Coronavirus Effect in Jammu Kashmir: ग्यारह महीने बाद शुरू हुई चेस्ट डिजिजेस अस्पताल जम्मू में ओपीडी सेवाएं

Coronavirus Effect in Jammu Kashmir अभी सीडी अस्पताल को पूरी तरह से सामान्य मरीजों के लिए नहीं खोला गया है। जीएमसी की प्रिंसिपल डा. शशि सूदन का कहना है कि अभी कोरोना संक्रमित मरीजों की स्थिति की समीक्षा करने पर ही आगे फैसला होगा।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 12:17 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 12:17 PM (IST)
Coronavirus Effect in Jammu Kashmir: ग्यारह महीने बाद शुरू हुई चेस्ट डिजिजेस अस्पताल जम्मू में ओपीडी सेवाएं
ओपीडी में नियमित रूप से औसतन डेढ़ सौ मरीज अपनी जांच के लिए आते थे।

जम्मू, राज्य ब्यूरो:  कोरोना संक्रमण के कारण गत ग्यारह महीनों से बंद पड़ी चेस्ट डिजिजेस अस्पताल की ओपीडी सेवाएं मंगलवार को फिर से से बहाल हो गई। पहले दिन हालांकि जांच करवाने के लिए आने वाले मरीजों की संख्या कम है लेकिन ओपीडी सेवाएं शुरू होने से मरीजों ने राहत की सांस ली है।

आपको जानकारी हो कि एक दिन पहले ही राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू की प्रिंसिपल डा. शशि सूदन की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक ओपीडी सेवाएं शुरू करने का फैसला किया था। मंगलवार को पचास के करीब मरीजों ने अपना पंजीकरण करवा कर ओपीडी में दिखाना शुरू किया है। अस्पताल प्रशासन का का कहना है कि अगर किसी को भर्ती करने की जरूरत होगी तो उसे गांधीनगर स्थित जच्चा-बच्चा अस्पताल में भर्ती किया जाएगा।

सीडी अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. राजेश्वर शर्मा ने बताया कि आज ओपीडी सेवाएं शुरू की गई हैं। यही नहीं डायग्नोस्टिक सेवाएं भी शुरू की गई हैं। लेकिन अस्पताल में अभी कई सेवाएं शुरू नहीं की गई हें। इनमें सिटी स्कैन सेवा भी शामिल हें। अस्पताल में अभी सिटी स्कैंन केवल कोरोना संक्रमित मरीजों का ही होगा। सामान्य मरीजों का सिटीह स्कैन मेडिकल कालेज में ही होगा।

अभी सीडी अस्पताल को पूरी तरह से सामान्य मरीजों के लिए नहीं खोला गया है। जीएमसी की प्रिंसिपल डा. शशि सूदन का कहना है कि अभी कोरोना संक्रमित मरीजों की स्थिति की समीक्षा करने पर ही आगे फैसला होगा। अगर कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती है तो इसे फिर से कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए ही रखा जाएगा। सीडी अस्पताल जम्मू का पहला कोविड अस्पताल बनाया गया था। कोविड अस्पताल बनाने से पहले यहां पर हर दिन ओपीडी में नियमित रूप से औसतन डेढ़ सौ मरीज अपनी जांच के लिए आते थे। 

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