Coronavirus Effects in J&K: पढ़ाई पर कोरोना की मार, स्कूल खुलने के आसार नहीं, लगातार दो अकादमिक सत्र बर्बाद
उपराज्यपाल प्रशासन ने सिर्फ 10वीं व 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को ही कोरोना की रोकथाम के लिए निर्देशों का पालन सुनिश्चित बनाकर स्कूल भेजने की अनुमति दी है। अन्य सभी कक्षाएं व परीक्षाएं आनलाइन ही चल रही है। जिस तरह से सरकार कोरोना के ओमीक्रान को लेकर सतर्क है
जम्मू, राज्य ब्यूरो। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूलों के आगामी दो-तीन महीने खुलने की संभावना नहीं है। दूसरा अकादमिक सत्र समाप्त होने में चार महीने का समय ही शेष बचा है। ऐसे में जिस तरह से कोरोना के मामले निरंतर बढ़ रहे हैं और जिला स्तर पर माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए जा रहे है, इस हालात में स्कूलों के खुलने की उम्मीद नहीं है। सरकार बच्चों को लेकर कोई जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं है। कश्मीर संभाग व जम्मू संभाग के विंटर जोन में सर्दी की छुट्टियां घोषित कर दी गई है।
उपराज्यपाल प्रशासन ने सिर्फ 10वीं व 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को ही कोरोना की रोकथाम के लिए निर्देशों का पालन सुनिश्चित बनाकर स्कूल भेजने की अनुमति दी है। अन्य सभी कक्षाएं व परीक्षाएं आनलाइन ही चल रही है। जिस तरह से सरकार कोरोना के ओमीक्रान को लेकर सतर्क है और एहतियात के तौर पर प्रभावी कदम उठाए गए है, उससे यह साफ हो गया है कि कोरोना का खतरा कम नहीं हुआ है। अगले तीन चार महीने एहतियात बरतना ही होगा। अब तो उच्च शिक्षण संस्थानों पर भी बंद होने की तलवार लटकी है।
जम्मू कश्मीर में इस समय उच्च शिक्षण संस्थान ही खुले हैैं। स्टाफ और विद्यार्थियों के सौ फीसद वैक्सीनेशन के साथ पचास फीसद क्षमता के साथ उच्च शिक्षण संस्थान खोले गए हैं। इनमें सीनियर को ही बुलाया गया है। श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय कटड़ा में इस अकादमिक सत्र के विद्यार्थियों की कक्षाएं आन लाइन ही लग रही है। सीनियर ही वहां पर कैंपस में पढ़ाई कर रहे है। ऐसे में अभी तक जम्मू विश्वविद्यालय इस साल के अगस्त सत्र की दाखिला प्रक्रिया भी पूरी नहीं कर पाया है।
विश्वविद्यालय के चालीस से अधिक पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला के लिए आवेदन फार्म भरे जा चुके है। अभी मेरिट सूचियों के जारी होने का इंतजार है। एक महीना इस प्रक्रिया में लगेगा। ऐसे में अगस्त सितंबर 2021 का अकादमिक सत्र जनवरी फरवरी 2022 में लगेगा। जम्मू विश्वविद्यालय के साइकाॅलोजी विभाग के प्रो. चंद्र शेखर का कहना है कि कोरोना ने सबसे अधिक बच्चों की पढ़ाई पर डाला है। आनलाइन पढ़ाई कभी भी क्लास रूम शिक्षा का स्थान नहीं ले सकती। स्कूल बंद रहने का असर बच्चों की मानसिक स्थिति पर पड़ा है। बच्चे लिखना, पढ़ना भूल रहे हैं। आलसी हो गए है। सिस्टम बिगड़ चुका है। कोरोना का जोखिम भी उठाया नहीं जा सकता। फिलहाल कोई रास्ता निकलता नजर नहीं आ रहा है क्योंकि सुरक्षा सबसे अहम है।