Natrang Theatre : समय की बर्बादी है दिशाहीन रंगमंच, जम्मू-कश्मीर में रंगमंच को लेकर बहुत ज्यादा काम करने की जरूरत

दिशाहीन रंगमंच समय की बर्बादी से ज्यादा कुछ नहीं है। जो भी रंगमंच करना चाहता है उसे स्पष्ट होना चाहिए कि आखिर वह किस उद्देश्य से रंगमंच कर रहा है। रंगमंच से रातों-रात स्टार बनने के सपने लेकर रंगमंच करने वालों को इस क्षेत्र में आना ही नहीं चाहिए।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 04:37 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 04:37 PM (IST)
Natrang Theatre : समय की बर्बादी है दिशाहीन रंगमंच, जम्मू-कश्मीर में रंगमंच को लेकर बहुत ज्यादा काम करने की जरूरत
रंगमंच अभिनेता रविंदर शर्मा ने कहा कि दिशाहीन रंगमंच करते रहने समय की बर्बादी से ज्यादा कुछ नहीं है

जम्मू, जागरण संवाददाता : रंगमंच अभिनेता, निर्देशक और प्रशिक्षक रविंदर शर्मा ने नटरंग के नेशनल थिएटर टॉक शो, यंग वॉयस ऑफ थिएटर में कहा कि दिशाहीन रंगमंच करते रहने समय की बर्बादी से ज्यादा कुछ नहीं है। जो भी रंगमंच करना चाहता है, उसे स्पष्ट होना चाहिए कि आखिर वह किस उद्देश्य से रंगमंच कर रहा है। रंगमंच से रातों-रात स्टार बनने के सपने लेकर रंगमंच करने वालों को इस क्षेत्र में आना ही नहीं चाहिए। जम्मू-कश्मीर के रंगमंच को लेकर उन्होंने कहा कि यहां अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता अभिनेता और नटरंग के वरिष्ठ कलाकार अनिल टिक्कू के साथ एक स्पष्ट बातचीत में, रविंदर ने थिएटर की अपनी यात्रा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि चूंकि उन्हें पता था कि उन्हें थिएटर में औपचारिक रूप से प्रशिक्षित नहीं किया गया है। उन्होंने नाटकों को पढ़ने और देखने के साथ-साथ प्रख्यात प्रशिक्षकों द्वारा आयोजित कई ज्ञानवर्धक थिएटर कार्यशालाओं के माध्यम से अपने ज्ञान को समृद्ध किया। उनका यह भी मानना है कि रंगमंच आत्म-समृद्धि का एक साधन है। उन्होंने उन सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने थिएटर के उनके दृष्टिकोण को बढ़ाने में योगदान दिया है। विशेष रूप से उनके परिवार के प्रति उनके निरंतर समर्थन के लिए।

एक अभिनेता के रूप में अपनी यात्रा शुरू करने वाले एक पूर्णकालिक और मेहनती थिएटर व्यवसायी रविंदर का मानना है कि अभिनय करना एक बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी साझा किया कि वह थिएटर निर्देशक के रूप में अधिक सहज महसूस करते हैं। रविंदर क्लासिक्स की सामग्री से चकित हो जाता है और उसने कई शास्त्रीय ग्रीक, शेक्सपियर और भारतीय नाटकों का निर्देशन किया है। रविंदर नए रंगकर्मियों को धैर्य और समर्पण को बरकरार रखने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि रंगमंच में शार्टकट से सफलता संभव नहीं है। धैर्य बनाए रखने से जरूर सफलता संभव है।

लोक प्रशासन में पोस्ट ग्रेजुएट और पत्रकारिता में डिप्लोमा धारक हैं रविंद्र शर्मा

परिचय करवाते हुए नटरंग निदेशक बलवंत ठाकुर ने बताया कि जम्मू में जन्मे और पले-बढ़े रविंदर शर्मा लोक प्रशासन में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। पत्रकारिता और जनसंचार में पीजी डिप्लोमा धारक हैं। वह पिछले 20 सालों से लगातार थिएटर में सक्रिय हैं। उन्होंने देश के प्रख्यात थिएटर निर्देशकों के मार्गदर्शन में काम किया है। जिनमें रॉयस्टेन एबेल, पद्मश्री बलवंत ठाकुर, डा. सुधीर महाजन, बापी बोस, हरीश खन्ना, साउथी चोकरबर्टी, दीपक कुमार, अनिल वारिकू, राकेश सिंह, दुर्वेश आर्य और कई अन्य।

उन्होंने 35 से अधिक नाटकों में अभिनय किया है।रविंदर ने कई थिएटर वर्कशॉप में भाग लेते हुए थिएटर की बारीकियां सीखीं।रविंदर ने 50 से अधिक नाटकों का निर्देशन किया है। उन्होंने भारत रंग महोत्सव में भी प्रस्तुति दी है। उन्हें कई राज्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने का सम्मान प्राप्त है। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का प्रबंधन करने वालों में नीरज कांत, अनिल टिक्कू, सुमीत शर्मा, संजीव गुप्ता, विक्रांत शर्मा, मोहम्मद यासीन, बृजेश अवतार शर्मा, गौरी ठाकुर और चंद्र शेखर शामिल हैं।

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