Jammu: एमएएम कॉलेज के लिए प्रोजेक्ट बने और फिर सपनों में खो गए

फंड के इंतजार में काम लटकता चला गया। इससे लागत बढ़ती गई। ऑडिटोरियम की इमारत तो बनकर तैयार हो गई है लेकिन अंदर से फर्निश होने का काम शेष है। कुर्सियां नहीं लगी है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 12 Dec 2019 12:15 PM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 12:15 PM (IST)
Jammu: एमएएम कॉलेज के लिए प्रोजेक्ट बने और फिर सपनों में खो गए
Jammu: एमएएम कॉलेज के लिए प्रोजेक्ट बने और फिर सपनों में खो गए

जम्मू, सतनाम सिंह। पूर्व सरकारों ने उच्च शिक्षा को घर-घर तक पहुंचाने के लिए राज्य के कोने-कोने में कॉलेज तो खोल दिए, लेकिन पहले से चल रहे कॉलेजों की सुध न लेने से कईं प्रोजेक्ट हवा में लटके हैं। जम्मू के मौलाना आजाद मेमोरियल कॉलेज में 15 साल से ऑडिटोरियम का निर्माण चल रहा है। अनुमानित लागत भी दोगुनी हो चुकी है। कॉलेज का एक अन्य प्रोजेक्ट स्वीमिंग पूल भी लेट-लतीफी की भेंट चढ़ गया है। सात साल से यह प्रोजेक्ट जमीन में रेंग रहा है।

साल 2004 में ऑडिटोरियम का प्रोजेक्ट बना था। मार्च 2005 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ। उस समय पूर्व जम्मू कश्मीर में दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सदई के नेतृत्व वाली पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार थी। हर्षदेव सिंह शिक्षा मंत्री थे। ऑडिटोरियम के लिए वन टाइम 2.9 करोड़ की ग्रांट मंजूर की गई। उसके बाद ऑडिटोरियम की लागत निरंतर बढ़ती गई। अनुमान के अनुसार साढ़े चार करोड़ से अधिक की रकम खर्च हो चुकी है। अभी दो करोड़ से अधिक के खर्च का और अनुमान है। इसे पूरा करने में एक साल से अधिक का समय लग सकता है। जब ऑडिटोरियम का नींव पत्थर रखा गया था तो निर्माण कार्य पूरा करने के लिए तीन साल निर्धारित किया था। फंड के इंतजार में काम लटकता चला गया। इससे लागत बढ़ती गई। ऑडिटोरियम की इमारत तो बनकर तैयार हो गई है, लेकिन अंदर से फर्निश होने का काम शेष है। कुर्सियां नहीं लगी है। और भी काफी काम होना शेष है।

वर्ष 1954 में जम्मू में स्थापित मौलाना आजाद मेमोरियल जम्मू कश्मीर का एक मात्र डिग्री कॉलेज है जिसमें स्वीमिंग पूल है। यह प्रोजेक्ट सवा करोड़ से साल 2012 में शुरू हुआ था जो सात साल से अधिक से लटका है। स्वीमिंग पूल तो अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया गया है, लेकिन इसे अंतिम रूप नहीं दिया है। पानी भरने के लिए ट्यूब वेल, पानी की जांच के लिए उपकरण, फिल्टर पंप, चेंज रूम, बाथरूम का काम बाकी है। जम्मू कश्मीर में तैराकी की प्रतियोगिता के लिए किसी कॉलेज में स्वीमिंग पूल नहीं है।

देरी के ये रहे कारण : ऑडिटोरियम का निर्माण कार्य संबंधित एजेंसी ने काफी धीमी तरह से चलाया। मानव श्रम का उपयोग भी बहुत कम है। एक कारण यह भी रहा कि निर्धारित समय पर निर्माण कार्य करने वाली एजेंसी को समय पर राशि उपलब्ध नहीं हुई। कुछ राशि पूर्व राज्य सरकार और कुछ पैसा यूजीसी से लाया था।

कॉलेज में प्रिंसिपल भी नहीं: इस समय कॉलेज में कोई प्रिंसिपल भी नहीं है। सितंबर में प्रिंसिपल पीके शर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद अस्थायी प्रिंसिपल की नियुक्ति की गई है।

पूल के अंदर चुनाव के काउंटर लगाए गए थे: स्वीमिंग पूल व ऑडिटोरियम का काम चुनाव के लिए किया। स्वीमिंग पूल में 2019 के संसदीय चुनाव और पंचायत चुनाव के दौरान काउंटर लगाए गए थे। चुनाव का काम वहां पर होता रहा। स्टाफ ने भोजन भी स्वीमिंग पूल में किया था। निर्माणाधीन ऑडिटोरियम में मतपत्र पेटियां पड़ी हुई है। मतगणना एमएएम कॉलेज में होती है। मतपत्र पेटियों को ऑडिटोरियम में रखा है। वहां सुरक्षा कर्मियों की तैनाती रहती है।

चार माह में दोनों प्रोजेक्ट होंगे पूरे : उच्च शिक्षा विभाग के सचिव तलत परवेज रोहेल्ला का कहना है कि स्वीमिंग पूल प्रोजेक्ट फरवरी तक पूरा हो जाएगा। सरकार ने राशि जारी कर दी है। ऑडिटोरियम के लिए भी धनराशि जारी की जा चुकी है। इसकी लागत भी बढ़ चुकी है। दोनों प्रोजेक्टों को निर्धारित समय में पूरा न होने के कारणों की जांच की जाएगी। कोशिश होगी कि अगले साल मार्च से पहले दोनों प्रोजेक्ट पूरे हो जाएं। स्वीमिंग पूल के लिए एक करोड़ जारी किए गए थे फिर काम क्यों नहीं शुरू हुआ, हम इसकी जांच करवाएंगे।

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