Roshni Land Scam: बड़ा खुलासा, वन विभाग की कब्जाई भूमि पर बना है फारूक अब्दुल्ला का जम्मू बंगला

दूसरे राजनीतिक दलों नौकरशाहों ने इस घोटाले को जाहिर करने के बजाय बहती गंगा में हाथ धोना मुनासिब समझा। डॉ फारूक अब्दुल्ला द्वारा की गई शुरुआत का फायदा उठाकर उन्होंने भी मात्र हजारों रुपये भरकर करोड़ों रुपये मूल्य की सरकारी भूमि अपने व अपने रिश्तेदारों के नाम कर ली।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 01:29 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 03:49 PM (IST)
Roshni Land Scam: बड़ा खुलासा, वन विभाग की कब्जाई भूमि पर बना है फारूक अब्दुल्ला का जम्मू बंगला
रोशनी भूमि घोटाले की जांच कर रही सीबीआई द्वारा हर दिन किए जा रहे खुलासे में जाहिर हो रहा है।

जम्मू, जेएनएन। रोशनी एक्ट भूमि घोटाले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। इस अधिनयम को लागू करने वाले डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने भी सुंजवां में जो आलिशान बंगला बनाया है, वह सरकारी भूमि पर कब्जा कर बनाया है। यही नहीं उनकी बहन सुरैया मट्टू ने भी रोशनी एक्ट का लाभ उठाते हुए 3 कनाल 12 मरले भूमि अपने नाम की है। हद तो यह है कि उन्होंने इस एक्ट के तहत भूमि अपने नाम करने के लिए उन्हें जो सरकारी खजाने में एक करोड़ रुपये जमा कराने थे, वे भी आज दिन तक जमा नहीं कराए गए हैं।

यही बस नहीं है नेशनल कॉन्फ्रेंस का जम्मू स्थित कार्यालय व श्रीनगर में स्थित नेकां के ट्रस्ट का कार्यालय भी डॉ अब्दुल्ला ने रोशनी एक्ट का लाभ उठाते हुए अपने नाम किया है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद राजस्‍व विभाग रोशनी एक्‍ट के लाभार्थियों और अन्‍य अतिक्रमणकारियों की सूची सार्वजनिक कर रहा है।

सीबीआइ इस मामले की जांच कर रही है और प्रतिदिन सत्ता में रहकर बड़े-बड़े घोटाले करने वालोंकी सच्‍चाई उजागर हो रही है। इन रिपोर्ट को देखकर यह स्पष्ट हो रहा है कि आम लोगों का हवाला देकर सरकारी योजनाओं को लागू करने वाले राजनीतिक दल भी, अपने लाभ को अधिक तरजीह देते हैं।

फारूक अब्दुल्ला ने मुख्‍यमंत्री रहते वर्ष 2001 में जम्मू-कश्मीर के गरीब किसानों का हवाला देकर इस एक्ट को लागू किया था। उन्होंने कहा कि इस एक्ट का लाभ उठाकर किसान जिन सरकारी भूमियों पर कई सालों से खेती-बाड़ी कर रहे हैं, वे अपने नाम कर पाएंगे। परंतु सीबीआइ द्वारा अभी तक की गई जांच में यह सामने आ रहा है कि डॉ फारूक अब्दुल्ला समेत, पीडीपी, कांग्रेस के बड़े-बड़े मंत्री, नेता ही नहीं उनके साथ जुड़े बड़े-बड़े व्यापारियों, व्यावसायियों ने भी इस अधिनियम के नाम पर करोड़ों रुपये की संपत्ति पर कब्‍जा जमाया है। दूसरे राजनीतिक दलों, नौकरशाहों ने इस घोटाले को जाहिर करने के बजाय बहती गंगा में हाथ धोना मुनासिब समझा।

7 कनाल वन भूमि अपने कब्जे में ली: नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रधान, पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद डॉ फारूक अब्दुल्ला ने वर्ष 1998 में जम्मू के गांव सुंजवां में खसरा नंबर 21 पर अलग-अलग जमीन मालिकों से तीन कनाल भूमि खरीदी। जब डॉ अब्दुल्ला ने इस भूमि पर मकान का निर्माण शुरू किया तो उन्होंने उसके साथ लगते सात कनाल भूमि भी अपने अधीन ले ली। राज्य का मुख्यमंत्री होने के नाते उन्होंने यह बहुत ही गलत कदम उठाया। राजस्व विभाग के अनुसार, अतिक्रमण की गई वन भूमि की कीमत आज करीब 10 करोड़ रुपये के करीब है।

