Coronavirus Effect: शादी कल, मेकअप कराएं आज-बुकिंग के आधार पर दी जाए पार्लर खाेलने की अनुमति

कोरोना महामारी ने जब पिछले साल मार्च में दस्तक दी थी तो सरकार के होश उड़ गए थे। इस महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य ढांचा नहीं था लेकिन तब सरकार ने इस महामारी से निपटने के लिए काम शुरू किया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 01:33 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 01:34 PM (IST)
Coronavirus Effect: शादी कल, मेकअप कराएं आज-बुकिंग के आधार पर दी जाए पार्लर खाेलने की अनुमति
पार्लर खाेलने की अनुमति मिले लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।

जम्मू, जागरण संवाददाता: कोविड-19 की नई गाइडलाइंस के तहत सरकार की ओर से रोटेशन के आधार पर एक दिन में 50 फीसद ही दुकानें खोलने की अनुमति देने से नई विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस समय शादियों का सीजन चल रहा है लेकिन बयूटी पार्लर सप्ताह में तीन दिन खुल रहे हैं।

पता चला कि शादी का शुभ मुहुर्त शनिवार या मंगलवार को है लेकिन ब्यूटी पार्लर तो सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को ही खुलना है। अब क्या करें, मंगलवार की शादी के लिए शनिवार को ही तैयार होकर बैठे या बिना तैयार हुए शादी में जाए। यह समस्या जम्मू की महिलाओं की इस समय सबसे बड़ी समस्या बन गई है। शादी समारोह में हालांकि इस समय 50 से 100 लोगों को ही शामिल होने की अनुमति है लेकिन दुल्हन व परिवार के सदस्यों को तो तैयार होने के लिए ब्यूटी पार्लर चाहिए।

अब ब्यूटी पार्लर भी परेशान है और हर तरफ माथा पटक रहे हैं कि उन्हें उनकी बुकिंग के आधार पर ही पार्लर खाेलने की अनुमति मिले लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।

नुकसान उठाकर निभा रहे जिम्मेदारी: जम्मू के व्यापारियों ने हर मुसीबत में एकजुटता की मिसाल कायम की है। बात अगर 2008 के श्री अमरनाथ जमीन आंदोलन की करें तो करोड़ों रुपये का नुकसान उठाते हुए जम्मू के व्यापारियों ने एकजुटता से आंदोलन को निर्णायक अंत तक पहुंचाया। पिछले साल जब कोरोना महामारी फैली तो लॉकडाउन का सामना करते हुए प्रशासन का पूरा साथ दिया। इस बार भी प्रदेश के उपराज्यपाल की एक अपील पर व्यापारिक संगठन नुकसान उठाने के लिए तैयार हो गए। चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू ने जहां अपने स्तर पर दुकानदारों को बाजार सात बजे बंद करने का आह्वान कर दिया तो वहीं जम्मू की सबसे बड़ी अनाज मंडी वेयर हाउस-नेहरू मार्केट ने मंडी छह बजे बंद करने का फैसला ले लिया। अब इस मंडी ने अपने स्तर पर वीकेंड लॉकडाउन की घोषणा की है। सीमित अवधि के लिए दुकानें खोलने व वीकेंड लॉकडाउन करने से कारोबार का नुकसान तो अवश्य होगा लेकिन व्यापारियों ने ऐसा करके साबित किया है कि वे समाज के प्रति अपने दायित्व को भलीभांति समझते है और निभाना जानते हैं।

काम कर गया सरकार का फार्मूला: बाजारों में भीड़ कम करने का सरकार का फार्मूला काम कर गया है। सरकार की ओर से कोविड-19 की नई गाइडलाइंस के तहत एक दिन में रोटेशन के आधार पर केवल 50 फीसद ही दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है। इससे बाजारों की भीड़ कम हो गई है। इस पर यात्री वाहनों को 50 फीसद क्षमता के साथ चलने के विरोध में ट्रांसपोर्टर बसें व मिनी बसें नहीं चला रहे। इससे सड़कें खाली हो गई है। इन दोनों गाइडलाइंस से चाहे नुकसान झेलना पड़ रहा है लेकिन इस समय इंसानी जान के सामने यह नुकसान छोटा नजर आ रहा है। प्रदेश सरकार ने बिना लॉकडाउन की घोषणा करके बाजारों में भीड़ नियंत्रित करने का काम किया है। ऐसे में समाज का एक वर्ग ऐसा मान रहा है कि सरकार को इसी फार्मूले पर अगले कम से कम पंद्रह दिन तक काम करना चाहिए ताकि कोविड-19 का ग्राफ कुछ नीचे आ सके।

एक साल क्या करती रही सरकार: कोरोना महामारी ने जब पिछले साल मार्च में दस्तक दी थी तो सरकार के होश उड़ गए थे। जम्मू-कश्मीर में इस महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य ढांचा नहीं था लेकिन तब सरकार ने इस महामारी से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर ढांचा खड़ा करने की दिशा में काम शुरू किया। ऐसा लग रहा था कि शायद सरकार नींद से जाग गई है और भविष्य में ऐसी कोई महामारी आने पर स्वास्थ्य विभाग मुकाबला कर लेगा लेकिन अब कोरोना की दूसरी लहर के जोर पकड़ते ही जम्मू में स्वास्थ्य ढांचा फिर से हांफने लगा है। निजी अस्पतालों में तो इस समय मरीजों के लिए ना बेड है और न पर्याप्त ऑक्सीजन। सरकारी अस्पतालों का ढांचा भी अब तनाव में है और अगर जम्मू में कोविड-19 के केसों में वृद्धि का यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो मौजूदा ढांचा अगले कुछ दिनों में हांफ जाएगा। स्वास्थ्य ढांचे की इस हालत ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है कि सरकार आखिरकार पिछले एक साल में क्या करती रही? 

chat bot
आपका साथी