Bharat Raksha Parv 2021: जवानों के लिए भेजा साईरस स्कूल बिश्नाह के बच्चों ने स्नेह का धागा

साईरस स्कूल की ओर से स्कूल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें इन राखियों को जागरण को सौंपा गया। इस मौके पर स्टाफ सदस्य भी मौजूद थे जबकि कोविड के चलते स्कूलों को बंद रखने के निर्देश के चलते बच्चे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Wed, 18 Aug 2021 03:49 PM (IST) Updated:Wed, 18 Aug 2021 03:49 PM (IST)
Bharat Raksha Parv 2021: जवानों के लिए भेजा साईरस स्कूल बिश्नाह के बच्चों ने स्नेह का धागा
बच्चों से एकत्रित राखियों को साईरस स्कूल के एमडी योगेश जंडियाल, प्रिंसिपल सुनीता जंडियाल ने इन्हें दैनिक जागरण को सौंपा।

जम्मू, जागरण संवाददाता । दैनिक जागरण के भारत रक्षा पर्व का हिस्सा बनते हुए साईरस स्कूल बिश्नाह के बच्चों ने भी देश की सरहदाें पर तैनात जवानों के लिए स्नेह का धागा राखियां भेजी है। स्कूल की ओर से बच्चों से इन राखियों को अपने हाथों से बनवाया गया था। इन राखियों को बच्चों से एकत्रित कर साईरस स्कूल के एमडी योगेश जंडियाल व प्रिंसिपल सुनीता जंडियाल ने इन्हें दैनिक जागरण को सौंपा। दैनिक जागरण आगे इन राखियों को देश के जवानों तक पहुंचाएगा ताकि अपने घरों से दूर रहकर देश की रक्षा कर रहे जवानों की कलई खाली न रहे।

साईरस स्कूल की ओर से स्कूल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें इन राखियों को जागरण को सौंपा गया। इस मौके पर स्टाफ सदस्य भी मौजूद थे जबकि कोविड के चलते स्कूलों को बंद रखने के निर्देश के चलते बच्चे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। वहीं एमडी योगेश जंडियाल ने इस मौके पर कहा कि उनका स्कूल हर बार रक्षा सूत्र बच्चों से बनवाकर उन्हें जागरण के माध्यम से जवानों तक पहुंचाता आ रहा है। पहले इन राखियों को बच्चे स्कूल में ही बनाते थे लेकिन इस बार स्कूल बंद होने के कारण बच्चों ने घरों में ही राखियां बनाकर उन्हें स्कूल में भेजा जहां उन्हें एकत्रित किया गया।

वहीं स्कूल की प्रिंसिपल सुनीता जंडियाल ने कहा कि दैनिक जागरण यह मुहिम काफी सराहनीय है। जब हमारी बनाई राखी किसी जवान की कलई पर सजती है तो हमें भी गर्व महसूस होता है। बच्चे भी इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। उनमें भी एक दूसरे से बेहतर राखी बनाने का उत्साह झलकता है जो उनकी अपने जवानों के प्रति स्नेह को दर्शाता है। इस बार चाहे बच्चे स्कूल में नहीं आ सके लेकिन उन्होंने परंपरा बन चुके इस पर्व में हिस्सेदारी जारी रखी है।

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