कभी 72 कनाल में फैली भाषा अकादमी की आधी जमीन भी नहीं बची
पहले ही 72 कनाल में फैली अकादमी अब मात्र 32 कनाल में सिमट कर रह गई है। यानी आधी जमीन भी नहीं रही है अकादमी की। इस अतिक्रमण से अकादमी के अधिकारी भलीभांति अवगत है लेकिन कार्रवाई करने के बजाय वो मूकदर्शक बन तमाशा देख रहे हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की जमीन पर अतिक्रमण का सिलसिला जारी है। पहले ही 72 कनाल में फैली अकादमी अब मात्र 32 कनाल में सिमट कर रह गई है। यानी आधी जमीन भी नहीं रही है अकादमी की। इस अतिक्रमण से अकादमी के अधिकारी भलीभांति अवगत है, लेकिन कार्रवाई करने के बजाय वो मूकदर्शक बन तमाशा देख रहे हैं। वर्ष 1958 में जब अकादमी वजूद में आई थी तो इसके नाम पर 72 कनाल भूमि अलाट की गई थी, लेकिन इस जमीन की देखरेख नहीं की गई।
अकादमी के कर्मचारियों ने भी अपने आप को अभिनव थियेटर और अपने कार्यालय तक ही सीमित रखा। इसके कारण आसपास की जमीन पर कब्जा होता रहा। हालांकि बीच-बीच में जमीन की चहारदीवारी करवाई गई, लेकिन चहारदीवारी तोड़ कर हर बार जमीन पर अतिक्रमण होता रहा। अकादमी की कुछ जमीन जल शक्ति विभाग को दी गई है। ऐसे में अब चहारदीवारी कौन करवाएगा यह भी बड़ा सवाल बना हुआ है। इसका अतिक्रमणकारी लाभ उठा रहे हैं। अगर इसी तरह जमीन पर अतिक्रमण होता रहा तो अकादमी परिसर में लगे करोड़ों के सकल्पचर या दूसरा सामान भी सुरक्षित नहीं रहेगा।
वर्ष 2006 से 2008 के बीच हुई थी चहारदीवारी : वर्ष 2006 से 2008 के बीच अकादमी के सचिव रहे डा. रफीक मसूदी ने गुरु रवि दास सभा से कुछ समझौता कर पिछली तरफ से चहारदीवारी करवाई थी, लेकिन कुछ दिनों के बाद चहारदीवारी तोड़ दी गई। साहित्यकार एवं कलाकार मोहन सिंह, डा. ज्ञान सिंह, मास्टर ध्यान सिंह, बिशन दास, रमेश सिंह चिब ने कहा कि जब-जब कला प्रेमी अतिक्रमण होता देखते हैं तो अकादमी सचिव का ध्यान इस ओर आकर्षित करवाया जाता है, लेकिन सचिव का उद्देश्य सिर्फ टाइम पास करना होता है। अकादमी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते थे। जब उनके अधीन आने वाले विभाग की जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है तो दूसरे कर्मचारियों के विरोध करने का कोई औचित्य नहीं है।
ओपन एयर थियेटर की जमीन पर भी हो सकता है कब्जा : कलाकारों ने कहा कि अभी अकादमी न संभली तो जिस स्थान पर ओपन एयर थियेटर बनाया जाना है। उस जगह पर भी अतिक्रमण हो जाएगा। कुछ और नहीं तो अतिक्रमण रोकने के लिए जल्द चहारदीवारी तो करवाई ही जानी चाहिए। अतिक्रमण हटाना तो दूर लेकिन और अतिक्रमण न हो इस ओर तो ध्यान दिया ही जा सकता है।
अकादमी कलाकारों के लिए मंदिर : लेखक एवं कलाकार राजेश्वर सिंह राजू, नाट्य निर्देशक संजीव निर्दोष, कुसुम टिक्कू ने कहा कि अकादमी उनके लिए मंदिर है। इसकी जमीन पर अतिक्रमण उचित नहीं है। अब तो जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है और उपराज्यपाल स्वयं इसके हेड हैं। कम से कम अब तो अकादमी का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। जिस तरीके से अतिक्रमण हुआ है। उसे देखते हुए लगता है कि अगर आने वाले दिनों में अकादमी को कोई निर्माण करवाना पड़े तो जगह कम न पड़ जाए।
अतिक्रमण के लिए राजनेता जिम्मेदार : अकादमी के अतिरिक्त सचिव डा. अरविंद्र सिंह अमन ने कहा कि राजनेताओं के हस्तक्षेप से ही अकादमी में अतिक्रमण हुआ है। अब इसे रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। पिछली तरफ से जो चहारदीवार गिराई गई है। उसे बनाने के लिए जल्द रिपोर्ट तैयार की जाएगी।