आज उदास है कश्मीर...वो चिनार की छांव और बचपन की यादें; कश्मीर से दिलीप कुमार का रिश्ता फिल्मी नहीं पारिवारिक था

Bollywood Legendary Actor Dilip Kumar दिलीप कुमार की कश्मीर से मुहब्बत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वह अक्सर र्गिमयों में दो से तीन माह तक पहलगाम में ही रुकते थे। उनके साथ अभिनेता दिवंगत ओम प्रकाश भी आते थे।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 08 Jul 2021 08:08 AM (IST) Updated:Thu, 08 Jul 2021 10:54 AM (IST)
आज उदास है कश्मीर...वो चिनार की छांव और बचपन की यादें; कश्मीर से दिलीप कुमार का रिश्ता फिल्मी नहीं पारिवारिक था
वरिष्ठ साहित्यकार हसरत गड्डा ने कहा कि दिलीप कुमार अक्सर गर्मियां पहलगाम में बिताते थे।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : बालीवुड का मुगल-ए-आजम, ट्रेजिडी किंग और पहले सुपरस्टार यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार की मौत से कश्मीर भी शोक में है। कश्मीर से उनका रिश्ता फिल्मी नहीं बल्कि पारिवारिक था। उनका बचपन कश्मीर में ही बीता है। कई लोग उनकी पत्नी सायरा बानो के बारे में दावा करते हैं कि वह कश्मीर में ही पैदा हुई हैं और उनके पूर्वज कश्मीरी थे,लेकिन इस तथ्य की कोई पुष्टि करने वाला कोई साक्ष्य नहीं है।

दिलीप कुमार की कश्मीर से मुहब्बत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वह अक्सर र्गिमयों में दो से तीन माह तक पहलगाम में ही रुकते थे। उनके साथ अभिनेता दिवंगत ओम प्रकाश भी आते थे। पूर्व वित्तमंत्री डा. हसीब द्राबू ने अपने ट्विटर पर लिखा कि बचपन में दिलीप कुमार एक बार टीबी से पीड़ित हो गए थे। डाक्टरों ने उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में जाने को कहा था। उनके पिता सरवर खान फल व्यापारी थे। वह कश्मीर के कई फल उत्पादकों, बाग मालिकों और जमीदारों को जानते थे। मेरे दादा ख्वाजा गुलाम हसन द्राबू उनके मित्र थे। इसलिए उन्होंने यूसुफ खान व उनके भाई को राजपोरा पुलवामा स्थित हमारे घर भेजा था। वह सात से आठ माह रहे और पूरी तरह ठीक होने के बाद घर लौटे थे। उल्लेखनीय है कि देश-दुनिया की तरह कश्मीर में भी दिलीप कळ्मार के लाखों प्रशंसक हैं।

घर के आंगन में स्थित चिनार की छांव में बैठते थे: पूर्व वित्तमंत्री ने अपने पिता के हवाले से बताया है कि दोनों भाई अक्सर उनके घर के आंगन में स्थित चिनार की छांव में बैठते थे। 1970-80 के दौरान जब मेरे चाचा आबकारी आयुक्त थे तो उस समय हास्पिटैलिटी प्रोटोकाल विभाग से उन्हें सूचित किया था कि दिलीप साहब मिलना चाहते हैं। इसके बाद दिलीप श्रीनगर के गोगजीबाग इलाके में स्थित हमारे घर भी आए। उन्होंने हमारे साथ राजपोरा में बिताए बचपन के दिनों की यादें साझा की। वह हमारे पुश्तैनी मकान हवेली पर एक फिल्म बनाना चाहते थे।

गुलाम मोहम्मद बख्शी के मित्र थे कश्मीर के वरिष्ठ साहित्यकार हसरत गड्डा ने कहा कि दिलीप कुमार अक्सर गर्मियां पहलगाम में बिताते थे। उनके साथ अजीत और ओमप्रकाश भी होते थे। पहलगाम में नटराज होटल में ही रुकते थे। होटल मालिक की जम्मू कश्मीर के पूर्व प्रधानमंत्री स्व गुलाम मोहम्मद बख्शी के साथ घनिष्ठ मित्रता थी। बख्शी के पुत्र बशीर अहमद बख्शी के साथ दिलीप कुमार की घनिष्ठता थी। वह कश्मीरी भोजन के भी मुरीद थे। कुछ लोगों के मुताबिक, दिलीप कुमार और ओम प्रकाश ने अपने लिए पहलगाम में लिद्दर दरिया के किनारे एक हट भी तैयार कराई थी। यह स्थानीय नागरिक के नाम से थी। इस हट का क्या हुआ, अभी कोई नहीं जानता।

कश्मीर में बनाना चाहते थे फिल्म स्टूडियो: वरिष्ठ पत्रकार इमदाद साकी ने कहा कि यह 1980 के दौरान की बात है, दिलीप कुमार निशात इलाके में अपने एक परिचित के घर पर रुके हुए थे। मैंने बड़ी मुश्किल से उनका साक्षात्कार लिया था। कश्मीर के काटूर्निस्ट बशीर अहमद बशीर ने कहा कि वह कश्मीर में फिल्म स्टूडियो बनाना चाहते थे ताकि यहां फिल्म निर्माण में किसी प्रकार की दिक्कत न हो। वह कहते थे कि कश्मीर आत्मचिंतन, कुछ नया सोचने की बेहतरीन जगह है। उनके मुताबिक गंगा जमुना फिल्म का विचार उन्हेंं कश्मीर में आया था। बशीर अहमद बशीर ने बताया कि दूरदर्शन के लिए दिलीप साहब के इंटरव्यू दाचीगाम नेशनल पार्क में हुए थे। उन्होंने एक बार एक साक्षात्कार लेने वाले को इसलिए मना कर दिया था क्योंकि उसका उर्दू का उच्चारण सही नहीं था।

हर फिल्म में कश्मीर की छाप नजर आती: रंगकर्मी मुश्ताक अहमद ने कहा कि दिलीप कुमार की मृत्यु ने हम सभी को दुखी कर दिया है। उनकी फिल्मों में कश्मीर की छाप नजर आती। वरिष्ठ पत्रकार रशीद राही ने कहा कि उनकी फिल्म गोपी का प्रीमियर यहां लालचौक में पैलेडियम सिनेमा में हुआ था। दिलीप कुमार और सायरा बानो भी मौजूद थी। उस समय लोगों का हुजूम देखने लायक था। प्रशसंकों की भीड़ पार करने में काफी मुश्किल हुई थी।

लाखों हैं उनकी मौत का मातम मनाने वाले: वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल क्यूम न कहा कि यह कहना सही नहीं है कि दिलीप साहब को रोने वाला उनका कोई पुत्र या पुत्री नहीं है। सच तो यह है कि उनकी मौत का मातम मनाने वाले लाखों की तादाद में उनके प्रशंसक मौजूद हैं।  दिलीप साहिब के निधन की खबर से मैं दुखी हूं। वह प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अभिनय से पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को याद रखा जाएगा। - मनोज सिन्हा, उपराज्यपाल

दिलीप कुमार व उनके भाई पुलवामा में हमारे घर आठ माह यहां रहे। वह उस समय बीमार थे। घर के आंगन में दोनों भाई चिनार की छांव में बैठते थे। गपशप चलती थी। उन यादों को आज भी भूल नहीं सकता। - हसीब द्राबू, पूर्व वित्त मंत्री 

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