CRPF Cobra Commando Rakeshwar Singh: वीरवार को लौटेगा जम्‍मू का लाल, मां बनाएगी हलवे का प्रसाद

बरनाई पहुंचने पर एक विजेता के तौर पर एक रैली निकालने का भी कार्यक्रम है। यह रैली बरनाई से उनके पैतृक गांव अखनूर के खौड़ के पंगाली गांव तक जाएगी। यहां उनका स्वागत बिरादरी के सदस्य शूरवीर की तरह करेंगे।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 01:19 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 01:19 PM (IST)
CRPF Cobra Commando Rakeshwar Singh: वीरवार को लौटेगा जम्‍मू का लाल, मां बनाएगी हलवे का प्रसाद
इस्तकबाल के लिए जम्मू संभाग के सीआरपीएफ के एडीजी और आइजी स्वयं मौजूद होगे।

जम्मू, अवधेश चौहान: नक्सलियों के चुंगल से मुक्त राकेश्वर सिंंह मन्हास की घर वापिसी को लेकर घर में उल्लास है। परिवार का हर सदस्य उनकी वापिसी को लेकर तैयारियों में लगा हुआ है। मां कुुंती देवी बेटे पंसददीदा पकवान बनाने में लगी हुई है। पत्नी मीनू देवी राकेश्वर सिंह के चचेरे भाई और उनके साले की शादी में किस रंग का सूट पहनना है उसकी खरीददारी में लगी हुई है।

राकेश्वरस सिंह के घर पहुंचने से पहले शादियों की तैयारी शुरू हो गई है। बेशक राकेश्वर सिंह के चचेरे भाई दलजीत सिंह की शादी 30 अप्रैल को होनी है, जबकि उनके साले की शादी 2 मई को होनी निर्धारित है।इन दोनों शादियों में किसका क्या पहनावा होगा उसकी मंजूरी उनकी पत्नी मीनू ने पहले तय कर ली है। चचेरे भाई की शादी राकेश्वर सिंह के पैतृक गांव जम्मू के सीमावर्ती गांव खौड़ के पंगाली गांव से होगी।

इस धूम धड़ाके में राकेश्वर सिंह डोगरा कुर्ता पायजामा और पगड़ी में दिखेंगे। इस ड्रेस कोड का चयन उनकी पत्नी मीनू ने किया है।दलजीत सिंह जो जम्मू कश्मीर स्वास्थ्य विभाग में नौकरपेशा है, भाई की वापिसी को लेकर काफी खुश है। वह अपनी पत्नी के भाग्य को लेकर आशान्वित है, जिसके बदौलत उनकी रिहाई संभव हुई। वर्ना नकसलियों के कब्जे से बीते 20 वर्ष में कोई वापिस नही आया। पत्नी मीनू ने तो पिंक रंग का सूट पहनने में अपनी रूचि दिखाई है, क्यों कि राकेश्वर सिंह को यह रंग काफी पंसद हैं।

परिवार के लिए यह चचेरे भाई और उनके साले की शादी कुछ अलग दिख रही है। हालांकि राकेश्वर सिंह के साले की शादी 2 मई को है। फिर भी रिहाई के बाद यह खुशी परिवार के लिए अनोखी है, क्योंकि यह यह खुशी चंद लोगों को ही नसीब होती है। मां कुंती देवी बेटे की वापसी को लेकर उनके मनपंसद पकवान बनाने में लगी हुई है। नवरात्र में बेटी की वापसी इतफाक से कम नही है। मां दुर्गा ने उनकी कामना पूरी की है। इसलिए नवरात्र में बेटे की फरमाइश पर वह हल्वा पूरी का मां भगवती को प्रसाद भेंट कर उसकी दीघ्रायु की कामना करेंगी।

घर में मां भगवती की जोत उस दिन से प्रज्जवलित है, जिस दिन उन्हें यह खबर मिली की उनका बेटा नकसलियों के कब्जे में है।बेटा हर रोज मां कुंती देवी, पत्नी मीनू देवी और भाईयों को फोन कर उनके कुशलक्षेम के बारे मे पूछता है। राकेश्वर सिंह वीरवार को दो बजे जम्मू एयरपोर्ट पर पहुंचेगे। उनके इस्तकबाल के लिए जम्मू संभाग के सीआरपीएफ के एडीजी और आइजी स्वयं मौजूद होगे।

राकेश्वर सिंह के साथ वे 10 लोग भी आ रहे हैं, जिन्होंने उनकी रिहाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया।राकेश्वर सिंह मन्हास बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं, प्रदेश में उनकी बिरादरी के सदस्यों ने उनके इस्तकबाल के लिए पहले से कार्यक्रम आयोजित कर रखा है।

मन्हास बिरादरी ने नकुल पैलेस में भव्य समारोह का आयोजन किया है। जिसमें दैनिक जागरण के रिपोर्टरों के विशेषतौर पर उनकी रिहाई के लिए खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करने के लिए आमंत्रित किया गया है। उनके भाई रंजीत सिंह ने तो पहले से ही वाकायदा जागरण परिवार को चचेरे भाई के विवाह में शिरकत करने का न्यौता भेजा है। यह विवाह 30 अप्रैल को उनके पैतृक गांव खौड़ के पंगाली गांव मे होना है। उनके जम्मू के मौजूदा निवास बरनाई में मनहास सभा ने तो उनके स्वागत में भव्य आयोजन किया है। बरनाई पहुंचने पर एक विजेता के तौर पर एक रैली निकालने का भी कार्यक्रम है। यह रैली बरनाई से उनके पैतृक गांव अखनूर के खौड़ के पंगाली गांव तक जाएगी। यहां उनका स्वागत बिरादरी के सदस्य शूरवीर की तरह करेंगे।

अब जम्मू के ग्रुप सेंटर बनतलाब में हो सकती है पोस्टिंग: राकेश्वर सिंह की केंद्रीय रिजर्व पुलिस सीआरपीएफ छत्तीसगढ़ में तैनाती को पांच साल बीत जाने के बाद उनकी पोस्टिंग जम्मू में करने को भी अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्हें यह शुश्खबरी उनकी घर वापसी पर दी जाएगी।नियमों के मुताबिक किसी भी सैनिक को पांच साल से अधिक अवधि तक एक जगह पर तैनात करने का कोई नियम कानून नही है। राकेश्वर सिंह पांच साल एक ही स्थान पर रहे हैं। जिसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय किसी भी अटकलों में फंसने से पहले उनकी जम्मू में सीआरपीएफ सेंटर बनतलाब में कर सकती है।

पिता के वादे का है राघवी को इंतजार: पांच साल की बेटी राघवी पिता की वापिसी को लेकर काफी खुश है।बीते कुछ दिनों परिवार पर जो बीती उसे लेकर उसे कुछ ज्यादा जानकारी नही है। केवल उसे पिता ने टेंट लाने का जो वादा किया है, उसका वह बेसब्री से इंतजार कर रही है। बेटी राघवी एक जवान की टेंट की दुनिया को जानने का आतुर है। बेशक राघवी इस टेंट में गुड़्डे गुड़िया का खेल खेले लेकिन वास्तविकता उसका पिता ही समझ सकता है। 

chat bot
आपका साथी