Jammu Kashmir: कश्मीर में गैर कश्‍मीरी चेहरों को निशाना बनाकर नफरत की आग पुन: भड़काने की साजिश

लगभग डेढ़ माह 17 फरवरी की शाम आतंकियों ने पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र श्रीनगर के प्रख्‍यात कृष्‍णा ढाबे के काउंटर पर बैठे ढाबा संचालक के बेटे को गोली मार दी। दोनों बार कश्‍मीर में धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों को निशाना बनाया गया। दोनों परिवार दशकों से कश्‍मीर में रोजगार चला रहे।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 02:51 PM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 02:51 PM (IST)
Jammu Kashmir: कश्मीर में गैर कश्‍मीरी चेहरों को निशाना बनाकर नफरत की आग पुन: भड़काने की साजिश
दोनों बार कश्‍मीर में धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों को निशाना बनाया गया। दोनों ही परिवार दशकों से कश्‍मीर में रोजगार चला रहे।

श्रीनगर, नवीन नवाज । 31 दिसंबर 2020 काे जब देश-दुनिया के पर्यटक कश्‍मीर में नए साल का जश्‍न मनाने पहुंचे थे, इसी बीच श्रीनगर की हाई स्‍ट्रीट में आतंकियों ने नामी ज्‍वेलर सतपाल निश्‍चल की निर्ममता से हत्‍या कर दी। इसके लगभग डेढ़ माह 17 फरवरी की शाम आतंकियों ने पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र श्रीनगर के प्रख्‍यात कृष्‍णा ढाबे के काउंटर पर बैठे ढाबा संचालक के बेटे को गोली मार दी। दोनों बार कश्‍मीर में धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों को निशाना बनाया गया। दोनों ही परिवार दशकों से कश्‍मीर में रोजगार चला रहे थे।

ज्‍वेलर और ढाबा संचालक पर हमला कर कट्टरवादी ताकतों का समर्थन पाना चाहते हैं आतंकी संगठन

कश्‍मीर में आतंकियों पर कसते शिकंजे के बीच यह दोनों घटनाएं धर्मांध इस्‍लामी कट्टरपंथी ताकतों की सोच और उनकी खीझ को उजागर करती हैं। साथ ही धार्मिक अलगाव बढ़ाकर कश्‍मीर के हितों को निशाना बनाने की साजिश का भी खुलाता करती हैं। एक दौर में धार्मिक कट्टरवाद के नाम पर कश्‍मीर के शिक्षण संस्‍थानों और मनोरंजन के साधनों को निशाना बनाने वाले यह आतंकी अब घाटी के पर्यटन और आम लोगों की आजीविका पर निशाना बनाने का घिनौना खेल रहे हैं।धार्मिक कट्टरवाद को हवा देकर एक बार फिर कश्‍मीर की आबोहवा को प्रदूषित करने की गहरी साजिश रची जा रही है। साजिश है कि हाशिए पर आए कट्टरवादी संगठन उनके पीछे खड़े हो जाएं।जम्मू कश्मीर में तीन दशक से जारी आतंक ने कई बार चेहरे बदले हैं और चोला भी। जम्‍मू कश्‍मीर के पुनर्गठन के बाद कश्‍मीर भी बदला और कश्‍मीरियों की सोच भी। नतीजा आतंक के लिए जमीन तंग हो गई। इसके बाद आतंक के आकाओं ने रणनीति बदली और धर्मांध युवाओं को फुसलाकर आगे किया। पुराने संगठन किनारे लगने के बाद अब नए संगठनों को हवा दी गई। द रजिस्टेंस फ्रंट अब कश्मीर में सक्रिय सबसे खूंखार आतकी संगठन में एक है। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर गजनवी फोर्स, पीपुल्स एंटी फासिस्ट फोर्स, लश्कर ए मुस्तफा और कश्मीर टाइगर्स जैसे संगठन अस्तित्व में आए। यह संगठन सीधे इस्लाम के नाम पर खून बहाने के लिए लोगों को उकसाते हैं।अब कश्‍मीर की आजादी के नारे पीछे छोड़ मजहबी अलगाव ही हथियार बन चुका है।

गैर कश्‍मीरी अल्‍पसंख्‍यक हैं निशाना :

इससे पूर्व आतंकियाें ने कश्मीर में कई बाहरी श्रमिकों और ट्रक चालकों की हत्या भी हत्‍या की थी। आम लोगों को निशाना बनाने की साजिश कश्‍मीर में इन दिनों तेजी से बढ़ी है पर ज्‍वेलर और ढाबा संचालक पर हमले के पीछे साजिश और भी बड़ी है। दोनाें ही कश्मीर में हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर कश्‍मीरी नामी चेहरे हैं। ज्‍वेलर सतपाल निश्‍चल को निशाना बनाने का कारण डोमिसाइल बताया गया। साजिश थी कि डोमिसाइल प्रक्रिया बाधित कर दी जाए। कृष्णा ढाबा पर हमला माहौल को सामान्‍य होने से रोकने की साजिश का ही हिस्सा है। यह ढाबा सैलानियों के साथ-साथ स्थानीय लाेगों और नौकरशाहों के लिए भी पहली पसंद है। यह हमला कश्मीर में आरंभ हो रहे पर्यटन सीजन को तबाह करने, कश्मीरी-गैर कश्मीरी के बीच नफरत पैदा करने और कश्मीर में रह रहे अल्पसंख्यकों में खौफ पेदा करने की साजिश है।

