Crime Branch Jammu: बेग कंस्ट्रक्शन कंपनी पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज

क्राइम ब्रांच जम्मू ने बेग कंस्ट्रक्शन कंपनी (बीसीसी) प्राइवेट लिमिटेड के महा प्रबंधन समेत कुछ कर्मचारियों पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया गया।आरोपितों ने अमृतांशु इफ्रास्ट्रक्चर एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के महाप्रबंधन के साथ पार्टनरशीप में काम कर उन्हें करोड़ों का चूना लगाने का आरोप है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 07:05 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 07:05 PM (IST)
Crime Branch Jammu: बेग कंस्ट्रक्शन कंपनी पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज
महाप्रबंधन समेत कुछ कर्मचारियों पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया गया।

जम्मू, जागरण संवाददाता । क्राइम ब्रांच जम्मू ने बेग कंस्ट्रक्शन कंपनी (बीसीसी) प्राइवेट लिमिटेड के महाप्रबंधन समेत कुछ कर्मचारियों पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया गया।

आरोप है कि बीसीसी के महाप्रबंधनक इमरान बेग, कंपनी के अकाउंट्स मैनेजर मोहित सिंह निवासी मथुरा, उत्तर प्रदेश, तरुण खन्न कंपनी के सीए निवासी त्रिकुटा नगर, राहुल शर्मा सीए आडिट निवासी नई दिल्ली ने कंपनी की वर्ष 2013-14, 2014-15 और 2015-16 की फर्जी बैलेंटशीट तैयार कर इरकान प्राइवेट लिमिटेड को दी ताकि वे रियासी बनिहाल रेल सेक्शन में बन नही टनल नंबर 74आर और 77डी के निर्माण का ठेका हासिल कर सके। इसके अलावा आरोपितों ने अमृतांशु इफ्रास्ट्रक्चर एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के महाप्रबंधन के साथ पार्टनरशीप में काम कर उन्हें करोड़ों रुपये का चूना लगाने का भी आरोप है।

क्राइम ब्रांच पुलिस थाने में दर्ज शिकायत में अमृतांशु इफ्रास्ट्रक्चर एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के महाप्रबंधन ललित अग्रवाल ने कहा कि 18 जून 2012 को उनकी कंपनी ने बीसीसी और आईवीआरसीएन इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ मिलकर बनिहाल में रेलवे टनल का काम इरकान इंटरनेशनल लिमिटेड से लिया था। एक दिवसर 2013 को उनकी कंपनी ने बेग कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ पार्टनरशिप डीड तैयार की थी। जिसके तहत उनकी कंपनी निर्माण कार्य में 51 फीसदी लाभ या नुकसान की भागीदार होगी जबकि बीसीसी 49 फीसदी भागीदार होगी।

शिकायतकर्ता की कंपनी ने निर्माण के लिए मशीनों की खरीदारी में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए लेकिन बीसीसी ने अपने हिस्से की 49 फीसदी धनराशि नहीं दी। बीसीसी प्रबंधन ने दोनों कंपनी के संयुक्त बैग खाते से 1,04,93,716.93 रुपयों को बैग लोन, मशीनों की खरीद और मशीनों का किराया देने के नाम पर निकाल लिया था जबकि यह रुपये कभी मशीनों की खरीद या अन्य कामों पर प्रयोग नहीं हुए थे।

इतना हीं नहीं निर्माण कार्य को अंजाम लेने के लिए उन्होंने अक्तूबर 2014 में दो बूमर मशीनें किराये पर ली थी, जिनका किराया 5,84,800 रुपये दिया गया था। एक बूमर का प्रयोग निर्माण कार्य में किया गया, लेकिन दूसरे बूमर का प्रयोग बीसीसी ने अपने निजी निर्माण कार्यों पर किया। बूमर के अलावा कई अन्य मशीनों का प्रयोग बीसीसी ने अपने निजी निर्माण कार्य में किया और उसका किराया शिकायतकर्ता की कंपनी को नहीं दिया था। शिकायत के आधार पर क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच शुरू की। इस मामले में कई लोगों के बयान दर्ज करने के अलावा मामले से जुड़े दस्तावेजों को जुटाया गया। जांच में धोखाधड़ी साबित होने के बाद आरोपितों के विरुद्ध धोखाधड़ी और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया।

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