Jammu Kashmir: यूृं ही नहीं चुना जी-23 ने जम्मू को शंखनाद के लिए, दो वर्षों में जम्मू में कांग्रेस की सबसे बड़ी रैली

कांग्रेस में मुखर होते बागी स्वर शनिवार को पहली बार सार्वजनिक मंच पर भी गूंजे और वह भी राष्ट्रीय राजनीति में अकसर सुर्खियों में बने रहने वाले जम्मू कश्मीर की शरदकालीन राजधानी जम्मू में। यह सोच समझकर ही तय किया गया था। सभी नेता शुक्रवार दोपहर से जम्मू में थे।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 12:27 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 12:27 PM (IST)
Jammu Kashmir: यूृं ही नहीं चुना जी-23 ने जम्मू को शंखनाद के लिए, दो वर्षों में जम्मू में कांग्रेस की सबसे बड़ी रैली
सभी ने आला कमान के साथ नाराजगी व्यक्त की,लेकिन किसी का नाम नहीं लिया।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : कांग्रेस में मुखर होते बागी स्वर शनिवार को पहली बार सार्वजनिक मंच पर भी गूंजे और वह भी राष्ट्रीय राजनीति में अकसर सुर्खियों में बने रहने वाले जम्मू कश्मीर की शरदकालीन राजधानी जम्मू में। गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, वीके तन्खा, भूपेंद्र हुड्डा, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी व राज बब्बर ने परोक्ष शब्दों में कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती दी, लेकिन कहीं भी यह नहीं कहा कि वे कांग्रेस से अलग हैं या उससे अलग होने की सोच रहे हैं। ये सभी कांग्रेस में बागी गुट कहे जाने वाले जी-23 का हिस्सा हैं। जिस अंदाज में इन्होंने अपनी बात रखी, उससे साफ हो गया कि जम्मू का दौरा और गांधी ग्लोबल फैमिली का शांति सम्मेलन महज संयोग नहीं था। यह सोच समझकर ही तय किया गया था। सभी नेता शुक्रवार दोपहर से जम्मू में थे।

कयास लगाया जा रहा था कि शनिवार को ये कुछ ऐसा करेंगे जिससे कांग्रेस आला कमान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यह कयास सच साबित हुआ। सभी ने आला कमान के साथ नाराजगी व्यक्त की,लेकिन किसी का नाम नहीं लिया। इससे इनकी राजनीतिक परिपक्वता का अंदाजा लगाया जा सकता है। आम लोगों के बीच सार्वजनिक मंच और वह भी गांधी ग्लोबल फैमिली के समारोह में बोलने से पूर्व इन नेताओं के बीच दो बार बैठक हुई। दोनों बैठकें सिर्फ और सिर्फ इसी मुद्दे पर केंद्रित रही कि बोलना उतना ही है जिससे सांप भी मरे और लाठी न टूटे। सुबह समारोह स्थल पर पहुंचने के बाद इन नेताओं ने मंच पर आने से पूर्व करीब 20 मिनट तक आपस में चर्चा की।

जम्मू के सैनिक कालोनी में हुए सम्मेलन के बारे में आजाद के करीबियों के अलावा वीरवार तक शायद ही शहर में किसी को पता था। सम्मेलन में पूृरे संभाग से कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता विशेषकर गुलाम नबी आजाद के करीबी पहुंचे हुए थे। मंच से लेकर दर्शक दीर्घाओं में वही थे। गांधी ग्लोबल फैमिली सिर्फ मंच पर लगे पोस्टर या आजाद व उनके साथ आए मेहमानों को सम्मानित करने, उन्हेंं भगवा रंग में डोगरा पगड़ी पहनाने तक सीमित रही। दो वर्षों में जम्मू में यह कांग्रेस की अब तक की बड़ी रैली कही जाएगी,जिससे आजाद व उनके साथ काफी उत्साहित थे। उन्होंने पूरी रैली में सिर्फ महात्मा गांधी, कांग्रेस और जम्मू कश्मीर के लिए राज्य के दर्ज की बहाली का जिक्र किया या फिर कांग्रेस में जारी कलह का संकेत दिया। एक बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मेादी का नाम नहीं लिया, कहीं भी भाजपा का जिक्र नहीं किया। केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री की आलोचना उन्होंने जरूर की,लेकिन तल्खी के साथ नहीं। तल्खी कांग्रेस नेतृत्व पर निकाली।

इकट्ठा होकर इसे मजबूत करना 

आजाद ने कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, राज बब्बर,मनीश तिवारी ,भूपेंद्र हुड्डा और वीके तन्खा की जम्मू में गांधी ग्लोबल फैमिली के मंच पर मौजूदगी का जिक्र करते हुए कहा कि यह लोग हमेशा ही हर मंच पर, देश के विभिन्न हिस्सों, संसद के भीतर और बाहर हर जगह जम्मू कश्मीर के हक में आवाज उठाई। सिब्बल ने कहा कि सच बोलने का मौका है और आज सच ही बोलेंगे। हम क्यों यहां इकट्ठा हुए हैं। सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस पार्टी हमें कमजोर होती दिख रही है। हम यहां इकट्ठा हुए हैं। पहले भी इकट्ठा हुए थे। हमें इकट्ठा होकर इसे मजबूत करना है।

भगवा पगड़ी पहनकर बड़ा संकेत 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि आज का कार्यक्रम महज संयोग नहीं था। इसे लेकर आजाद और उनके साथ आए अन्य वरिष्ठ नेताओं के बीच काफी बातचीत हुई है। महात्मा गांधी को 1947 में जम्मू कश्मीर में सांप्रदायिक सौहार्द की नई किरण नजर आई थी। यह जो नेता आए हैं,वह भी गांधी की विचारधारा से प्रभावित हैं और उनकी कांग्रेस को मजबूत बनाना चाहते हैं। इसलिए जम्मू को पहली रैली के लिए चुना गया है। जम्मू कश्मीर अहम है, यहां से सियासी मंच पर की गई बात के राष्ट्रीय सियासत में बहुत मायने रहते हैं, यह सभी जानते हैं। कांग्रेस आला कमान पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन के साथ जुड़ा है। जी-23 के नेताओं ने भगवा पगड़ी पहनकर बड़ा संकेत दिया है। वह कांग्रेस बेशक न छोड़ें, लेकिन कांग्रेस में बदलाव का राग और मिशन नही छोड़ने वाले।

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