Jammu : बिरला ओपन माइंडस इंटरनेशनल स्कूल ने पद्मश्री शिव निर्मोही को सम्मानित किया

स्कूलों में लोक संस्कृति विरासत साहित्य के प्रोत्साहन के उद्देश्य से कार्यक्रमों का आयोजन होता रहे तो बच्चों के लिए लाभकारी हो सकता है। इस तरह के कार्यक्रम बच्चों के व्यक्तित्व विकास में काफी सहायक साबित होंगे।निर्मोही का स्कूल की प्रिंसिपल डा. संचिता मुखर्जी ने किया।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 05:57 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 05:57 PM (IST)
Jammu : बिरला ओपन माइंडस इंटरनेशनल स्कूल ने पद्मश्री शिव निर्मोही को सम्मानित किया
प्रो. शिव निर्मोही ने नई पीढ़ी को अपनी भाषा और संस्कृति से जुड़े रहने को प्रेरित किया।

जम्मू, जागरण संवाददाता : बिरला ओपन माइंड्स इंटरनेशनल स्कूल जम्मू ने प्रो. शिव निर्मोही को पद्मश्री पुरस्कार मिलने पर सम्मानित किया। निर्मोही 40 के करीब पुस्तकें लिख चुके हैं। उनकी अधिकतर किताबें, डोगरा बिरासत, लोक संस्कृति, लोक सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी हुई हैं। स्कूल में आयोजित सम्मान समारोह में शिव निर्मोही ने कहा कि उन्हें पद्मश्री सम्मान मिलने पर उन्हें लगा जैसे डोगरा समुदाय का सम्मान हो रहा है। इसने हमारी गौरवपूर्ण साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को फिर से जीवंत करने के लिए उनमें एक नई भावना और ताकत का संचार हुआ है। उनका जोर लोक संस्कृति पर भी रहा है।

डोगरी और हिंदी में उनके लेखन में धार्मिक स्थलों, धार्मिक पहलुओं, मंदिरों, ऐतिहासिक किलों और महलों जैसे सांस्कृतिक पहलुओं से संबंधित विषयों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है। उन्होंने अपने लेखन को आधार बनाने के लिए डेटा और तथ्यों को इकट्ठा करने के लिए जम्मू क्षेत्र के ग्रामीण और सबसे दूरस्थ क्षेत्रों का काफी दौरा किया है। उन्होंने कहा कि बच्चों को अपनी लोक संस्कृति से जोड़ा जाना चाहिए।

स्कूलों में लोक संस्कृति, विरासत साहित्य के प्रोत्साहन के उद्देश्य से कार्यक्रमों का आयोजन होता रहे तो बच्चों के लिए लाभकारी हो सकता है। इस तरह के कार्यक्रम बच्चों के व्यक्तित्व विकास में काफी सहायक साबित होंगे। निर्मोही का अभिनंदन स्कूल की प्रिंसिपल डा. संचिता मुखर्जी ने स्मृति चिह्न, शाल एवं पुष्पगुच्छ देकर किया। कार्यक्रम के दौरान निर्मोही ने बच्चों के साथ अपनी बचपन की यादें साझा की। बच्चों ने उन्हें कई सवाल पूछे जिनके उन्होंने धैर्यपूर्वक और प्रेरक तरीके से जवाब दिए। उन्होंने नई पीढ़ी को अपनी भाषा और संस्कृति से जुड़े रहने को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि यही उनकी पहचान है।

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