Jammu : देश को आत्मनिर्भर बनाने में खेती का बड़ा योगदान

किसानों को सशक्त कर सकते हैं। इसको लेकर क्षितिज फाउंडेशन जम्मू चैप्टर और एग्रीविजन (जम्मू-कश्मीर) द्वारा संयुक्त रूप से वेबिनार का आयोजन हुआ जिसमें देशभर से वैज्ञानिकों शिक्षाविदों शोधकर्ताओं छात्रों और किसानों ने भाग लिया और अपने अपने विचार सांझे किए।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 07:49 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 07:49 PM (IST)
Jammu : देश को आत्मनिर्भर बनाने में खेती का बड़ा योगदान
डा. परमेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर के किसानों को भी जागरूक करने की जरूरत है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : पारंपरिक कृषि को नए तरीके से आगे बढ़ाते हुए हम देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। किसानों को सशक्त कर सकते हैं। इसको लेकर क्षितिज फाउंडेशन, जम्मू चैप्टर और एग्रीविजन (जम्मू-कश्मीर) द्वारा संयुक्त रूप से वेबिनार का आयोजन हुआ जिसमें देशभर से वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, छात्रों और किसानों ने भाग लिया और अपने अपने विचार सांझे किए। मौके पर एक स्मारिका और सार पुस्तक का विमोचन केंद्रीय मंत्री डा.महेंद्र नाथ पांडे द्वारा किया गया।

स्मारिका विमोचन समारोह के दौरान स्कास्ट-जम्मू के वैज्ञानिक डा.एपी सिंह, संयोजक और वेबिनार के आयोजन सचिव डा. परमेंद्र सिंह उपस्थित थे। मौके पर मुख्य अतिथि ने महत्वपूर्ण स्मारिका के प्रकाशन के लिए आयोजकों को बधाई दी और आश्वासन दिया कि कृषि सुधार को लेकर जिन सिफारिशों की बात कही गई है, वह परिस्थितियों को बदलने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेंगी। वेबिनार का मुख्य उद्देश्य सभी हितधारकों से विचार-विमर्श, चर्चा करना था ताकि पारंपरिक कृषि की पद्धतियों से ही बेहतरीन कृषि का मार्ग तलाशा जाए। वहीं अनुभवों को साझा करने के लिए वेबिनार के जरिए सभी को सांझा मंच प्रदान करना था।

मौके पर संबोधित करते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि जिस कदर जलवायु परिवर्तन हो रहा है, हमें उसी हिसाब से खेती करनी है ताकि अधिक से अधिक पैदावार की प्राप्ति की जा सके। किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प काे पूरा करने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने होंगे और किसानों को जागृत करना होगा।

डा. परमेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर के किसानों को भी जागरूक करने की जरूरत है। क्योंकि बदलाव को अपना कर खेती करना है और वर्तमान चुनौतियों का सामना करना है। जम्मू कश्मीर की खेतीबाड़ी बेहतर इसलिए है कि यहां पर रसायन खाद का प्रचलन अभी कम है। हमें जैविक खेती को और बेहतर करने की दिशा में काम करना है।

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