एफएसएल में सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों की काट्रैक्ट पर तैनाती
जागरण संवाददाता जम्मू फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) बेशक अब पुलिस विभाग के अधीन न
जागरण संवाददाता, जम्मू : फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) बेशक अब पुलिस विभाग के अधीन न रहकर गृह विभाग के पास आ गया है, लेकिन जम्मू और श्रीनगर एफएसएल अभी भी वैज्ञानिकों की कमी से जूझ रही हैं। ऐसे में जम्मू एफएसएल को फिगर प्रिट्स, विसरा और डीएनए के सैंपल की जांच के लिए सैंपल श्रीनगर स्थित एफएसएल में भेजने पड़ रहे हैं। डीएनए की जांच केवल श्रीनगर एफएसएल में ही संभव है। वैज्ञानिकों की कमी को दूर करने के लिए गृह विभाग ने सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों को दोबारा कांट्रैक्ट पर नौकरी में शामिल करने के आदेश जारी किए हैं। इनमें चार रिटायर्ड असिस्टेंट वैज्ञानिक और एक रिटायर्ड प्रयोगशाला सहायक शामिल हैं।
गृह विभाग के प्रमुख सचिव शालीन काबरा के आदेश में इन वैज्ञानिकों को 42 हजार एकमुश्त वेतन पर छह माह के लिए रखा गया है। जिन वैज्ञानिकों को एफएसएल में दोबारा रखा गया है, उनमें रोहित कौल को टॉक्सीकोलॉजी, हमीद उल्लाह शेख सीएडंटी, मुश्ताक खान को बॉलिस्टिक संकाय और मंजूर अहमद भट्ट को सीएडंटी संकाय में रखा गया है। बालिस्टिक एक्सपर्ट मुश्ताक अहमद खान तो करीब 30 साल पहले अनुपस्थित रहने के कारण नौकरी से हटा दिए गए थे। तब से अब तक पुराने हथियार और गोलाबारूद बदल गए हैं। बदलते परिपेक्ष्य को देखते हुए खान ने ज्वाइन करने से इंकार कर दिया है। बाकी चार में तीन वैज्ञानिकों को श्रीनगर एफएसएल में लगाया गया है, जबकि रोहित कौल की सेवाएं जम्मू एफएसएल में ली गई हैं। इस संबध में एफएसएल की डायरेक्टर शुब्रा शर्मा का कहना है कि एफएसएल हाल ही में गृह विभाग के अधीन आई है। जब तक नए पद भरे जाएंगे, तब तक सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों की सेवाएं ली गई हैं। वैज्ञानिकों की कमी कमी को शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा। हमारी कोशिश होती है कि सभी सैंपलों की रिपोर्ट शीघ्र तैयार हो जाए। उन्होंने स्वीकार किया कि डीएनए का वर्क लोड बढ़ा है।