जम्मू छावनी परिषद के शीघ्र चुनाव कराए जाने की मांग, पिछले चुनाव जून 2015 को हुए थे

जम्मू छावनी परिषद के अधीन कुल सात वार्ड आते हैं और इसमें रानीबाग नरवाल पाईन कुछ भाग जवाहर नगर कुछ भाग सतवारी सदर बाजार रायपुर सतवारी बेलीचराना आदि आते हैं। वार्ड की गलियां नालियों की साफ सफाई व दूसरी कई सुविधाएं देने का जिम्मा जम्मू छावनी परिषद का ही है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 10:41 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 10:41 AM (IST)
जम्मू छावनी परिषद के शीघ्र चुनाव कराए जाने की मांग, पिछले चुनाव जून 2015 को हुए थे
विकास तो तभी होगा जब हमारे क्षेत्र का प्रतिनिधि जम्मू छावनी बोर्ड में होगा।

जम्मू, जागरण संवाददाता । जम्मू छावनी परिषद की सिविल वार्ड के लोगों ने शीघ्र चुनाव कराए जाने की मांग की है। क्योंकि जून 2021 को जम्मू छावनी परिषद के बोर्ड का कार्यकाल संपन्न हो चुका है। ऐसे में लोग चाह रहे हैं कि शीघ्र चुनाव कराए जाएं।

पिछले चुनाव जून 2015 को हुए थे जिसका कार्यकाल वैसे तो जून 2020 को ही पूरा हो गया था। मगर केंद्र सरकार ने बोर्ड को चलाने के लिए इसके चुने हुए सदस्यों का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया था। मगर इसकी अवधि भी पिछले माह पूरी हो गई। ऐसे में अब के चुनाव कराए जाने लाजमी है।

जम्मू छावनी परिषद के अधीन कुल सात वार्ड आते हैं और इसमें रानीबाग, नरवाल पाईन, कुछ भाग जवाहर नगर, कुछ भाग सतवारी, सदर बाजार, रायपुर सतवारी, बेलीचराना आदि आते हैं। इन क्षेत्रों के वार्ड की गलियां, नालियों की साफ सफाई व दूसरी कई सुविधाएं देने का जिम्मा जम्मू छावनी परिषद का ही है। इसलिए हर पांच साल में इन वार्ड से चुनकर सात सदस्य जम्मू छावनी परिषद के बोर्ड में पहुंचते हैं और वे अपने अपने वार्ड क्षेत्र की समस्याओं को बोर्ड बैठक में उठाते हैं और कई प्रस्तावों को तब जाकर मंजूरी मिलती है।

अब चूंकि बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसे में स्थानीय लोग कह रहे हैं कि केंद्र सरकार चुनाव कराए और ताकि चयनित सदस्य बोर्ड में पहुंच सकें। क्षेत्र निवासी सुदेश का कहना है कि विकास तो तभी होगा जब हमारे क्षेत्र का प्रतिनिधि जम्मू छावनी बोर्ड में होगा। लेकिन इस समय बोर्ड का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसे में हमें चुनाव कराए जाने जरूरी हैं। वहीं कुछ सदस्यों का कहना है कि सरकार महज किसी सदस्य को मनोनीत करके बोर्ड को काम चलाऊ बनाने का प्रयास न करे। पूरी संवैधानिक प्रक्रिया को लांघते हुए नए चुनाव कराए जाने चाहिए। 

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