लद्दाख में 19,300 फीट की ऊंचाई पर 52 किलोमीटर लंबी सड़क बनाकर BRO ने रचा इतिहास

बोलीविया ने उतरुनकु ज्वालामुखी तक पर्यटकों को पहुंचाने के लिए 18953 फीट की ऊंचाई पर सड़क बनाई थी। इसे पीछे छोड़ते हुए सीमा सड़क संगठन ने देश की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए उमलिंगला पास से चुमार सेक्टर तक दुर्गम हालात में 52 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 07:48 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 02:56 PM (IST)
लद्दाख में 19,300 फीट की ऊंचाई पर 52 किलोमीटर लंबी सड़क बनाकर BRO ने रचा इतिहास
यह सड़क सियाचिन ग्लेशियर (17700 फीट) से अधिक ऊंचाई पर है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: चीन के नापाक मंसूबों को नाकाम बना रही भारतीय सेना को और मजबूत बनाने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पूर्वी लद्दाख में 19300 फीट की ऊंचाई पर सड़क बनाकर विश्व कीर्तिमान बना दिया है। अब इस सड़क से सेना के टैंक और तोप उमलिंगला पास को पार कर जल्द दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए जल्द वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चुमार सेक्टर में पहुंचेंगे।

भारतीय सेना की तरह सीमा सड़क संगठन के हौसले भी बुलंद हैं। यह साबित करते हुए सीमा सड़क संगठन ने भारत को पहले नंबर और बोलीविया को दूसरे नंबर पर ला खड़ा किया है। बोलीविया ने उतरुनकु ज्वालामुखी तक पर्यटकों को पहुंचाने के लिए 18,953 फीट की ऊंचाई पर सड़क बनाई थी। इसे पीछे छोड़ते हुए सीमा सड़क संगठन ने देश की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए उमलिंगला पास से चुमार सेक्टर तक दुर्गम हालात में 52 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई है।

यूं समझें स्थिति: यह सड़क माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप से भी अधिक ऊंचाई पर है। नेपाल की तरफ से एवरेस्ट का बेस कैंप 17598 फीट पर है और उत्तर में तिब्बत की ओर से यह बेस कैंप 16900 फीट पर है। यह सड़क सियाचिन ग्लेशियर (17700 फीट) से अधिक ऊंचाई पर है। इससे पूर्व खरदुंगला पास की सड़क 17582 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई थी।

भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में होगी और मजबूत : यह सड़क रणनीतिक रूप से भी अहम है। इसके बनने से भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में और मजबूत होगी। चीन को पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना का मजबूत होना खटकता है। यही कारण है कि वह नहीं चाहता कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करे। अब बदले हालात में भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण के पार चीन को अपनी मजबूती का यकीन दिला रही है।

दूरदराज इलाकों में विकास की नई उम्मीद जगी : नई सड़क पूर्वी लद्दाख के दूरदराज इलाकों में विकास की एक नई उम्मीद भी लेकर आई है। इसके बनने से चीसुमले व डैमचौक इलाके में लोगों की आॢथक व सामाजिक बेहतरी के साथ पर्यटन के नए मार्ग भी खुलेंगे। सॢदयों में इस इलाके में तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे चला जाता है। आक्सीजन का स्तर भी सामान्य से 50 फीसद कम होता है। इन हालात में सीमा सड़क संगठन ने सड़क बनाकर अपने बुलंद हौसले का परिचय देने के साथ लोगों की मुश्किलों को भी आसान किया है।

भविष्य में किसी भी चुनौती का सामना करने की तैयारी: चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर करीब 16 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित चुमार सेक्टर में कई बार विवाद पैदा कर चुका है। कुछ साल पहले दोनों देशों की सेनाएं इस सेक्टर में 16 दिन आमने-सामने खड़ी रही थीं। चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब अपना बुनियादी ढांचा मजबूत किया है। अब उसे रणनीतिक मार देने के लिए चुमार तक यह सड़क बनाई गई है। सीमा सड़क संगठन के बुलंद हौसले की प्रतीक यह सड़क भविष्य में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए अहम भूमिका निभाएगी। 

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