों के खाते में ही मुआवजे के पैसे आए हैं।
अगर इस तरह से धीमी गति से कसम चलता रहा तो बरसों का समय मुआवजा बांटने में लग जाएगा। हम कई बार सरकार से गुजारिश कर चुके हैं कि मुआवजे की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए। ऐसे दस्तावेजों की मांग न की जाए जोकि रिफ्यूजी के लिए लाना ही संभव न हो। शक्ति कुमार ने कहा कि मढ़ में ही सप्ताह भर में दो तीन फाइलें ही आगे बढ़ पा रही हैं।
ऐसे में एक दिन ऐसा आएगा कि लोग मुआवजे की उम्मीद ही छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस दिशा में सोचना चाहिए और मुआवजा इन लोगों तक पहुंचाने के काम में तेजी लानी चाहिए।
1947 में जब देश का विभाजन हुआ तो पश्चिमी पाकिस्तान से हिंदू, सिख लोगों को इस ओर आना पड़ा। बहुत संकट का समय था। जम्मू कश्मीर पहुंचे इन रिफ्यूजी लोगों को यहीं टिके रहने की सलाह तब प्रशासन ने दी थी। मगर किसी भी सरकार ने इन रिफ्यूजी लोगों को कोई मुआवजा नही नही और न ही नागरिकता का हक। ऐसे में इन लोगों को विधानसभा में वोट डालने का अधिकार नही मिला और न ही सरकारी नौकरियों में हक मिला।
आखिर यह बेड़िया अनुच्छेद 370 के खत्म होते ही खुल गई और इन लोगों को पूरे अधिकार मिल गए। मुआवजा भी घोषित हो गया। लेकिन मुआवजा वितरण में हो रही देरी इन रिफ्यूजी लोगों में निराशा बढ़ा रही है।