Udhampur Birma Bridge: सेना ने मात्र तीन दिन में बिरमा नदी पर तैयार कर दिया 190 फीट लंबा पुल

सेना की 54 इंजीनियर्स रेजिमेंट के जवानों ने तीन दिन से भी कम समय में 190 फीट लंबा बैली पुल बनाकर तैयार कर दिया। मंगलवार की सुबह को इस पुल पर लोड टेस्ट भी कर लिया गया। हालांकि फिलहाल इस पुल से छोटे वाहनों को ही गुजरने की अनुमति है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 02:00 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 04:33 PM (IST)
Udhampur Birma Bridge: सेना ने मात्र तीन दिन में बिरमा नदी पर तैयार कर दिया 190 फीट लंबा पुल
पैदल आने जाने वालों की आवाजाही के लिए पुल को बंद कर दिया गया। जिससे लोग परेशान थे।

ऊधमपुर, जागरण संवाददाता : पिछले दिनों भारी बारिश के कारण ऊधमपुर में बिरमा नदी पर बने पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद प्रशासन ने सेना से मदद मांगी। सेना की 54 इंजीनियर्स रेजिमेंट के जवानों ने तीन दिन से भी कम समय में 190 फीट लंबा बैली पुल बनाकर तैयार कर दिया। मंगलवार की सुबह को इस पुल पर लोड टेस्ट भी कर लिया गया। हालांकि फिलहाल इस पुल से छोटे वाहनों को ही गुजरने की अनुमति है। सेना के इस ऐतिहासिक और साहसिक कार्य के लिए स्थानीय प्रशासन और लाेग जमकर तारीफ कर रहे हैं। पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण लाेग जान हथेली पर लेकर नदी के बीच से सफर कर रहे थे।

दरअसल, पिछले मंगलवार को बिरमा पुल का अबटमेंट क्षतिग्रस्त होने की वजह से पुल को असुरक्षित घोषित कर दिया गया था। इसके चलते लोगों की पुल से आवाजाही बंद हो गई थी। इससे लोग या तो जान जोखिम में डाल कर बिरमा नदी के बीच से होकर गुजर रहे थे या फिर लंबे वैकल्पिक रास्तों से जा रहे थे। लोगों को राहत देने के लिए प्रशासन ने सेना की मदद से पुराने पुल के ऊपर एक बैली पुल बनवाने का काम शुरू करवाया। प्रशासन के आग्रह पर सेना ने यह काम अपनी 54 इंजीनियर्स रेजिमेंट को सौंपा गया।

शनिवार को सामान पहुंचने के बाद रात से पुल बनाने का काम सेना के जवानों ने शुरू कर दिया। मंगलवार की सुबह 190 फीट लंबा पुल बना कर तैयार भी हो गया। इस पुल को अधिक मजबूत बनाने के लिए डबल पैनल रेलिंग बनाई गई है। पुल 12 टन क्षमता का बनाया गया है। इस बैली पुल पर लोड टेस्ट कर कर इसे छोटे वाहनों के लिए फिलहाल खोल दिया गया है। सेना ने इतनी जल्दी काम कर इतिहास रच दिया।

पिछले साल पहली बार क्षतिग्रस्त हुआ था पुल : बिरमा नदी पर बना पुल पिछले वर्ष भी क्षतिग्रस्त हुआ था। उस समय पुल की अप्रोच रोड की सुरक्षा दीवार पानी की धार से क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसके बाद पुल को कई हफ्तों तक बंद रख कर सुरक्षा दीवार की मरम्मत कर पुल को खोला गया था। उस दौरान भी लोगों को आने-जाने में परेशानी हुई थी। पिछले माह 24 जुलाई को बारिश की मार पड़ने से एक बार फिर से पुल क्षतिग्रस्त हो गया। पिछले वर्ष मरम्मत किए गए हिस्से में बारिश का पानी सीपेज होने की वजह से अप्रोच रोड बनाने के लिए भरी गई मिट्टी और रेत बह गई, जिससे अप्रोच रोड धंसने गई।

इसके बाद एहतियातन पुल को चार पहिया वाहनों के लिए बंद कर दिया गया, मगर दो पहियावाहनों को जाने की अनुमति रही। तीन दिन पुल को बंद रख कर धंसे हिस्से में पत्थर और कंकड़ भर कर ठीक किया गया। पिछले सप्ताह मंगलवार की सुबह से पुल को यातायात के लिए खोल दिया गया। मगर 24 घंटों के बाद ही पुल का मरम्मत किया गया हिस्सा फिर से क्षतिग्रस्त हो गया। इस बार अप्रोच रोड के साथ वह अबटमेंट भी क्षतिग्रस्त हो गई, जिस पर पुल टिका होता है। इस वजह से पुल हल्का सा टिल्ट भी हो गया। फिर पुल को असुरक्षित घोषित कर तत्काल बंद कर दिया गया। पैदल भी किसी को जाने की इजाजत नही थी।

दोपहर तक वाहनों को छोड़ा नहीं गया था : बिरमा पुल के ऊपर तैयार किए गए बैली पुल का लोड टेस्ट तो कर लिया गया है। टेस्ट सफल भी रहा, लेकिन दोपहर को समाचार लिखे जाने तक वाहनों को छोड़ा नहीं गया था। फिलहाल अभी सिर्फ छोटे वाहनों और मेटाडोर को ही जाने की अनुमति होगी। ट्रक, बड़ी बस, जेसीबी जैसे भारी वाहनों को इस पुल से जाने की अनुमति नहीं होगी।

रेजिमेंट के जवानों के चेहरे भी फख्र से चमके

54 इंजीनियर्स रेजिमेंट के जवानों ने ऊधमपुर के लोगों को बड़ी राहत पहुंचाई है। दिन-रात, चिलचिलाती धूप और बारिश की परवाह किए बिना न जवानों ने तीन दिन से भी कम समय में 190 फीट का पुल तैयार कर दिया। अपनी इस उपलब्धि से इस काम में लगे रेजिमेंट के जवानों और अधिकारियों के चेहरे भी फख्र से चमक उठे। इस पुल को बनाने में के लिए जवानों ने 258 किलोवजन के तकरीबन 250 पैनलों को उठा कर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया। जहां पर इन पैनलों को आपस में नटबोल्ट की मदद से जोड़ कर पुल तैयार किया गया है।

सभी जवान बधाई के पात्र हैं : सेना की उत्तरी कमान के पीआरओ कर्नल अभिनव नवनीत ने इस पुल के तैयार होने पर कहा कि धूप और बारिश के बीच इस पुल को रिकार्ड समय में बनाने का काम करने वाली 54 इंजीनियर्स रेंजिमेंट के जवान व अधिकारी बधाई के पात्र हैं। पुल का लोड टेस्ट कर लिया गया है। दोपहर बाद इसे वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सेना सदा ही आवाम की रक्षा और मदद के लिए काम करती रही है। यह पुल भी आवाम को राहत पहुंचाने की कड़ी का हिस्सा है।

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