Bhaumvati Amavasya 2021: भौमवती अमावस्या कल, घरों में ही गंगाजल डालकर करें स्नान

अमावस्या तिथि के दिन सूर्योदय काल में पवित्र नदियों या सरोवरों में स्नान करने तथा सामर्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है।तिल दूध और तिल से बनी मिठाइयों का दान दरिद्रता मिटाने वाला है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 12:47 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 12:47 PM (IST)
Bhaumvati Amavasya 2021: भौमवती अमावस्या कल, घरों में ही गंगाजल डालकर करें स्नान
उजले फूल के साथ इसे फिर किसी बहते पानी में प्रवाहित करें।

जम्मू, जागरण संवाददाता : इस वर्ष वैशाख अमावस्या 11 मई मंगलवार को है।अमावस्या माह में एक बार ही आती है।अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव हैं। वैशाख अमावस्या, वैशाख मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है।वैशाख अमावस्या तिथि 11 मई पूरे दिन रहेगी और अमावस्या तिथि सूर्योदयव्यापनी 11 मई मंगलवार होने के कारण स्नान, दान, जप, तप आदि करना 11 मई मंगलवार को ही शुभ होगा।

वैशाख अमावस्या मंगलवार को आने के कारण इसे भौमवती अमावस्या कहा गया है। इस दिन श्रीहनुमान जी की पूजा का भी विशेष महत्व है। भौमवती अमावस्या पर हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थलों और पवित्र नदियों पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है।कोरोना महामारी के चलते घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करने से भी इसका पुण्य प्राप्त होता है।इस दिन घर के आस पास जरूरतमंद लोगों कुछ ना कुछ दान अवश्य करें।

वैशाख अमावस्या के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भौमवती अमावस्या के दिन भरणी नक्षत्र और सौभाग्य योग है।साथ ही चंद्रमा भी मंगल की ही राशि मेष में गोचर करेगा। इसलिए यह दिन और भी शुभ हो जाता है।

अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। अमावस्या तिथि के दिन सूर्योदय काल में पवित्र नदियों या सरोवरों में स्नान करने तथा सामर्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है।तिल, दूध और तिल से बनी मिठाइयों का दान दरिद्रता मिटाने वाला है।

प्रत्येक अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करें। ध्यान के साथ पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें। अमावस्या के दिन सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 3 बार अर्घ्य दें।

अमावस्या पर नीलकंठ स्तोत्र का पाठ, सर्पसूक्त पाठ, श्रीनारायण कवच का पाठ करने के बाद ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दिवंगत की पसंदीदा मिठाई तथा दक्षिणा सहित भोजन कराना चाहिए। अमावस्या के दिन कालसर्प दोष वालों को सुबह स्नान कर के चांदी के नाग-नागिन की पूजा करनी चाहिए। उजले फूल के साथ इसे फिर किसी बहते पानी में प्रवाहित करें। 

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