Jammu Kashmir: अब कोविड के साथ जीना और कारोबार करना, दोनों सीखने होंगे: अरूण गुप्ता

हम शुरू से मांग कर रहे हैं कि व्यापार को बचाने के लिए ट्रेड पालिसी बनाए। पिछले साल जब लॉकडाउन हुआ तो सबसे अधिक नुकसान छोटे व्यापारियों ने उठाया। नुकसान उठाने वाले ये व्यापारी थे जिन्होंने खुद से फ्री राशन तक बांटा ताकि जम्मू में कोई भूखे पेट न सोये।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sun, 02 May 2021 03:11 PM (IST) Updated:Sun, 02 May 2021 03:11 PM (IST)
Jammu Kashmir: अब कोविड के साथ जीना और कारोबार करना, दोनों सीखने होंगे: अरूण गुप्ता
पता नहीं आने वाले दिनों में क्या होगा?

जम्मू, जागरण संवाददाता: कोरोना महामारी अब इंसानी सांसों पर भारी पड़ रही है। इसके बढ़ते कहर को थामने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से इस समय कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है लेकिन हो सकता है कि आने वाले दिनों में सरकार इस कर्फ्यू को हटा दे और एक बार फिर आम गतिविधियों को सीमित रूप से जारी रखने की अनुमति मिल जाए। ऐसे में छूट मिलने पर बाजारों में क्या फिर वहीं लापरवाहियां देखने को मिलेंगी या फिर लोग इस महामारी को लेकर कुछ संजीदा होंगे?

लॉकडाउन के कारण कारोबार को जो नुकसान पहुंच रहा है, क्या आने वाले दिनों में इसकी भरपाई हो पाएगी? सरकार की ओर से कोरोना कर्फयू के दौरान आवश्यक सेवाओं को सिर्फ चार घंटे की सीमित छूट से क्या लोगों की जरूरत पूरी हो रही है और क्या ऐसा लॉकडाउन आगे बढ़ाया जाना जरूरी है, ऐसे कई सवालों का जवाब ढूंढने के लिए दैनिक जागरण संवाददाता ललित कुमार ने चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू के प्रधान अरूण गुप्ता से विशेष बातचीत। पेश है इस बातचीत के कुछ मुख्य अंश :

प्र. जम्मू में कोरोना महामारी के हालात को काफी डराने वाले है, कारोबार का क्या हाल है?

ऊ. बदतर। कारोबार बुहत ही बुरे दौर से गुजर रहा है। पिछले साल भी लॉकडाउन से छोटे दुकानदारों को सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ा था। कई महीनों की मंदी के बाद शादियों के सीजन में कारोबार के पटरी पर लौटने की उम्मीद थी लेकिन अब एक बार फिर कोरोना महामारी ने सबको घर में रहने पर मजबूर कर दिया है। जम्मू जैसे छोटे शहर के दुकानदार तो पूरी तरह से बर्बाद हो गए है। जो नुकसान हुआ है, उसकी सालों तक भरपाई नहीं हो पाएगी। पिछले लाॅकडाउन में ड्राइफ्रूट वालों का करोड़ों का नुकसान हुआ था। करोड़ों रुपये का ड्राइफ्रूट दुकानों में पड़ा-पड़ा सड़ गया था। अब भी ऐसे ही हालात बन रहे हैं। पता नहीं आने वाले दिनों में क्या होगा?

प्र. प्रशासन ने जम्मू में कोरोना कर्फ्यू को वीरवार सुबह तक बढ़ाया है। इस कर्फ्यू में आवश्यक सेवाओं को केवल चार घंटे की छूट दी गई है, क्या यह पर्याप्त है?

ऊ. हमने तो पहले भी प्रशासन से आग्रह किया था कि वीकेंड लॉकडाउन लगाया जाए। प्रशासन चाहे तो शुक्रवार, शनिवार व रविवार को लॉकडाउन रखे और सोमवार, मंगलवार, बुधवार व वीरवार को सुबह दस से शाम सात बजे सभी दुकानें खोलने की अनुमति दे लेकिन हमारी बात नहीं सुनी गई और उसके बाद लॉकडाउन की घोषणा की गई। देखे, अब एक बात को सबको समझनी होगी कि हमें अब कोरोना के साथ जीना भी है और कारोबार भी करना है। जान है तो जहान है। इस समय जान बचाना सबसे जरूरी है। इसलिए सबको सतर्क रहने की जरूरत है। मेरा सुझाव है कि जिस तरह से प्रशासन ने आवश्यक सेवाओं से जुड़ी दुकानों को सुबह चार घंटे खोलने की इजाजत दी है, उसी तरह गैर-जरूरी सामान की दुकानों के लिए भी कोई शेड्यूल बनाया जाए और कुछ घंटों के लिए उन्हें भी खोलने की अनुमति दी जाए। इस समय शादियों का सीजन है और लोगों के लिए लगभग हर चीज जरूरी है। ऐसे में हम इन दुकानों को भी तो लंबे समय के लिए बंद नहीं रख सकते। अब सरकार को कोरोना महामारी के साथ जारी जंग के बीच आर्थिक गतिविधियों को जारी रखने की दिशा में बढ़ना होगा।

प्र. जब भी कोई बंद होता है, दुकानदार को नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में आपकी सरकार से सहयोग की क्या उपेक्षाएं है?

ऊ. हम शुरू से मांग कर रहे हैं कि व्यापार को बचाने के लिए ट्रेड पालिसी बनाई जाए। पिछले साल जब लॉकडाउन हुआ तो सबसे अधिक नुकसान छोटे व्यापारियों ने उठाया। नुकसान उठाने वाले ये व्यापारी थे जिन्होंने खुद से फ्री राशन तक बांटा ताकि जम्मू में कोई भूखे पेट न सोये। हमें खुशी है कि सरकार ने पिछले लॉकडाउन से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए कुछ आर्थिक सहयोग दिया लेकिन बैंक ब्याज पर पांच फीसद छूट व बिजली किराये में छूट का लाभ केवल उद्योगपतियों व चंद बड़े व्यापारियों तक ही सीमित रहा। शहर के छोटे दुकानदारों तक यह लाभ नहीं पहुंचा। अगर हमारे पास एक ठोस ट्रेडस पालिसी हो तो ऐसे मुश्किल दौर में व्यापारियों को भी कुछ सरकारी मदद मिल पाती। हमारी मांग है कि व्यापार जगत की मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए एक ट्रेड पालिसी बने और ऐसे मजबूरन बंद से जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई की जाए। देखे आज, लाॅकडाउन में रेहड़ी लगाने वाले बेकार है, दुकानदार घरों में बैठे है लेकिन अपने कर्मचारियों को वेतन देना है, बिजली के बिल देने है, मेटाडोर-बस व आटो चलाने वाले बेकार है। रोज कमाकर अपने परिवार का पेट भरने वाले मजदूर व कारीगर लोग बेकार है, अाखिरकार इन सब लोगों के बारे में सोचना भी तो सरकार का फर्ज है। 

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