Jammu Kashmir Delimitation: परिसीमन आयोग का कार्यकाल एक साल बढ़ा, अब केवल जम्मू-कश्मीर के लिए करेगा काम

यह अधिसूचना गत बुधवार रात को जारी की गई है। केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना देवाई के कार्यकाल को एक साल और बढ़ाने का आदेश जारी करते हुए कहा कि वही अगले वर्ष तक परिसीमन आयोग का नेतृत्व करेंगी।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 09:35 AM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 09:59 AM (IST)
Jammu Kashmir Delimitation: परिसीमन आयोग का कार्यकाल एक साल बढ़ा, अब केवल जम्मू-कश्मीर के लिए करेगा काम
आयोग को पूरा ध्यान जम्मू-कश्मीर पर केंद्रित करने की हिदायत दी गई है।

जम्मू, जेएनएन। केंद्र सरकार ने परिसीमन आयोग की अवधि एक साल के लिए बढ़ा दी है। यही नहीं आयोग जम्मू-कश्मीर पर ध्यान दे इसके लिए उसके शासनादेश से उत्तर-पूर्वी राज्यों को बाहर कर दिया गया है। इस आदेश के साथ केंद्र सरकार ने आयोग को काम में तेजी लाने की हिदायत भी दी है।

यह अधिसूचना गत बुधवार रात को जारी की गई है। केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना देसाई के कार्यकाल को एक साल और बढ़ाने का आदेश जारी करते हुए कहा कि वही अगले वर्ष तक परिसीमन आयोग का नेतृत्व करेंगी। आपको बता दें कि आयोग का कार्यकाल 5 मार्च 2021 को समाप्त होने वाला था। अगले एक साल के भीतर जम्मू-कश्मीर में परिसीमन लागू किया जा सके इसीलिए केंद्र सरकार ने इस अधिसूचना में उत्तर-पूर्वी राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड को बाहर रखा है। यानी आयोग को पूरा ध्यान जम्मू-कश्मीर पर केंद्रित करने की हिदायत दी गई है। आदेश के अनुसार यह अवधि समाप्त होने से पहले आयोग को जम्मू-कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन करना होगा।  

आपको बता दें कि परिसीमन अधिनियम 2002 की धारा-3 के तहत केंद्र सरकार ने परिसीमन आयोग का गठन किया था। अब तक के एक साल के कार्यकाल के दौरान आयोग ने 18 फरवरी को पहली बैठक बुलाई थी। हालांकि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी सांसदों ने इस बैठक का बहिष्कार किया था। सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना देसाई के नेतृत्व में गठित यह आयोग परिसीमन का काम पूरा करे इसके लिए ही केंद्र सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ाया है।

परिसीमन एक देश या एक प्रांत की सीमाओं या संसदीय क्षेत्रों का नए सिरे से गठन होता है। केंद्र सरकार चाहती है कि विधानसभा चुनावों से पहले जम्मू-कश्मीर के संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन का काम पूरा हो जाए। 

जेके में 114 विधानसभा सीटें होंगी: जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन से पहले विधानसभा में 87 सीटें थीं। इनमें लद्दाख की चार सीटें शामिल थीं। इसके अलावा गुलाम कश्मीर की 24 सीटें रिक्त रखी जाती थीं। इस तरह कुल 111 सीटें थीं। अब लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है। पुनर्गठन के बाद लद्दाख की चार सीटें कम हो गईं। इस तरह जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 107 सीटें रह गईं। परिसीमन के बाद राज्य में सात सीटें बढ़ेंगी और इनकी संख्या बढ़कर 114 हो जाएंगी। गुलाम कश्मीर की 24 सीटें ही कायम रहेंगी। यहां स्पष्ट कर दें कि यह परिसीमन 2011 की जनसंख्या के आधार पर ही होगा।

लोकसभा की पांच सीटें रहेंगी: राज्य के पुनर्गठन के बाद जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की पांच सीटें रहेंगी और लद्दाख में एक सीट है। इस तरह लोकसभा सीटों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा। जम्मू और कश्मीर में अंतिम परिसीमन 1995 में हुआ था। तब राज्य में सीटों की संख्या बढ़ाकर 75 से 87 की गई थी। उसके बाद फारूक अब्दुल्ला सरकार ने जम्मू कश्मीर विधानसभा ने प्रस्ताव पास कर परिसीमन पर रोक लगा दी थी। 2002 के चुनावों में कश्मीर और लद्दाख के मुकाबले जम्मू में मतदाताओं की संख्या अधिक थी। इसके बावजूद कश्मीर में सीटों की संख्या अधिक रही और लगातार कश्मीर केंद्रित दल ही राज्य की सत्ता पर काबिज रहे। यही वजह है कि कश्मीरी दल परिसीमन नहीं होने देना चाहते थे।

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