Jammu Kashmir: कोरोना ने बदला पढ़ाई का सिस्टम, पढ़ाई भी ऑनलाइन और कोचिंग भी ऑनलाइन
जम्मू कोरोना ने शिक्षा का स्वरूप ही बदल डाला है। ऑनलाइन स्कूली पढ़ाई के साथ अब कोचिंग भी ऑनलाइन हो रही है। प्रतिस्पर्धा की परीक्षाओं से लेकर छोटी कक्षाओं की कोचिंग भी ऑनलाइन ही हो रही है। विद्यार्थी लाइब्रेरियों से दूर हो चुके हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: जम्मू कोरोना ने शिक्षा का स्वरूप ही बदल डाला है। ऑनलाइन स्कूली पढ़ाई के साथ अब कोचिंग भी ऑनलाइन हो रही है। प्रतिस्पर्धा की परीक्षाओं से लेकर छोटी कक्षाओं की कोचिंग भी ऑनलाइन ही हो रही है। विद्यार्थी लाइब्रेरियों से दूर हो चुके हैं।
प्रतिस्पर्धा की परीक्षाओं के लिए भी असमंजस जैसी स्थिति बन गई है। विद्यार्थी और उनके अभिभावक है परेशान हैं मगर इस समय जान की सुरक्षा ही है प्राथमिकता बनी हुई है। जम्मू कश्मीर में कोरोना से उपजे हालात को देखते हुए सभी शिक्षण संस्थानों को 31 मई तक बंद रखने के आदेश दिए हैं। साथ ही कोचिंग संस्थान भी बंद हैं। ऐसे में विद्यार्थी अपनी पढ़ाई तो आन लाइन कर ही रहे हैं साथ ही ट्यूशन भी ऑनलाइन हासिल कर रहे हैं। प्रतिस्पर्धा की परीक्षा जिसमें मेडिकल, इंजीनियरिंग, सिविल सर्विस की परीक्षाएं शामिल की कोचिंग भी ऑनलाइन ही हो रही है। विद्यार्थी इससे संतुष्ट नहीं हैं। फिलहाल कोई रास्ता भी दिखाई नहीं दे रहा है। प्रतिस्पर्धा की परीक्षाओं की तैयारियों के लिए विद्यार्थी लाइब्रेरियों में बैठ कर पढ़ाई करते थे। रेफरेंस के लिए पुस्तकों का इस्तेमाल करते थे। अब तो इंटरनेट ही सहारा है अलबत्ता कई विद्यार्थियों ने प्रतिस्पर्धा की परीक्षाओं के लिए पुस्तकें बाजार से खरीदी हुई हैं।
पिछले वर्ष सामुदायिक शिक्षा से विद्यार्थियों की काफी मदद हुई थी मगर कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक है कि प्रशासन ने इस बार सामुदायिक शिक्षा की इजाजत नहीं दी है। परीक्षाएं ऑनलाइन हो रही हैं। प्रोफेशनल कोर्सों इंजीनियरिंग व बीएड की परीक्षाएं भी ऑनलाइन करवाई जा रही है। मेडिकल को लेकर अभी मामला लटका हुआ है। हालांकि मेडिकल के विद्यार्थी भी ऑनलाइन परीक्षाओं की मांग कर रहे है।
प्रेक्टिकल करने का मौका विद्यार्थियों को नहीं लग रहा। छात्र मुकेश मन्हास का कहना है कि कोरोना ने तो शिक्षा का स्वरूप ही बदल डाला है। सब कुछ ऑनलाइन होने से हम कितना सीखेंगे मगर कोई चारा नहीं है। अब शिक्षा की गुणवत्ता नहीं है। इंजीनियरिंग कर रही साक्षी कहती है कि प्रेक्टिकल तो हुए नहीं, ऑनलाइन में ही हमने एक साल से अधिक का समय निकाल दिया। मामला जिंदगी की सुरक्षा का है इसलिए समझौता तो करना ही होगा।