श्रीनगर के बागात बरजुला में ही शुक्रवार को दो निहत्‍थे पुलिसकर्मियाें पर कायराना हमला आमजन में खौफ पैदा करने की साजिश का ही हिस्‍सा है।दबाव में पाकिस्‍तान ने बदल दिए मुखौटे आतंक विरोधी मुहिम से जुड़े रहे पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अशकूर वानी कहते हैं कि पुलवामा के बाद जैश, लश्कर और हिजबुल जैसे संगठन अत्यंत दबाव में हैं। इनके सभी पुराने कमांडर मारे जा चुके हैं। पाकिस्तान भी स्‍वयं काे कश्मीर में आतंकवाद के प्रायोजक की छवि से दूर रखना चाहता है। इसलिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने इन संगठनों के सहयोग से आतंक का मुखौटा बदल दिया और नए संगठन खड़े कर दिए। साजिश है कि पाकिस्तान यह कहकर खाल बचाएगा कि कि यह संगठन कश्‍मीरी हैं और हिंसा से उसका नाता नहीं है।

नए संगठनों को स्थानीय स्रोत से ही पैसा जुटाने का जिम्मा दिया गया है

नए संगठनों को स्थानीय स्रोत से ही पैसा जुटाने का जिम्मा दिया गया है। इसका सुबूत नवंबर 2020 में शाेपियां और बीती रात बड़गाम मं एक पेट्राेल पंप पर हुई लूट से भी मिला है। आइएसआइ अब उन्हीं संगठनों की मदद कर रही है जो बिना पैसा लिए कश्मीर में वारदात को अंजाम दें। सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की साजिशइस्लाम के नाम पर गैर कश्मीरियों को निशाना बना जेहादी कट्टरपंथी मानसिकता का विस्‍तार करना चाहते हैं। उनके आका मानते हैं कि इस तरह की कार्रवाईयों की पूरे हिंदुस्तान में प्रतिक्रिया होगी और सांप्रदायिक तनाव पैदा होगा और किसी भी समय सांप्रदायिक दंगे भड़का दिए जाएंगे।गर्मियाें में सावधानी जरुरीगर्मियाें का मौसम कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से गर्म हो सकता है।

गर्मियों में ही कश्मीर में पर्यटन जोरों पर होता है, श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा भी इसी दौरान चलती है। टीआरएफ, गजनवी फोर्स,लश्कर-ए-मुस्तफा, कश्मीर टाइगर्स जैसे आतंकी संगठन गर्मियों में कश्मीर आने वाले पर्यटकों को निशाना बनाने की साजिश रच सकते हैं। आइईडी धमाके, ग्रेनेड हमले और टारगेट किलिंग के जरिए सुरक्षाबलों पर दबाव बढ़ाने की साजिश होगी। हालांकि आइपीएस अधिकारी इम्तियाज हुसैन कहते हैं कि इन साजिशों का वही हश्र होगा जो अब तक होता आया है। जो भी आएगा मारा जाएगा।समर स्ट्रेटजी के साथ सुरक्षाबल हैं तैयारकश्मीर में आतंकवाद के बदलते चेहरे और तौर तरीकों से निपटने के लिए सुरक्षाबल पूरी तरह तैयार हैं।

अफवाहें फैलाने वाले तत्वों की इंटरनेट मीडिया पर भी लगातार निगरानी की जा रही है

आइजीपी कश्मीर विजय कुमार के मुताबिक सभी खतरों और आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए वादी में हालात सामान्य बनाए रखन के लिए रणनीति बनाई गई है। आतंकियों के वित्तीय और ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क के खिलाफ लगातार प्रहार किया जा रहा है। संभावित ठिकानों पर सुनियोजित तरीके से दबिश दी जा रही है। आइईडी धमाकाें, ग्रेनेड हमलों से निपटने के लिए एक विशेष रणनीति अपनाई गई है। अफवाहें फैलाने वाले तत्वों की इंटरनेट मीडिया पर भी लगातार निगरानी की जा रही है। वादी में उन जगहों को भी चिह्नित किया जा रहा है जहां आतंकी पर्यटकों और अल्पसंख्यकों को निशाना बना सकते हैं। थानास्तर पर क्षेत्र के युवाओं के साथ संवाद समन्‍वय बढ़ाया जा रहा है।

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