75 दिन के बाद भी कैप्टन जयंत जोशी का शव रणजीत सागर झील से लगभग सुरक्षित मिला
आश्चर्य की बात यह रही कि शव की स्थिति काफी ठीक हालत में थी। उनका चेहरा पहचाना जा रहा था। शरीर पर वर्दी भी थी। इसकी वजह यह रही कि रणजीत सागर डैम में ग्लेशियर का पानी आता है जो काफी ठंडा होता है।
जम्मू, लोकेश चंद्र मिश्र : तीन अगस्त की सुबह रणजीत सागर झील में क्रैश हुए सेना के हेलीकाप्टर ध्रुव एएलएच मार्क-4 के लापता पायलट कैप्टन जयंत जोशी का शव 75 दिन के बाद आखिरकार बरामद हुआ। आश्चर्य की बात यह रही कि शव की स्थिति काफी ठीक हालत में थी। उनका चेहरा पहचाना जा रहा था। शरीर पर वर्दी भी थी। इसकी वजह यह रही कि रणजीत सागर डैम में ग्लेशियर का पानी आता है जो काफी ठंडा होता है। शव को मानून स्थित सैन्य अस्पताल ले जाया गया। वहां औपचारिकताओं के बाद सम्मान के साथ शव को उनके पैतृक उत्तरखंड भेजा जाएगा। सेना के काफी कठिन प्रयास के बाद यह सफलता मिली है। शव मिलने से कैप्टन जयंत के शोक संतप्त परिवार को सुकून इस बात से मिली की वह उनका अंतिम दर्शन कर पाएंगे और विधिवत अंत्येष्ठि कर पाएंगे।
ज्ञात रहे कि तीन अगस्त की सुबह सेना का हेलीप्टर क्रैश होकर रणजीत सागर झील में गिर गया था। हेलीकाप्टर के साथ पायलट और को-पायलट लापता हो गए थे। काफी प्रयास के बावजूद न तो हेलीकाप्टर का सुराग झील में मिल रहा था और न ही लापता पायलट और को-पायलट का। काफी मशक्कत से उस जगह को चिह्नित किया गया, जहां हेलीकाप्टर गिरा था। पठानकोट के एक नागरिक ने बताया था कि हेलीकाप्टर गिरने के बाद झील में धमाका हुआ था। उसके बाद से काफी दिन तक तलाशी अभियान झील में चलता रहा। हादसे के तेरह दिन बाद 15 अगस्त को ले. कर्नल एएस बाठ का शव बरामद किया गया था। फिर 38 दिन के बाद दुर्घटनाग्रस्त हेलीकाप्टर का मलाबा निकाला जा सका था। लेकिर कैप्टन जयंत की तलाश जारी थी।
An appeal once again to the Supreme Commander of the Indian Armed Forces, the Hon'ble President of India Shri Ram Nath Kovind ji for continuation, enhancement to seek foreign assistance in terms of experts and specialized equipment regarding search for my missing army (1/n)
— Neel⭐️⭐️ (@Neel92Joshi) October 11, 2021
कैप्टन के पिता की गुहार और भाई के ट्वीट से सेना की सक्रियता बढ़ी : पांच-छह दिन पहले कैप्टन जयंत जोशी के पिता ने राष्ट्रपति को याचिका डाल कर लापता बेटे की तलाश की मुहिम तेज करने की मांग की थी। वहीं जयंत जोशी के भाई ने ट्वीट कर दुख जताया था कि उनके भाई का शव नहीं ढूंढा जा सका है। उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि उनका पूरा परिवार सेना में रहा है। उनके पिता भी सेना में अधिकारी थे। 40 साल उनके परिवार के सदस्य सेना के उच्च पद रहते आ रहे हैं, लेकिन उनके भाई का अभी तक पता नहीं चलता दुखद है। उसके बाद से सेना के उच्च अधिकारियों ने एक बार फिर कैप्टन जोशी की तलाशी में जारी अभियान को तेज कर दिया।
पानी साफ होने के कारण मिली सफलता : जिस समय हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, उस समय डैम में पानी भी काफी था। बरसात का मौसम होने के कारण पानी मटमैला था। इसके कारण तलाशी अभियान में काफी परेशानी आ रही थी। गोताखोरों को कुछ नहीं दिखाई देता था। फिर नेवी के गोताखोर आए। उन्हें भी सफलता नहीं मिली। उसके बाद विशाखापतनम से अंडर वाटर वेहिकल मंगवाया गया। उससे भी जोशी का शव ढूंढने में सफलता नहीं मिल सकी। अब पानी साफ हो चुका। इससे अभियान को बल मिला। रविवावर की दोपहर बाद करीब दो बजे झील के अंदर करीब 65-70 मीटर की गहराई में कैप्टन जयंत जोशी का शव मिला।