Coronavirus Effect: आक्सीफ्लों मीटर के लिए सिसक रही जिंदगी, कालाबाजरी के चलते दाम 6000 तक पहुंचे
अगर जम्मू-कश्मीर के होलसेल व्यापारियों के इस तर्क पर गहनता से विचार किया जाए तो यह संभव नही है।बाजार में जानबूझ कर इसकी किल्लत को दर्शाया गया है ताकि मजबूरी में लोगा इसे खरीद कर खुदरा और रिटेल के व्यापारियों को फायदा पहुंच सके।
जम्मू, अवधेश चौहान: बेशक प्रशासन ने कोरोना काल में आक्सीजन की सप्लाई अपने हाथों में ले ली है, लेेकिन आक्सीजन सिलेंडरों के साथ लगने वाले आक्सीफ्लों मीटर के वगैर मरीजा की जान बचाना मुश्किल हो रहा है।वगैर आक्सीफ्लों मीटर के मरीज को आक्सीजन देकर उसकी जान नही बचाई जा सकती।
बेहतर होता कि उप राज्यपाल प्रशासन आक्सीफ्लों मीटर की सप्लाई पर अपनी नजर रखती तो कुछ और मरीजों की जान बचाई जा सकती थी। आलम यह है कि जम्मू में अभी भी आक्सीफ्लों मीटर रिटेल और होल सेल मार्केट में उपलब्ध नही हो पा रहा है। मार्केट में इसकी किल्लत को देखते हुए भी इसके दाम अब आसमान छूने लगे हैं।अब इसकी कीमत 6000 रूपये तक पहुंच गई है। जबकि खुदरा बाजार में इसकी कीमत 1500 रूपये है।होल से स्पलायरों का नाम न छापने पर तर्क यह है कि दिल्ली के स्पलायार हमें बिलिंग पर आक्सीजन आक्सीमीटर फ्लों 1200 से 1500 रुपये पर बेच रहे हैं, लेकिन उनकी यह शर्त है कि कि वे इस आक्सीमीटर को तभी सप्लाई करेंगे जब उन्हें बिल से अधिक कीमत पर आक्सीफ्लों मीटर बेचें जाए।जिसमें इसकी कालाबाजारी 3 गुना अधिक हो।
अगर जम्मू-कश्मीर के होलसेल व्यापारियों के इस तर्क पर गहनता से विचार किया जाए तो यह संभव नही है।बाजार में जानबूझ कर इसकी किल्लत को दर्शाया गया है, ताकि मजबूरी में लोगा इसे खरीद कर खुदरा और रिटेल के व्यापारियों को फायदा पहुंच सके। वहीं लीगल मीट्रियोलॉजी विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर मनोज प्रभाकर ने भी स्वीकार किया कि बाजार में आक्सीफ्लों मीटर गायब हैं।किल्लत को देखते हुए कुछ खास दुकानदार और होलसेल विक्रेता इसे अपने खास लोगों को यह नसीहत जरूर दे रहें है कि फलाने व्यक्ति से आप को आक्सीमीटर जरूर मिल जाएगा, लेकिन इसके लिए आपकों अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।
हद ताे यह है कि प्रशासन भी आक्सीफ्ललों मीटर की कालाबाजारी को लेकर चुप्पी साधे हुए है।ऐसे में लोग भी लाचारी में मरीजों की जान को खतरे में डालना नही चाहते और ब्लैक में सांसे देने के लिए कालाबाजारी करने के आगे गिड़गिड़ा रहे हैं। मौजूदा वक्त में प्रशासनिक अधिकारी भी अपने दायरे से उपर नही उठना चाह रहे हैं। थानेदारों की तरह उन्होंने भी अपना दायरा बना रखा है।
नौकरशाह भी इस दायरे से उपर उठ कर काम करना नही चाहते। जिससे सांसो के लिए जिंदगी लाचार दिख रही है। ऐसे में सरकार क्या करती है? क्या आक्सीजन के साथ आक्सीफ्लों मीटर की स्पलाई को अपने हाथ में ले लेती है तो यह बढ़ी बात होगी। वहीं कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री रहे मंजीत सिंह ने इसे सरकार की इंतेहा बताते हुए शीघ्र आक्सीमीटर की कालाबाजारी पर रोक लगाने की मांग की है। जिससे की जीते जी मरने वालों की संख्या पर रोक लगाई जा सके।