डॉ फारूक अब्दुल्ला के बाद बड़ा अतिक्रमण: जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री होने के बाद भी जब डॉ फारूक अब्दुल्ला ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया तो उनके देखादेखी अन्य प्रभावशाली नेताओं, मंत्रियों, नौकरशाहों, न्यायाधीशों, व्यापारियों ने भी सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करना शुरू कर दिया। उसी दौरान सैयद अली अखून ने सुंजवान गांव में 1 कनाल सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया। उनके अलावा एक पूर्व न्यायाधीश के बेटे अशफाक अहमद मीर पर भी एक कनाल सरकारी भूमि कब्जाने का आरोप है।

यहीं नहीं बस नहीं एक दूसरे को देख अतिक्रमण का यह सिलसिला तेज हो गया। एडवोकेट असलम गोनी (1 कनाल), जेएंडके बैंक के पूर्व चेयरमैन एमवाई खान (1.5 कनाल) और कश्मीर के प्रसिद्ध व्यावसायी मुश्ताक चाया (1.5 कनाल) ने भी उसी गांव की सार्वजनिक भूमि पर कब्जा जमा लिया। आपको जानकारी हो कि उक्त इलाके में करीब 30 कनाल वन भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है। इस भूमि का रियल एस्टेट बाजार में मूल्य लगभग 40 करोड़ है।

डॉ अब्दुल्ला के निकट संबंधियों ने भी उठाया लाभ: सरकारी भूमि पर किए गए कब्जे पर मालिकाना हक दिए जाने के लिए रोशनी एक्ट लागू होने पर इसका लाभ किसानों ने तो नाममात्र उठाया परंतु राजनीतिक नेताओं, नौकरशाहों व उनके निकट संबंधियों ने अधिक उठाया। इस लंबी सूची में डॉ फारूक अब्दुल्ला की बहन सुरैया मट्टू का नाम भी शामिल है। उन्होंने भी इस एक्ट के तहत 3 कनाल 12 मरला भूमि अपने नाम की। उन्हें मुख्यमंत्री की बहन होने का लाभ पूरा उठाया। भूमि अधिग्रहण करते समय उन्हें राजस्व विभाग को जो एक करोड़ रुपये जमा कराने थे, वे आज दिन तक नहीं दिए। राजस्व विभाग भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाया।

नेकां कार्यालय व ट्रस्ट भी सरकारी भूमि पर बने: नेशनल कॉन्फ्रेंस का जम्मू कार्यालय भी सरकारी भूमि पर बना हुआ है। यह भूमि 3 कनाल 16 मरले के करीब है। रोशनी एक्ट लागू होने पर नेकां ने यह भवन अपने नाम पर करवा लिया। इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस का श्रीनगर स्थित नवाई-ए-सुबह ट्रस्ट का कार्यालय भी सरकारी भूमि पर बना है। यह भूमि भी 3 कनाल 16 मरले के करीब थी जो अब नेकां के नाम है।

मैं रोशनी योजना का लाभार्थी नहीं : फारूक

नेकां अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कुछ मीडिया रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि मैं रोशनी योजना का लाभार्थी नहीं हूं। उन्होंने कहा कि मैंने अपने श्रीनगर या जम्मू निवास के लिए रोशनी योजना का लाभ नहीं उठाया है।

कहां कितने लोगों ने ली जमीन :

रोशनी के तहत जम्मू जिले के मैरा मांदरिया गांव में 383 लोगों ने 483 एकड़ सरकारी जमीन हासिल की है। वहीं, जम्मू दक्षिण में 854 लोगों ने 370 एकड़ सरकारी जमीन अपने नाम करवाई। जम्मू पश्चिम में 15 लोगों ने सरकारी जमीन और जम्मू के खौड़ इलाके में 419 लोगों ने 405 एकड़ कृषि भूमि अपने नाम करवाई है। वहीं, 97 अन्य ने नजूल की चार एकड़ जमीन अपने नाम करवाई है। इसके अलावा कई लोगों ने सरकारी और वन भूमि पर अतिक्रमण भी किया है। नया राष्ट्र बनाने, भूमि कानून की आलोचना करने वाले तब कहां थे जब अब्दुल्ला, मुफ़्ती, आज़ाद और अन्य राजनीतिज्ञ, नौकरशाह व व्यवसासियों ने जम्मू की नदी तवी, बठिंडी, सुंजवां, सिद्धड़ा, बाहु, नगरोटा समेत जम्मू में अन्य स्थानों पर अतिक्रमण कर जम्मू की जनसांख्यिकी को बदल दिया? उन्हें चाहिए कि वह बैठें और इस बात का आंकलन करें कि क्या वे चाहते हैं कि जम्मू संभाग फले-फूले। ऐसा न होने पर उनकी हालत भी उन कश्मीरी पंडितों की तरह होंगी जिन्हें कश्मीर से प्रताड़ित कर निकाला गया था। - प्रो. हरि ओम, राजनीतिक विश्लेषक

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