प्रजा परिषद के 400 आंदोलनकारियों की कुर्बानियां याद करने को 20 अगस्त तक चलेंगे भाजपा के कार्यक्रम्र

प्रदेश मेे भाजपा के इन कार्यक्रमों के माध्यम से वर्ष 1953 के आंदोलन की यादों को ताजा किया जा रहा है। आंदोलन में हजारों लोग तिरंगे लिए सड़कों पर उमड़ पड़े थे।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 04:09 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 04:13 PM (IST)
प्रजा परिषद के 400 आंदोलनकारियों की कुर्बानियां याद करने को 20 अगस्त तक चलेंगे भाजपा के कार्यक्रम्र
प्रजा परिषद के 400 आंदोलनकारियों की कुर्बानियां याद करने को 20 अगस्त तक चलेंगे भाजपा के कार्यक्रम्र

जम्मू, राज्य ब्यूरो: जम्मृू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के एक साल में उपलक्ष्य में प्रदेश भाजपा, वर्ष 1953 के प्रजा परिषद के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले 400 के करीब आंदोलनकारियों के घरों तक पहुंचने की मुहिम पर है। पांच अगस्त  काे लेकर भाजपा के पखवाड़े तक पार्टी 20 अगस्त तक विभिन्न जिलों में ऐसे 53 आंदोलकारियों तक पहुंच रही है तो 67 साल पहले की आपबीती सुनाने के लिए जीवित हैं। प्रदेया भाजपा ने कड़ी मेहनत कर ऐसे 53 आंदोलकारियों को तलाशा है। इसके साथ साढ़े तीन सौ के करीब ऐसे आंदोलनकारियों के घरों तक पहुंच रहे हैं तो अब इस दुनिया में नही हैं।

वर्ष 1953 के प्रजा परिषद के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले जम्मू वासियों काे सम्मानित करने की भाजपा की मुहिम के प्रभारी व पार्टी के वरिष्ठ नेता कुलुभूषण महोत्रा का कहना है कि जिला स्तर पर आंदोलनकारियों को तलाश कर उन्हें सम्मानित किया जाएगा। जिलों में यह कार्यक्रम 20 अगस्त तक जारी रहेंगे। पिछले एक सप्ताह के दौरान डेढ़ सौ से अधिक प्रजा परिषद के आंदोलन मेंँ हिस्सा ले चुके जम्मू वासियों व शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया गया है।

प्रदेश मेे भाजपा के इन कार्यक्रमों के माध्यम से वर्ष 1953 के आंदोलन की यादों को ताजा किया जा रहा है। आंदोलन में हजारों लोग तिरंगे लिए सड़कों पर उमड़ पड़े थे। इस आंदोलन की शुरूआत वर्ष 1949 में पंडित प्रेमनाथ डाेगरा की कमान में हुई। संपूर्ण विलय के आंदोलन को कुचलने के लिए शेख सरकार ने प्रजा परिषद के प्रधान पंडित प्रेमनाथ डोगरा समेत 294 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। वहीं पंद्रह वीरों ने तिरंगे हाथ में लेकर जान की कुर्बानी दी थी।  शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार इतने बड़े पैमाने पर सत्याग्रह से घबरा गई थी। करीब दस हजार से अधिक लोगों को जेलों में ठूस कर उन्हें यातनाएं दी गई थी।

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